Wednesday, February 4, 2015

हम तो दूध के धुले हैं

हर दिन हम किस-किसको कितना कोसते हैं..कभी सोचा है....नहीं.....तो सोचकर देखो...घर से लेकर बाहर तक...हम हर रोज न जाने कितने लोगों को कोसते हैं और पानी पी-पीकर कोसते हैं..भले ही उससे कोई लेना-देना हो या नहीं....पीएम से लेकर अपने दोस्तों तक...हर किसी के बारे में राय जाहिर करने में हम कतई पीछे नहीं रहते...चाहे हम सफर पर हों..चाय-पान की दुकान पर हों....घर में हों..या दफ्तर में....ओबामा से लेकर अपने पड़ोसी तक..हर किसी की खामियों..स्टाइल..काम करने के तरीकों...व्यवहार..दिखावे..हैसियत...पर हम बिना रुके...नान स्टाप घंटों राय जाहिर कर सकते हैं....वो केवल बोलता है..वो झूठ बोलता है..वो दिखावा करता है..उसकी काली कमाई है..कामचोर है...लापरवाह है...अज्ञानी है..डरपोक है....चापलूस है..न जाने क्या-क्या...दूसरों के बारे में हमारे पास राय देने का भंडार है...पन्ने खोलो..तो खुलते चले जाते हैं....बड़ा मजा आता है....अच्छा टाइम पास हो जाता है...यही बात खुद पर लागू करके देखोगे तो बड़ा कष्ट होगा....कभी हमने सोचा है कि लोगों की हमारे बारे में क्या धारणा है...हम कितना काम करते हैं..कितने दयालू हैं..कितने व्यवहारिक हैं..कितना झूठ बोलते हैं...कितने लापरवाह हैं..कितने चापलूस हैं..कितने षठयंत्रकारी हैं...नहीं सोचा होगा क्योंकि हमसे अच्छा कोई नहीं...सारी गड़बड़ तो दूसरे कर रहे हैं...गंदगी दूसरे फैला रहे हैं..कानून दूसरे तोड़ रहे हैं...भ्रष्टाचार दूसरे कर रहे हैं...हम तो दूध के धुले हैं....बड़ा कठिन है अपने बारे में सोचना...अपने बारे में फीडबैक लेना...कभी सोचा है कि लोग हमारे दुश्मन क्यों बनते हैं..लोग हमसे घृणा क्यों करते हैं....क्यों हमारी छवि खराब है..क्या कमियां हैं..हमें इतनी फुर्सत हैं कहां...पहले दूसरों को तो देख लें...परनिंदा में जितना सुख है उतना और किसी में नहीं....जिन्हें हम कोस रहे हैं...उनमें से ज्यादातर का तो आपसे लेना-देना ही नहीं..जिनसे लेना-देना है..परनिंदा से उनका कुछ नहीं बिगड़ रहा..बिगड़ेगा तो हमारा...घंटों की चर्चा में हम अपने काम को मार रहे हैं..अपने सोच को मार रहे हैं..अपनी क्षमता को नष्ट कर रहे हैं..नुकसान किसका हो रहा है हमारा और आपका...हमसे अच्छे तो वो कामेडियन हैं जो अपना और अपने परिवार का मजाक बनाकर अपनी रोजी-रोटी कमा रहे हैं..नाम और हैसियत कमा रहे हैं...कभी खुद की कमियों को उजागर करने की हिम्मत जुटाओ...दूसरों को बताने की हिम्मत नहीं तो कम से कम मन ही विचार करके देखो..कष्ट भले ही हो लेकिन उस दवा की तरह होगा जिसे खाने के बाद खुद को स्वस्थ महसूस करोगे....बाकी फिर......