पंजाब में आंतकियों से मुठभेड़ में एसपी बलजीत सिंह शहीद हो गए. एक एसपी चला गया. कई जवान चले गए, कई नागरिक चले गए, मुख्यमंत्री ने कहा कि जब एलओसी पर घुसपैठ की सूचना थी तो सीमा पर सतर्कता क्यों नहीं बरती गई? आप ने कहा कि मोदी जी का सीना इतना चौड़ा हैं तो अब इस हमले का जवाब दें, राजनाथ भोपाल पहुंचे तो मीडिया ने सवाल किया आप पंजाब न जाकर भोपाल पहुंच गए, बोले-सब बात कर इंतजाम कर भोपाल में भी जवानों के लिए ही आया हूं. जितनी मुंह उतनी बातें,अपने-अपने तरीके से बयान, सफाई और दावे-प्रतिदावे।
बयान देना सरल है, सफाई देना सरल है, आलोचना करना सरल है लेकिन कठिन क्या है वो शहीद एसपी के घरवालों से पूछिए, जो मैदान में लोहा ले रहा है, उससे पूछिए, उनकी शहादत के किस्से सुनाए जाएंगे, मेडल भी दिए जाएंगे, आर्थिक सहयोग भी दिया जाएगा, लेकिन अब बलजीत सिंह लौटकर नहीं आएंगे।
परिवार जानता है कि उसे न तो रकम चाहिए, न मेडल चाहिए, न नौकरी चाहिए, उसे पापा चाहिए, पिता चाहिए, पति चाहिए।
इसके पहले मुंबई में हेमंत करकरे और उनके कई साथी शहीद हुए, बरसी पर हम याद कर लेते हैं और भूल जाते हैं, न जाने कितने हमले हुए, न जाने कितने ब्लास्ट हुए, न जाने कितने शहीद हुए और न जाने कब तक ये सिलसिला चलता रहेगा, न तो हम इस धरती से आतंकी मिटा पाए, न ही नक्सली, कितनी ही सरकारें आईं, चाहे कांग्रेस हो या बीजेपी या फिर अन्य दलों की, चाहे केंद्र हो या राज्य, करोड़ों-अरबों हर साल इसी मद में खर्च हो रहे हैं और हर साल बजट बढ़ता जा रहा है, बढ़ता जाएगा, लेकिन हम इस नासूर की जड़ तक पता नहीं कब पहुंचेंगे, चाहे हम चांद पर जाएं या न जाएं , चाहे बुलेट ट्रेन चलाएं या न चलाएं , चाहे हम स्मार्ट सिटी बनाएं या न बनाएं, कम से कम बेगुनाहों की हत्या का सिलसिला तो रोक लें, अपने जवानों की शहादत रोक लें, कहते हैं कि जान है तो जहान हैं, ये हम सबके लिए है, चाहे वो संसद में बैठे नेता हों, या मंत्रालयों में बैठे अफसर या फिर वो जवान, जो जान पर खेल कर हमें बचाने के लिए खुद की जान देने में पीछे नहीं हटते। अब आप ही तय करें कि असल हीरो कौन हैं देश के, जो सिर्फ बयान देकर अपना फर्ज निभा ले रहे हैं या फिर शहीद और उनके परिवार....यही है way of life...बाकी फिर......इन्हें भी जरूर पढ़िए....bhootsotroyworld.blogspot.com whatsappup.blogspot.com
बयान देना सरल है, सफाई देना सरल है, आलोचना करना सरल है लेकिन कठिन क्या है वो शहीद एसपी के घरवालों से पूछिए, जो मैदान में लोहा ले रहा है, उससे पूछिए, उनकी शहादत के किस्से सुनाए जाएंगे, मेडल भी दिए जाएंगे, आर्थिक सहयोग भी दिया जाएगा, लेकिन अब बलजीत सिंह लौटकर नहीं आएंगे।
परिवार जानता है कि उसे न तो रकम चाहिए, न मेडल चाहिए, न नौकरी चाहिए, उसे पापा चाहिए, पिता चाहिए, पति चाहिए।
इसके पहले मुंबई में हेमंत करकरे और उनके कई साथी शहीद हुए, बरसी पर हम याद कर लेते हैं और भूल जाते हैं, न जाने कितने हमले हुए, न जाने कितने ब्लास्ट हुए, न जाने कितने शहीद हुए और न जाने कब तक ये सिलसिला चलता रहेगा, न तो हम इस धरती से आतंकी मिटा पाए, न ही नक्सली, कितनी ही सरकारें आईं, चाहे कांग्रेस हो या बीजेपी या फिर अन्य दलों की, चाहे केंद्र हो या राज्य, करोड़ों-अरबों हर साल इसी मद में खर्च हो रहे हैं और हर साल बजट बढ़ता जा रहा है, बढ़ता जाएगा, लेकिन हम इस नासूर की जड़ तक पता नहीं कब पहुंचेंगे, चाहे हम चांद पर जाएं या न जाएं , चाहे बुलेट ट्रेन चलाएं या न चलाएं , चाहे हम स्मार्ट सिटी बनाएं या न बनाएं, कम से कम बेगुनाहों की हत्या का सिलसिला तो रोक लें, अपने जवानों की शहादत रोक लें, कहते हैं कि जान है तो जहान हैं, ये हम सबके लिए है, चाहे वो संसद में बैठे नेता हों, या मंत्रालयों में बैठे अफसर या फिर वो जवान, जो जान पर खेल कर हमें बचाने के लिए खुद की जान देने में पीछे नहीं हटते। अब आप ही तय करें कि असल हीरो कौन हैं देश के, जो सिर्फ बयान देकर अपना फर्ज निभा ले रहे हैं या फिर शहीद और उनके परिवार....यही है way of life...बाकी फिर......इन्हें भी जरूर पढ़िए....bhootsotroyworld.blogspot.com whatsappup.blogspot.com