Wednesday, July 22, 2015

कितनी कमियां हैं हममें?

बुरा मत मानिए, हममें ढेर सारी खामियां हैं। आपमें भी होंगी, कहिए मत किसी से,कम से कम मन में तो मान लीजिए, मानने से हमारा और आपका सबका भला ही होगा, न मानेंगे तो नुकसान जरूर होता रहेगा। महिलाएं हो या पुरुष, बच्चे हों या बूढ़ें, हम एक दूसरे की कमी निकालने में लगे रहते हैं और अपनी कमी को हमेशा शौक, आदत, मूड, छोटी सी बात कह कर टाल देते हैं, चाहे वो रोजमर्रा की life में हो या फिर office में या फिर friends के साथ। मसलन, office में हैं तो हम अपने पर कम दूसरों पर ज्यादा ध्यान देते हैं, किसी की गलती है तो उसे बढ़ा-चढ़ा कर पेश करते हैं जबकि खुद की बड़ी गलती को छोटी सी गलती बताकर रफा-दफा करने की कोशिश में जुट जाते हैं। अरे, हम तो काम कर रहे हैं इसलिए गलती तो होगी ही, लेकिन दूसरा क्या करता है केवल गलती ही तो करता है, उसे आता क्या है?


कोई लड़की किसी से बात कर रही है, घूम रही है तो उसके करेक्टर पर सवाल उठाने में जरा भी नहीं चूकते। देखो, कैसे कपड़े पहने हैं, देखो किसके साथ जा रही है, और जो हमें नहीं पता है, उसके बारे में अनाप-शनाप टिप्पणी करने में बिलकुल नहीं हिचकिचाते। यहां तक कि किसी साथी को किसी लड़की के साथ बाईक या कार में देख लिया तो मिलते ही पूछते हैं या फिर दूसरों को बताते हैं, अरे भाई न जाने किसके साथ घूम रहा है, भले ही उसकी wife हो या sister। सिगरेट पी रहे हैं, पान मसाला खा रहे हैं, जहां मन आए, शुरू हो गए, सामने वाले को पसंद है या नहीं, भले ही उसे धुएं से नुकसान पहुंच रहा हो, सड़क पर कचरा फैला रहे हैं, ट्रैफिक का rule तोड़ रहे हैं। अरे हम नेता हैं, अफसर हैं, पुलिसवाले हैं, मीडिया वाले हैं, हमसे कौन बोलेगा?
आप उधार लिए हैं, दूसरा मांग रहा है, ऊपर से आप उसे कोस रहे हैं, अरे मेरी हालत तो खराब है इसे अपने पैसों की पड़ी है। आपने उधार दिए हैं, दूसरा नहीं दे रहा है। अापको कहते हैं कि मेरा ही पैसा है, मैं ही उससे भीख मांग रहा हूं। नाते-रिश्तेदार आपके यहां हैं, आपको लग रहा है खर्च हो रहा है, कोई काम नहीं कर रहा है, नींद में खलल डाल रहा है, प्राइवेसी भंग हो रही है, आप दूसरों के यहां जाते हैं, आपका सत्कार नहीं होता, आपको लगता है कि कमी उसमें है आपमें नहीं।
पति को लगता है कि पत्नी में कमी है, पत्नी को लगता है कि पति में है। बच्चा सोचता है अजीब माता-पिता हैं अपनी-अपनी ही चलाते हैं मेरी सुनते ही नहीं, समझते ही नहीं। पड़ोसियों से नाराजगी है, मकान मालिक ठीक नहीं, या फिर किराएदार ठीक नहीं। यहां तक कि हम अपने दोस्तों को भी कोसते रहते हैं कि देखो, अब जरूरत पड़ी तो पूछ नहीं रहा, जब काम पड़ता है तो कैसे पीछे पड़ जाता है। कोई भी आपके यहां आया, उसके बैठने से लेकर खाने तक, बात करने के लहजे से लेकर हर भाव-भंगिमा की हम समीक्षा करने से पीछे नहीं हटते। जब चाहें किसी भी बात पर हम उसकी कमियां की लंबी लिस्ट पेश कर देते हैं लेकिन कभी सोचा कि हमारी कमियों की लिस्ट कितनी लंबी है?

कुल मिलाकर life में तमाम कमियां हम सब लेकर चल रहे हैं। कुछ दिखती हैं, कुछ हम महसूस करते हैं और कुछ के लिए जानबूझ कर अनजान बने रहते हैं। ये तो कुछ example हैं, सबकी अपनी-अपनी कमियां हैं, जिन्हें हम दूर करें, दूसरों की कमियों को बड़ा न मानें बल्कि अपनी कमियों पर ध्यान दें तो way of life जरूर बेहतर होगा। बाकी फिर...........
इन्हें भी जरूर पढ़िए....bhootsotroyworld.blogspot.com   whatsappup.blogspot.com