ये बात आप हम से भी कह सकते हैं और हर कोई एक-दूसरे से कहता है या फिर सोचता है और महसूस करता है। मसलन, दफ्तर में जब सीनियर जूनियर को कुछ समझाता है, बताता है तो मन ही मन लगता है कि बड़े पद पर क्या है, कुछ ज्यादा ही ज्ञान बांट रहा है, लगता है कि इससे ज्यादा ज्ञानी ही नहीं, और मुझे तो कुछ आता ही नहीं, ऐसा ही उस सीनियर के साथ होता है जब उसका सीनियर उसे हिदायतें देता है और वो भी हाथ पीछे बांधकर मन मसोसकर सुनता है, कुछ लोग मन ही मन में कुढ़ते रहते हैं और मन ही मन बड़ाबड़ा कर अपनी भड़ास निकाल लेते हैं तो कुछ लोगों से रहा नहीं जाता, और सीनियर के जाते ही अपने समकक्ष के आगे मन की व्यथा उजागर कर देते हैं। यही हाल घर-परिवार और दोस्तों के साथ होता है जब कोई पिता अपने बेटे या बेटी को समझाता है कि बेटा ये करना गलत है, ऐसे बच्चों के साथ मत रहना, कुछ गलत कहना, कुछ गलत मत करना, तो बेटा या बेटी मन ही मन मुस्कराता है या फिर ज्यादा हिदायत से चिढ़ने लगता है और मन ही मन बड़बड़ाता है कि अब भी पिताश्री मुझे दूध पीता बच्चा समझ रहे हैं जबकि हमने तो वो दुनिया देख ली है जो पिता जी ने अपने पूरे वक्त में नहीं देखी होगी।
नेता हों या साधू-संत, वो भी देश को ज्ञान बांटने में पीछे नहीं है, थकते ही नहीं है, जहां देखो शुरू हो जाते हैं बल्कि दिन में कई-कई जगह ज्ञान बांटते हैं। ज्योतिषी भी आपके जीवन के भविष्य का ज्ञान बांट रहे हैं। अब थोड़ा सा सोचिए, ज्ञान किसके पास अचानक बढ़ जाता है, ज्ञान बांटने वाला आपसे मजबूत होगा और ज्ञान लेने वाला कमजोर, जो कमजोर होता है उसे मजबूत शख्स ज्ञान देने में जरा भी कोताही नहीं बरतता। आपसे जो कमजोर होगा, आप उसे ज्ञान बांटने लगते हो, इसे यूं ही समझ लीजिए कि आप यदि कामयाब होते जा रहे हैं, ऊंचे ओहदे पर हैं, निश्चिंत हैं तो आपके पास ज्ञान का भंडार कुछ ज्यादा ही होगा और जहां-तहां ज्ञान देने में कोई संकोच नहीं करेंगे।
कोई शख्स इम्तिहान में फेल हो गया, व्यापार में फेल हो गया, किसी स्पर्धा में मात खा गया तो उसे वो भी ज्ञान देंगे, जो कभी आपसे लेते थे, मसलन ये आपकी गलती थी, आपको ऐसा नहीं करना था, आपने जल्दबाजी कर दी, आपको इस तरह नहीं इस तरह करना चाहिए था, आपने जगह गलत चुनी, आपने विषय गलत चुना,आपने तैयारी कम की, आपने मेहनत कम की, आप मेरे से ही पूछ लेते थे, आगे से आप ध्यान रखना, मैंने तो पहले ही कहा था कि आपको सफलता नहीं मिलेगी। कई बार तो हम ऐसे शख्स को भी ज्ञान देने में जुट जाते हैं जो हमारे सामने भी मौजूद नहीं है, उसके साथ तो ऐसा होना ही था, ज्यादा जानकार बन रहा था, बेवकूफ है, मुझे तो पता था कि उसका यही हश्र होना है, उसकी संगत ही ठीक नहीं है, अरे जानता ही कुछ नहीं है, होशियार समझता है, ऐसे-ऐसे ज्ञान कि लगता है कि हम ही सबसे बड़े ज्ञानी हैं, बाकी सब बेवकूफ, ये ध्यान रख लें कि छोटा बच्चे से लेकर भिखारी तक अपने हिसाब का ज्ञान रखता है, वो आपके लिहाज से फिट हो या नहीं, उसके हिसाब से जरूर फिट होता है।
तो ये दुनिया का दस्तूर है कि जब जिसे मौका मिले, ज्ञान बांटना शुरू कर दो, जब आपका मौका आता है तो आप भी यही करते हो। ये बात अलग है कि आपको ज्ञान किससे लेना है, कितना लेना है, क्या लेना है, ये आपको ही तय करना है, नहीं तो ज्ञान लेते रहेगो, और उस ज्ञान के बोझ तले दब कर बर्बाद हो जाओगे, जो आपके पास ज्ञान है, यदि उसका ही इस्तेमाल करो तो जीवन ज्यादा बेहतर बना पाओगे...बाकी फिर......इन्हें भी जरूर पढ़िए....bhootsotroyworld.blogspot.com whatsappup.blogspot.com
नेता हों या साधू-संत, वो भी देश को ज्ञान बांटने में पीछे नहीं है, थकते ही नहीं है, जहां देखो शुरू हो जाते हैं बल्कि दिन में कई-कई जगह ज्ञान बांटते हैं। ज्योतिषी भी आपके जीवन के भविष्य का ज्ञान बांट रहे हैं। अब थोड़ा सा सोचिए, ज्ञान किसके पास अचानक बढ़ जाता है, ज्ञान बांटने वाला आपसे मजबूत होगा और ज्ञान लेने वाला कमजोर, जो कमजोर होता है उसे मजबूत शख्स ज्ञान देने में जरा भी कोताही नहीं बरतता। आपसे जो कमजोर होगा, आप उसे ज्ञान बांटने लगते हो, इसे यूं ही समझ लीजिए कि आप यदि कामयाब होते जा रहे हैं, ऊंचे ओहदे पर हैं, निश्चिंत हैं तो आपके पास ज्ञान का भंडार कुछ ज्यादा ही होगा और जहां-तहां ज्ञान देने में कोई संकोच नहीं करेंगे।
कोई शख्स इम्तिहान में फेल हो गया, व्यापार में फेल हो गया, किसी स्पर्धा में मात खा गया तो उसे वो भी ज्ञान देंगे, जो कभी आपसे लेते थे, मसलन ये आपकी गलती थी, आपको ऐसा नहीं करना था, आपने जल्दबाजी कर दी, आपको इस तरह नहीं इस तरह करना चाहिए था, आपने जगह गलत चुनी, आपने विषय गलत चुना,आपने तैयारी कम की, आपने मेहनत कम की, आप मेरे से ही पूछ लेते थे, आगे से आप ध्यान रखना, मैंने तो पहले ही कहा था कि आपको सफलता नहीं मिलेगी। कई बार तो हम ऐसे शख्स को भी ज्ञान देने में जुट जाते हैं जो हमारे सामने भी मौजूद नहीं है, उसके साथ तो ऐसा होना ही था, ज्यादा जानकार बन रहा था, बेवकूफ है, मुझे तो पता था कि उसका यही हश्र होना है, उसकी संगत ही ठीक नहीं है, अरे जानता ही कुछ नहीं है, होशियार समझता है, ऐसे-ऐसे ज्ञान कि लगता है कि हम ही सबसे बड़े ज्ञानी हैं, बाकी सब बेवकूफ, ये ध्यान रख लें कि छोटा बच्चे से लेकर भिखारी तक अपने हिसाब का ज्ञान रखता है, वो आपके लिहाज से फिट हो या नहीं, उसके हिसाब से जरूर फिट होता है।
तो ये दुनिया का दस्तूर है कि जब जिसे मौका मिले, ज्ञान बांटना शुरू कर दो, जब आपका मौका आता है तो आप भी यही करते हो। ये बात अलग है कि आपको ज्ञान किससे लेना है, कितना लेना है, क्या लेना है, ये आपको ही तय करना है, नहीं तो ज्ञान लेते रहेगो, और उस ज्ञान के बोझ तले दब कर बर्बाद हो जाओगे, जो आपके पास ज्ञान है, यदि उसका ही इस्तेमाल करो तो जीवन ज्यादा बेहतर बना पाओगे...बाकी फिर......इन्हें भी जरूर पढ़िए....bhootsotroyworld.blogspot.com whatsappup.blogspot.com