Monday, July 13, 2015

क्या है जीवन दर्शन?

जीवन दर्शन शब्द सुनकर लोगों को एक नजर में लगता है कि बड़ा भारी शब्द है, आजकल की चकाचौंध, भागदौड़, वक्त की कमी, कामकाज का तनाव, परिवार की जिम्मेदारियां, बच्चों के भविष्य, सेहत की चिंता, साजिश, राजनीति, झूठ-फरेब से ही नहीं उबर पा रहे हैं, जीवन के दर्शन में कौन झांके, तो दोस्तो, हम आपको बता दें कि हम कोई कोई गहरे पानी पैठ की बात नहीं कर रहे, हम इन्हीं सब विषयों की चर्चा कर रहे हैं, जो हम रोज देखते हैं, करते हैं और सुनते हैं, भोगते हैं, महसूस करते हैं। अपने आसपास जो भी घटित हो रहा है, जो हम सोच रहे हैं, जिनसे रूबरू हो रहे हैं, जिनसे हमारा और हमारे परिवार, समाज का और देश का लेना-देना है,जिसमें हमारी सीधी भागीदारी है।


दरअसल हम जो करते हैं, उसमें सोचने का वक्त कम है, सब कुछ इंस्टेंट है, जो तात्कालिक रूप से मन में आया, दिल ने चाहा कर दिया, उसके नतीजे के बारे में सोचते ही नहीं, लेकिन जब कोई घटना हो जाती है, कोई फैसला हम लेते हैं तो अच्छा या बुरा होता है, यदि थोड़ा सा सोच लें, थोड़ा अपने मन में झांक लें, थोड़ा करने के लिए उसके नतीजे तक पहुंच जाएं तो हमारा जीवन बेहतर हो सकता है,  हम कितने बड़े आदमी है, हम कितने उम्रदराज हैं, हम अगर किसी की मानेंगे तो हम छोटे हो जाएंगे, ये सब सोचा तो हम अपने जीवन में माइनस करते हैं, कभी-कभी आपके बच्चे की सलाह आपके फैसले से बेहतर हो सकती है, आपके माता-पिता, पति-पत्नी, बच्चे, दोस्त, दफ्तर के साथी..कोई भी आपके चुनाव को और बेहतर कर सकता है, आपको सही रास्ते पर ले जा सकता है, ये आपको तय करना है कि कब कौन सी बात को केवल सुनकर छोड़ देना है, कब उसे धारण कर लेना है और कब उसकी बात को मान लेना है। करना हमेशा अपने ही दिमाग से है, भावुकता में नहीं बहना है, उत्तेजित नहीं होना है, घमंड नहीं करना है, धरातल पर रहना है और ऐसा करके हम न केवल अपने जीवन को नई ऊंचाईयों पर ले जा सकते हैं बल्कि सुख, शांति का अनुभव कर सकते हैं।

एक बात हमेशा मन में ठान लें कि केवल पैसा समृद्धि का आधार नहीं, सबसे पहले सेहत और शांति आपके जीवन के पहले मापदंड होना चाहिए। यदि आप दाल-रोटी खा रहे हैं तो उस खाते वक्त  मन में सुकून होना जरूरी है न कि फाइव स्टार होटल में तनाव लेकर भोजन करना। बड़े बंगले में जो सुकून नहीं वो एक कमरे में भी हो सकता है जबकि माहौल खुशनुमा हो, सदभाव का हो, शांति का हो, गलत तरीके से आप कहीं से कहीं पहुंच सकते हैं, लेकिन तनाव और भय के साथ, उससे न तो आप अपने को सुकून दे पाएंगे न ही अपने परिवार को...और जब आप धड़ाम से गिरेंगे तो आपके पास की चांडाल-चौकड़ी ऐसे गायब होगी कि पता ही नहीं चलेगा और आप अकेले अंधेरे में खो जाएंगे। जो हमारे साथ रोज घटित होता है, जो हम दिन भर सोचते हैं, करते हैं, उसे बेहतर कैसे करेंगे, यही जीवन दर्शन है...आज जीवन दर्शन पर इसलिए लिखा कि देश-विदेश के कई साथियों ने जिक्र किया कि आप लिखते बड़ा सरल हैं, वैसा ही जो हमारे आसपास है जबकि जीवन दर्शन से कुछ ऐसा लगता है कि ये केवल उन लोगों के लिए जो केवल चिंतन-मनन करते हैं, आध्यात्म में रमते हैं, हर कोई का इससे क्या लेना-देना, इसलिए आज जीवन दर्शन को स्पष्ट करना जरूरी समझा, हमारे और आपके लिए ये अच्छी बात है कि गूगल के पहले पेज पर जीवन-दर्शन बना हुआ है और लगातार लोग इसे पसंद कर रहे हैं क्योंकि इससे हम सबको लेना-देना है..बाकी फिर............इन्हें भी जरूर पढ़िए....bhootsotroyworld.blogspot.com   whatsappup.blogspot.com