हर शख्स की कोई न कोई कमजोरी होती है बल्कि कई कमजोरियां होती हैं लेकिन हम उसे या तो शौक का नाम दे देते हैं या फिर मजबूरी करार देते हैं। दरअसल एक पक्ष खूबियों का है तो दूसरा कमजोरियों का...वो नशे की आदत हो सकती है..गलत हरकतों की हो सकती है..झूठ बोलने की हो सकती है..उधार लेने की हो सकती है...दूसरों को नीचा दिखाने की हो सकती है...जो अच्छी आदतें हैं वो कमजोरी नहीं होती..खूबी होती है मसलन...स्पोर्टस..फिल्म..संगीत..समाज सेवा..अध्ययन..। कभी हम खुद का आकलन नहीं करते..दूसरों के बारे में बहुत बोलते हैं. अरे..वो तो नशेड़ी है..वो तो अश्लील है...वो तो मक्कार..कामचोर है...वो तो झूठ बोलता है...वो तो ठग है..वो तो बहुरूपिया है..कभी हमने सोचा कि हम क्या हैं...हम जितना अपने बारे में सोचेंगे...अपने जीवन को बेहतर कर पाएंगे..दूसरों को नसीहत देने से पहले खुद कमजोरी दूर करें..नहीं तो आपके माता-पिता..बच्चे ..पत्नी आपको नसीहत देंगे कि पहले अपनी आदत सुधार लो..हम भी सुधार लेंगे..दिक्कत बस यहीं हैं कि हम अपनी कमजोरी छिपाने के लिए..दूसरे को चुनौती देते हैं कि पहले तुम ऐसा करो..मैं भी कर लूंगा...दूसरों के बारे में बात करना आसान हैं..खुद के बारे में कठिन..आप किसी की बढ़ाई करते हो..गौर से सुनेगा..बुराई करोगे..दाएं-बाएं होने लगेगा..आंखें फेर लेगा..कोई दूसरी बात छेड़ देगा..दरअसल हम अपने बारे में अच्छा सुनना चाहते हैं..भले ही हम अच्छे न हों..हम दूसरों को आईना दिखाना चाहते हैं..खुद को नहीं..हम कहते हैं कि मोदी जी बस बोल ही रहे हैं...राहुल गांधी कुछ नहीं कर पाए...किरण बेदी अवसरवादी हैं..केजरीवाल अराजक है...हमारा बस नहीं चल रहा है अगर चलता तो न जाने क्या कर देते...अगर में प्रधानमंत्री होता..तो देश से भ्रष्टाचार खत्म कर देता..देश सुपर पावर बन जाता..चाय और पान की दुकान पर भी ये चर्चा आम है..लेकिन ये नहीं सोचते कि हम बन जाते तो..बन क्यों नहीं गए...कोई कहता है कि ये वक्त-वक्त की बात है..कोई कहता है कि मैं चांदी का चम्मच लेकर पैदा नहीं हुआ..दरअसल हम अपने कर्म से अपना भाग्य लिखते हैं..देश में कई लोगों ने लिखा है..हम आज उनकी चर्चा करते हैं लेकिन खुद की नहीं...यही सबसे बड़ा संकट हैं..जब हम खुद तय करेंगे...जीवन में हम भी कुछ बन जाएंगे...बाकी फिर...