हम और आप धैर्य नहीं रख पाते, हर चीज की जल्दी होती है, हर काम की जल्दी होती है, भले ही हमारे पास वक्त हो, लेकिन हम मान कर चलते हैं कि हमारे पास वक्त नहीं, लेकिन जब जरूरी काम होता है तो सब छोड़ कर उसके लिए वक्त निकल आता है, कोई भी काम हम शुरू करते हैं तो लगता है कि जल्दी पूरा हो जाए, अच्छे से हो जाए, कोई कमी न रह जाए, अगर बिगड़ जाता है तो दूसरे कहते हैं कि धैर्य रखना था, जल्दबाजी नहीं करनी थी, जबकि हम जानते हैं कि किसी के पास धैर्य नहीं, जो लोग थोड़ा भी धैर्य रख लेते हैं, उनके काम आसान हो जाते हैं, अच्छे से हो जाते हैं।
एक छोटा सा उदाहरण देता हूं, किसी को फोन किया, नहीं उठाया, दस तरह के सवाल तत्काल मन में आने लगते हैं कि बताओ, कुछ ज्यादा ही बिजी है, लगता है फोन नहीं उठाना चाह रहा है, जब तक उसका फोन आता है, तब तक हम न जाने क्या-क्या सोच लेते हैं, ऐसे ही मैसेज का है, हमने आपने मैसेज भेजा, सामने वाला का जवाब नहीं आया तो सबसे पहले दिमाग में आता है, बड़ा आदमी है, दिमाग खराब है, कुछ तो जवाब देता। ये हमारे साथ ही नहीं होता, हम दूसरों के साथ भी करते हैं, किसी काम में फंसे हैं, नहा रहे हैं, पूजा कर रहे हैं, आफिस की मीटिंग में हैं, रास्ते में हैं, गाड़ी ड्राइव कर रहे हैं, सो रहे हैं, कौन कब किस हालात में हैं, क्या जरूरी काम कर रहा है, लेकिन हमें अपने से लेना-देना है, क्योंकि हमारे पास धैर्य नहीं है।
लाइट चली गई, पानी चला गया, परेशान हो जाते हैं, अभी जानी थी, अच्छा खासा मैच चल रहा था, पसंदीदा सीरियल चल रहा था, ब्रेकिंग न्यूज आ रही थी, कपड़ों पर प्रेस कैसे होगा, नहाऊंगा कैसे, अब क्या करू, परेशान हो गए, हर काम का वक्त होता है, उसमें जितना समय लगना है, उससे पहले पूरा करने की कोशिश करोगे, काम बिगड़ जाएगा, धंधा कर रहे हैं, आज कुछ ज्यादा कमाई हुई, कल उससे ज्यादा की अपेक्षा होती है, थोड़ा कम हुआ तो दिन भर में जो कमाया उसकी खुशी नहीं, जो नहीं आया, उसका गम मनाने लगते हैं, जितना जल्दी हो, जितना ज्यादा हो, बढ़ता ही जाए, कोई परेशानी न हो, समय बर्बाद न हो, मेहनत कम से कम हो, सब अच्छा ही अच्छा हो, जीवन में ये संभव नहीं। धैर्य रखो, जीवन में उतार-चढ़ाव होते हैं, काम बनता है बिगड़ता है, देरी होती है, लेकिन जुटे रहो, परेशान न हो, यही way of life है, जो जितनी जल्दी धैर्य खोता है वो खुद को शारीरिक रूप से और मानसिक रूप से खुद को नुकसान पहुंचाता है, जो काम हो भी रहा है वो बिगड़ जाता है, धैर्य से बिगड़े हुए काम भी बन जाते हैं, मन शांत रहता है, न खुद को कष्ट पहुंचाते हैं और न ही दूसरों को, कहते हैं कम खाओ, कम खाओ, ऐसा ही life में धैर्य के साथ है, तो धैर्य रखिए, जितना वक्त जिस चीज में लगना है, लगेगा, जल्दबाजी में कोई धारणा नहीं बनाइए, आपके बारे में लोगों की धारण बिगड़ जाएगी..बाकी फिर........इन्हें भी जरूर पढ़िए....bhootsotroyworld.blogspot.com whatsappup.blogspot.com
एक छोटा सा उदाहरण देता हूं, किसी को फोन किया, नहीं उठाया, दस तरह के सवाल तत्काल मन में आने लगते हैं कि बताओ, कुछ ज्यादा ही बिजी है, लगता है फोन नहीं उठाना चाह रहा है, जब तक उसका फोन आता है, तब तक हम न जाने क्या-क्या सोच लेते हैं, ऐसे ही मैसेज का है, हमने आपने मैसेज भेजा, सामने वाला का जवाब नहीं आया तो सबसे पहले दिमाग में आता है, बड़ा आदमी है, दिमाग खराब है, कुछ तो जवाब देता। ये हमारे साथ ही नहीं होता, हम दूसरों के साथ भी करते हैं, किसी काम में फंसे हैं, नहा रहे हैं, पूजा कर रहे हैं, आफिस की मीटिंग में हैं, रास्ते में हैं, गाड़ी ड्राइव कर रहे हैं, सो रहे हैं, कौन कब किस हालात में हैं, क्या जरूरी काम कर रहा है, लेकिन हमें अपने से लेना-देना है, क्योंकि हमारे पास धैर्य नहीं है।
लाइट चली गई, पानी चला गया, परेशान हो जाते हैं, अभी जानी थी, अच्छा खासा मैच चल रहा था, पसंदीदा सीरियल चल रहा था, ब्रेकिंग न्यूज आ रही थी, कपड़ों पर प्रेस कैसे होगा, नहाऊंगा कैसे, अब क्या करू, परेशान हो गए, हर काम का वक्त होता है, उसमें जितना समय लगना है, उससे पहले पूरा करने की कोशिश करोगे, काम बिगड़ जाएगा, धंधा कर रहे हैं, आज कुछ ज्यादा कमाई हुई, कल उससे ज्यादा की अपेक्षा होती है, थोड़ा कम हुआ तो दिन भर में जो कमाया उसकी खुशी नहीं, जो नहीं आया, उसका गम मनाने लगते हैं, जितना जल्दी हो, जितना ज्यादा हो, बढ़ता ही जाए, कोई परेशानी न हो, समय बर्बाद न हो, मेहनत कम से कम हो, सब अच्छा ही अच्छा हो, जीवन में ये संभव नहीं। धैर्य रखो, जीवन में उतार-चढ़ाव होते हैं, काम बनता है बिगड़ता है, देरी होती है, लेकिन जुटे रहो, परेशान न हो, यही way of life है, जो जितनी जल्दी धैर्य खोता है वो खुद को शारीरिक रूप से और मानसिक रूप से खुद को नुकसान पहुंचाता है, जो काम हो भी रहा है वो बिगड़ जाता है, धैर्य से बिगड़े हुए काम भी बन जाते हैं, मन शांत रहता है, न खुद को कष्ट पहुंचाते हैं और न ही दूसरों को, कहते हैं कम खाओ, कम खाओ, ऐसा ही life में धैर्य के साथ है, तो धैर्य रखिए, जितना वक्त जिस चीज में लगना है, लगेगा, जल्दबाजी में कोई धारणा नहीं बनाइए, आपके बारे में लोगों की धारण बिगड़ जाएगी..बाकी फिर........इन्हें भी जरूर पढ़िए....bhootsotroyworld.blogspot.com whatsappup.blogspot.com