Thursday, January 22, 2015

हम जीते क्यों हो?

कभी आपने सोचा है कि हम जी क्यों रहे हैं..क्या उद्देश्य है..क्या लक्ष्य है..शायद नहीं...राजनीति में सोचें तो पीएम या राष्ट्रपति...कमाई में सोचें तो मुकेश अंबानी..या अनिल अंबानी...किक्रेट में सोचें तो सचिन तेंदुलकर..फिल्म में सोचें तो अमिताभ बच्चन...गायन में सोचें तो लता मंगेश्कर...कुख्यात होने का सोचें..तो दाऊद इब्राहिम..या फिर ISIS..कभी तालिबान था...नंबर वन कौन है..हम भी नंबर वन बनना चाहते हैं..बेटा-बेटी कहता है कि मैं क्लास में नंबर वन हूं...गंगनम स्टाइल कहता है कि यू ट्यूब के हमने सारे रिकार्ड तोड़ दिए...


बड़ी कश्मकश है..बड़ी जद्दोजहद है...लड़ाई है..संघर्ष है..सेहत है..आर्थिक हालात हैं..जो रोना रोता है..वो कुछ नहीं कर सकता..जो सेहत नहीं बना सकता..वो कुछ नहीं कर सकता...जो अपने सीनियर से तालमेल नहीं बना सकता..वो कुछ नहीं कर सकता..जो अपने सहयोगी या मातहत से नहीं बना सकता..वो कुछ नहीं कर सकता...जब हम सोचते हैं कि हमें दुखी रहना है..तभी हम दुखी रहते हैं..जब हम खुश रहना चाहते हैं..तभी खुश रहना चाहते हैं...जब हम पर जिम्मेदारी आती है तो सर दुखने के बाद भी निभाते हैं..जब हमें कोई रास्ता नहीं दिखता तो हम शार्टकट निभाना चाहते हैं..गलत काम को अपना लेते हैं...दूसरों पर रौब जमाने के लिए..न तो पत्नी को बताते हैं..न बच्चों को..जितना चाहे गलत काम हो..जितने चाहे संकट हों..
.जब आप फतह हासिल करते हो तो खुद बताते हो..चाहे घर हो या फिर दफ्तर..नहीं तसल्ली होती है तो फोन करके बताते हो..वाटस अप करके बताते हो..फेसबुक या टिवटर से बताते हो...सवाल अब भी बरकरार है कि हम जीते क्यों हैं..अपने लिए..बच्चे के लिए..पत्नी के लिए..माता-पिता के लिए...कमाई के लिए..नाम के लिए....लाखों लोग ऐसे होंगे जिनसे ये सवाल कर लिया जाए..तो भौंचक रह जाएंगे। जो हिट है उनसे भी पूछ लीजिए...जो रिक्शे या चाय वाला है उससे भी पूछ लीजिए..दरअसल जीवन की कश्मकश में हम जीवन का उद्देश्य ही भूल गए हैं..ये आपको तय करना है कि हम जी क्यों रहे हैं...बाकी फिर....