Tuesday, July 21, 2015

गूगल हम क्यों नहीं बना पाए?

एक और कड़वा सच, जो हम सब जानते हैं, प्रधानमंत्री जी भी स्वीकार कर चुके हैं, सबको पता है लेकिन जीवन दर्शन लिखने के दौरान जो मैं कई दिनों से महसूस कर रहा था, सोचा आज आप सब के सामने भी रखूं. मैं भारतवासी हूं, हिंदी भाषी हूं, सोचता था कि यदि ब्लाग हिंदी में लिखूंगा तो भारत में ही लोग पढ़ेंगे, लेकिन ये आकलन पहले दिन से गलत साबित हो रहा है, मुझे खुद हैरानी है कि मेरे ब्लाग को ज्यादातर दो गुने से ज्यादा लोग अमेरिका में पढ़ रहे हैं। जाहिर है वो भी भारतवासी होंगे, हिंदी भाषी होंगे। ब्रिटेन, बेल्जियम, जर्मनी, जापान, यूक्रेन में भी लोग पढ़ रहे हैं लेकिन यूएसए में इतनी तादाद होगी, मैं सोच भी नहीं सकता था। जीवन दर्शन है भी इसी का नाम, कई बार हम जो सोचते हैं, देखते हैं, सुनते हैं, करते हैं, वो सही नहीं होता, इसलिए सुनो, गुनो और चुनो, तोल,मोल के बोल, जैसे मंथन हमने किए हैं।


अमेरिका में लोगों को जीवन दर्शन से क्या लेना-देना, जाहिर है कोई कहीं भी हो, किसी भी जाति का हो, किसी भी धर्म का हो, किसी भी देश का हो, सोच-विचार लगभग एक जैसा ही होता है। प्रधानमंत्री जी डिजिटिल इंडिया की शुरूआत पर खुद कह चुके हैं कि हमारे आईआईटी छात्र पूरे विश्व में धूम मचा रहे हैं, गूगल हो या फेसबुक या याहू, माइक्रोसाफ्ट हो या ऐप्पल और भी तमाम कंपनियां, जिनमें भारतवासियों का दिमाग लगा है लेकिन हम भारत में नहीं कर पाए।
 वो इसलिए नहीं कर पाए क्योंकि एक तो उनकी यहां कद्र नहीं हुई, अनुशासन नहीं, भ्रष्टाचार में खुद को अनफिट पाना, या फिर न इज्जत न पैसा। ये तमाम पहलू हैं जहां हम बुरी तरह मात खाते हैं और तो और सोचते कम हैं, करने की कोशिश ज्यादा करते हैं, यहीं से जीवन का अनुशासन गड़बड़ा जाता है, way of life के ट्रैक से हम उतर जाते हैं। अमेरिका में जो भारतवासी हैं उन्हें न तो कामकाज से फुर्सत है और न ही उन्हें ज्यादा पढ़ने की जरूरत, फिर भी मेरे से जैसे आम आदमी का ब्लाग पढ़ने से लगता है कि उनकी नजर हर तरफ है, भारत पर भी है, आम आदमी पर भी है, तभी तो वो ज्यादा से ज्यादा जीवन दर्शन समेट पा रहे हैं और अपनी लाइफ बेहतर कर पा रहे हैं।
इसका मतलब ये नही कि आप जीवन दर्शन ही पढ़ें लेकिन जो भी अच्छा है उसे देखें, सुनें, गुनें और चुनें, अपनी बेहतर life के लिए, जहां से भी मिले, भारत ही नहीं पूरे विश्व पर नजर रखें, उसमें से सार निकालें और जीवन में आगे बढ़ते जाएं, हमने पहले भी कहा है कि एक छोटा सा बच्चा सीख दे देता है, मसलन बजरंगी भाई जान में एक नन्ही सी बच्ची को जब कोई मुसलमान बचाता है तो दिल के भीतर तक लोगों के उतर जाता है और कहते हैं कि पैसा वसूल हो गया। आज फेसबुक पर किसी ने एक मुस्लिम औरत को अपने बच्चों को भगवान स्वरूप बनाकर स्कूल ले जाती तस्वीर पोस्ट की, जरूरी नहीं कि कोई बड़ा आदमी कुछ कहे हम तभी माने, यदि आपका बच्चा भी कोई सीख देता है तो उसे दिल में उतार लेना चाहिए, बाकी फिर........इन्हें भी जरूर पढ़िए....bhootsotroyworld.blogspot.com   whatsappup.blogspot.com