Wednesday, January 21, 2015

चेहरे से जब नकाब हटेगा

दोस्तो..जीवन एक है लेकिन हम अनगिनत चेहरे लेकर चलते हैं..हर दिन..हर पल अपने चेहरे पर चेहरा लगाते हैं..जब हम इन चेहरों की परतें उघाड़ने बैठें तो न जाने कितने चेहरों को हम सामने देखेंगे। लोग कहते हैं कि ये सब रंगमंच पर होता है..फिल्मी दुनिया में होता है..राजनीति में होता है..जिसका जो काम है..उसी तरह का चेहरा सामने होता है..हम भले ही आम आदमी हो..पर चेहरे पर कई चेहरे हम भी लगाते हैं...दूसरों को भले ही पता न चले लेकिन जब थोड़ी देर के लिए अंतर्मन में झांकें तो एक दिन में ही अलग-अलग वक्त हम कितने चेहरे लेकर चलते हैं..कुछ की भूमिका जीवन में बार-बार आती है तो कोई वक्त के साथ खत्म हो जाते हैं..दफ्तर में अलग भूमिका..घर में अलग भूमिका..जैसा रिश्ता वैसी भूमिका..पत्नी के साथ अलग चेहरा..बेटा-बेटी के साथ अलग..माता-पिता के साथ अलग..चेहरों पर जो भाव आते हैं...अपनी भूमिका-अंदाज जिस तेजी से बदलते हैं..आपको खुद पता नहीं चलता...कोई आपको गुस्सैल समझता है..कोई भावुक शख्स..कोई लापरवाह..कोई ईमानदार..कोई भ्रष्ट..कोई सच्चा दोस्त..जिसको आपने जैसा चेहरा दिखाया...ताजा उदाहरण हम देख रहे हैं..अन्ना हजारे..अरविंद केजरीवाल..किरण बेदी और उनके साथियों को..सबकी अपनी-अपनी राय..पहले केजरीवाल का चेहरा बदला..अब किरण बेदी का..तो अन्ना हजारे भी बोले..राजनीति में गंदगी ही गंदगी है..आंदोलन के लिए मैं ही काफी हूं...वक्त और भूमिका के साथ बदलते चेहरे....हर कोई करता है...विचार बदलते हैं..जगह बदलती है..वक्त बदलता है..भूमिका बदलती है तो चेहरा खुद-ब-खुद बदलता है। जो आपके काम का है..उसके लिए अलग चेहरा...जो आपके लिए बेकार है उसके लिए अलग चेहरा...जब चेहरे से नकाब उतरता है तो असलियत सामने आती है..जीवन में ऐसे कई शख्स हैं जिन्हें पहले आप ईमानदार मानते थे..शालीन मानते थे...भरोसमंद मानते थे...सहयोग करने वाले मानते थे..लेकिन जब वक्त आया तो नया चेहरा देखा..यानि चेहरे बेनकाब होते हैं तो समझ में आता है कि नहीं इसका ये चेहरा असल नहीं..ये आपको तय करना है कि आप सामने वाले का असल चेहरा पढ़ लें..और अपना एक चेहरा कैसे रखें...बाकी फिर.....

(आत्मचिंतन और मंथन करना आसान नहीं..हम सबके लिए समय निकालते हैं लेकिन अपने जीवन की अच्छाईयों और बुराईयों को नहीं टटोलते..कड़वा लगता है लेकिन है दवाई की तरह..उसके बाद जब आप स्वच्छ जीवन जीते हैं तो पहले से ज्यादा सार्थक और सानंद होते हैं..यही प्रयास है..हम अपना अनुभव और सोच बांटें..बहुत ही भावुकता से कह रहा हूं कि तमाम ऐसे दोस्त हमसें जुड़ें हैं जो हमसे ज्यादा कामयाब..अनुभवी...और गंभीर नजर आते हैं...हम चाहते भी हैं कि जो भी पढ़ें..जो भी सोचें..जो भी देखें और अनुभव करें...उसको सार्थकता में कैसे बदलें..अगर शब्दों को भाव मिल जाए तो कहना ही क्या...सभी दोस्तों को साथ चलने के लिए धन्यवाद..)