क्या आप भारत सरकार की तरह व्यवहार कर रहे हैं जो किसी की मदद करती है और खुद भी मदद मांगती है..लोन देती भी है और लोन लेती भी है....आप उधार क्यों लेते हैं और उधार क्यों देते हैं...आप बोलेंगे कि इसमें कौन सी अबूझ पहेली है...जब आपके पास पैसों की कमी होगी तब आप उधार लेंगे और जब आपसे कोई मांगेगा और आपके पास ज्यादा पैसा होगा..तब ही आप उधार लेंगे। क्या कभी आपने सोचा है कि उधार लेने से और उधार देने से न केवल आपको जीवन में कितनी मुश्किल होती है..मानसिक तनाव होता है..संबंध खराब होते हैं और आपका पैसा भी डूब जाता है.. या फिर आपको ज्यादा रकम खर्च करनी पड़ती है।
ये तो आपको मालूम ही है कि जब आप बैंक से लोन लेते हैं तो करीब दुगना उसे वापस करते हैं...भले ही लंबे अंतराल में..इसमें कोई दिक्कत नहीं..क्योंकि आपके पास रकम थी ही नहीं..जो आपको मिली..इसके लिए आपने दुगनी रकम दी। लेकिन कभी आपने सोचा कि आप एक जिद पूरी करने के लिए सब कुछ दांव पर लगा देते हैं। अगर आपकी हैसियत है तो आपने मकान ले लिया...आपकी हैसियत है तो गाड़ी ले ली..इसके बाद एक-एक कर आप आधे से ज्यादा वेतन को ईएमआई पर ले गए...और चैन नहीं आया तो क्रेडिट कार्ड से रकम खर्च कर ली। इसके बाद माथा पकड़ कर बैठ गए..ब्याज भी भर रहे हो..पैनाल्टी भी दे रहे हो..ऊपर से तनाव भी झेल रहे हो..ऐसा शौक किस काम का..ऐसी ऐश किस काम की...कुछ वक्त मजा करने के बाद दिन-रात सजा भोग रहे हो। इससे ज्यादा अति तब हो जाती है जब हम उधार मांगने की हालत में पहुंच जाते हैं...जब आप किसी से भी उधार मांगते हैं तो स्वाभाविक है कि उसके सामने लज्जित होते हैं..उसकी शर्तों को मानते हैं और उसे ज्यादा रकम देते हैं। ऐसे में दोस्ती..रिश्तेदारी..संबंध खराब तो होना ही है..और जब आप रकम नहीं लौटाते हैं तो ये संबंध दुश्मनी तक में बदल जाते हैं।
अगर आप उधार नहीं लेते..जो जाहिर है आप संतुलन के साथ..सोच-समझकर आगे बढ़ रहे हैं लेकिन तब भी आपको लोग चैन नहीं लेने देंगे। शायद ही ऐसा कोई शख्स होगा जिससे कोई उधार मांगने न आया हो...आप उस पर रहम खाकर उधार दे देते हो..अगर वक्त पर उसने लौटा दिया तो ठीक है वरना परेशान आपको ही होना है..पहले उधार लेने वाला चक्कर काट रहा था..अब आप काटोगे...पहले आप उससे बच रहे थे...अब वो आपसे बचेगा...अगर पकड़ में आ गया तो बहाना बनाएगा..मोहलत मांगेगा...और एक सीमा के बाद जब आप हार थक जाएंगे तो यही मानेंगे..कि पैसा डूब गया...तनाव लेंगे।
इसलिए ऐसा काम करो ही नहीं..जिसको करने से पहले से पता है कि नतीजा क्या होगा। आप मेहनत से कमाते हो..और सौ रुपए भी जाता है तो दर्द होता है..इसलिए कोशिश करो कि जितनी चादर हो उतने पैर पसारो....उधार लोगे तो तनाव झेलोगे..और उधार दोगे तो भी....बाकी फिर.......
ये तो आपको मालूम ही है कि जब आप बैंक से लोन लेते हैं तो करीब दुगना उसे वापस करते हैं...भले ही लंबे अंतराल में..इसमें कोई दिक्कत नहीं..क्योंकि आपके पास रकम थी ही नहीं..जो आपको मिली..इसके लिए आपने दुगनी रकम दी। लेकिन कभी आपने सोचा कि आप एक जिद पूरी करने के लिए सब कुछ दांव पर लगा देते हैं। अगर आपकी हैसियत है तो आपने मकान ले लिया...आपकी हैसियत है तो गाड़ी ले ली..इसके बाद एक-एक कर आप आधे से ज्यादा वेतन को ईएमआई पर ले गए...और चैन नहीं आया तो क्रेडिट कार्ड से रकम खर्च कर ली। इसके बाद माथा पकड़ कर बैठ गए..ब्याज भी भर रहे हो..पैनाल्टी भी दे रहे हो..ऊपर से तनाव भी झेल रहे हो..ऐसा शौक किस काम का..ऐसी ऐश किस काम की...कुछ वक्त मजा करने के बाद दिन-रात सजा भोग रहे हो। इससे ज्यादा अति तब हो जाती है जब हम उधार मांगने की हालत में पहुंच जाते हैं...जब आप किसी से भी उधार मांगते हैं तो स्वाभाविक है कि उसके सामने लज्जित होते हैं..उसकी शर्तों को मानते हैं और उसे ज्यादा रकम देते हैं। ऐसे में दोस्ती..रिश्तेदारी..संबंध खराब तो होना ही है..और जब आप रकम नहीं लौटाते हैं तो ये संबंध दुश्मनी तक में बदल जाते हैं।
अगर आप उधार नहीं लेते..जो जाहिर है आप संतुलन के साथ..सोच-समझकर आगे बढ़ रहे हैं लेकिन तब भी आपको लोग चैन नहीं लेने देंगे। शायद ही ऐसा कोई शख्स होगा जिससे कोई उधार मांगने न आया हो...आप उस पर रहम खाकर उधार दे देते हो..अगर वक्त पर उसने लौटा दिया तो ठीक है वरना परेशान आपको ही होना है..पहले उधार लेने वाला चक्कर काट रहा था..अब आप काटोगे...पहले आप उससे बच रहे थे...अब वो आपसे बचेगा...अगर पकड़ में आ गया तो बहाना बनाएगा..मोहलत मांगेगा...और एक सीमा के बाद जब आप हार थक जाएंगे तो यही मानेंगे..कि पैसा डूब गया...तनाव लेंगे।
इसलिए ऐसा काम करो ही नहीं..जिसको करने से पहले से पता है कि नतीजा क्या होगा। आप मेहनत से कमाते हो..और सौ रुपए भी जाता है तो दर्द होता है..इसलिए कोशिश करो कि जितनी चादर हो उतने पैर पसारो....उधार लोगे तो तनाव झेलोगे..और उधार दोगे तो भी....बाकी फिर.......