Friday, January 30, 2015

हमें सिर्फ अपनी चिंता है

जी हां..कोई कितना भी कहे कि मैं समाज सेवा करने आया हूं..मैं तो आपके लिए कर रहा हूं..मैं तो परिवार के लिए कर रहा हूं..मैं तो संस्थान के लिए कर रहा हूं..तो वो बिलकुल झूठ बोल रहा है...सबसे पहले आप अपने लिए कर रहे हैं...अपने नाम के लिए..अपने ओहदे के लिए...अपने स्टेटस के लिए..अपनी संपन्नता के लिए..दरअसल हम से पहले मैं आता है जो कड़वा सच है..पीएम से लेकर सीएम तक..मंत्री से लेकर संत्री तक..अफसर से लेकर कर्मचारी तक..फिल्म..खेल..उद्योगपतियों से लेकर रिक्शे चलाने वाले और चाय बेचने वाले तक..सब कुछ मैं के लिए लगा है हम के लिए बाद में....कोई देश चलाने की बात करता है जबकि घर नहीं चला पाता है...एक विचार धारा के लोग कुछ सालों में अलग क्यों हो जाते हैं..कोई अपना संस्थान क्यों छोड़ देता है..कोई अपनी पत्नी को क्यों छोड़ देता है..कोई पत्नी अपने पति को क्यों छोड़ देती है..बच्चे अपने मां-बाप को बेसहारा क्यों छोड़ देते हैं...जो पहले आपसे जुड़ा था..छोड़ने के बाद आपका दुश्मन क्यों बन जाता है। बीजेपी से लोग कांग्रेस में जाते हैं..कांग्रेस से बीजेपी में आते हैं..आप से कई लोग छोड़कर चले जाते हैं..कोई सालों बाद कहता है कि मेरा शोषण हो रहा है..मैं घुट-घुट कर जी रहा था..तब क्यों नहीं बोला जब शुरूआत हुई...कोई पूर्व मंत्री कहता है कि मेरे से गलत काम कराया गया..तब क्यों नहीं बोला...संस्थान ने मुझे कुछ नहीं दिया..तो इतने साल क्यों डटे रहे..आज जब कहीं मौका मिल गया तो संस्थान को इतना कोस डाला..कि उससे बड़ा पापी नहीं...पार्टी छोड़ी तो सालों के बाद इतनी बुराईयां नजर आईं कि पूछो मत..जब किसी को छोड़ता है तो जी भर के कोसता है..जब किसी से जुड़ता है तो जी भर के तारीफ करता है..दरअसल जिसे छोड़ रहे हो..जिससे जुड़ रहे हो..उससे हमें मतलब नहीं..मतलब खुद से...जरा भीतर झांककर देखो...मैं ही मैं नजर आएगा..बाहर हम दिखाई देता है  ये मुझे मालूम है..आपको मालूम है...मन में आप स्वीकार भी करते हैं..बाकी फिर..........