कभी सोचा है कि आपको कोई क्यों नुकसान पहुंचा रहा है..क्यों आपके खिलाफ साजिश रची जा रही है..कोई आपके खिलाफ झूठा प्रचार कर रहा है..क्यों आपके खिलाफ अफवाह फैला रहा है..कहीं न कहीं उसमें कुछ न कुछ हमारा दोष भी है...इस संसार में भांति-भांति के लोग है..कोई किसी को काटकर आगे बढ़ना चाहता है..कोई झूठ के सहारे बढ़ना चाहता है..कोई अपनी गलतियों को छिपाना चाहता है..और यदि आप उसके सामने होते हो..आपकी जानकारी में कोई गलत करता है...किसी को आपसे जलन होती है..तो आपको जरूर नुकसान पहुंचाने की कोशिश करेगा। कहते हैं कि ताली एक हाथ से नहीं बजती..और दोनों हाथ जितनी ताकत से टकराते हैं..ताली की आवाज उतनी ही तेजी से गूंजती है..उसका असर ज्यादा दूर तक होता है..ज्यादा लोगों तक ये ध्वनि पहुंचती है। यदि हम कोशिश करें कि जबरन किसी के काम में टांग न अड़ाएं..किसी को बेवजह परेशान न करें..साजिश-षडयंत्र करते हैं तो और भी बुरा है...जब आप क्रिया नहीं करते हैं तो प्रतिक्रिया नहीं होती है। जब आप एक हाथ उठाते हो..तो एक हाथ आप पर भी उठता है..आपके सामने भी उठ सकता है..पीठे पीछे भी आप पर वार हो सकता है..कई बार तो आपको पता नहीं चलेगा कि कब आपके खिलाफ षडयंत्र रचा गया और आप धराशायी हो गए। यदि आप अपने काम से मतलब रखते हैं..अपने व्यवहार पर नियंत्रण रखते हैं..दूसरों के कंधे पर रख कर बंदूक नहीं चलते हैं..जो कहते हैं स्पष्ट करते हैं..ताल से ताल मिलाते हैं..अपने ही सुर में नहीं चलते हैं तो लोगों के चहेते बनते हैं..अपने जीवन में लोकतंत्र का पालन करते हैं..लोगों की सुनते हैं..राय-मशविरा करते हैं..समझाने की कोशिश करते हैं तो ताली सुर में बजती है..और उसकी ध्वनि आपके जीवन को आनंदमय करती है लेकिन अपनी ही धुन में हाथ मारते हैं तो सामने वाले के हाथ से हाथ नहीं टकराएगा बल्कि जीवन में टकराव पैदा होगा..साफ है कि ताली दोनों हाथों से बजती है तालमेल से बजती है..एक-दूसरे के हाथ की रजामंदी से बजती है और वो आपके जीवन को ऊंचाईयों पर ले जाती है...बाकी फिर......