आजकल का जमाना कहता है..इस हाथ दो..उस हाथ लो..ये अच्छाईयों के लिए भी है..बुराईयों के लिए भी...अगर आप भी किसी को फायदा पहुंचाते हैं..तभी वो आपको फायदा दिलाने के लिए मशक्कत करेगा..क्रिया की प्रतिक्रिया होती है..अगर आप साजिश रचेंगे..वो भी आपके खिलाफ जुट जाएगा..आप उसे नीचा दिखाएंगे..वो भी आपको नीचा दिखाने के लिए अवसर की तलाश में रहेगा..कहते हैं खून का बदला खून से..यानि जो आप देते हैं..उसे लेने के लिए तैयार रहें..जो आप लेते हैं उसे देने के लिए तैयार रहें...अगर आप किसी को प्यार देंगे..बदले में प्यार मिलेगा..मान-सम्मान देंगे..वो भी वैसे ही भावना रखेगा..
दरअसल हम जैसा करते हैं..वैसा भरते हैं..हम जितने कठोर होंगे..सामने वाला आपसे भी कठोर बनने की कोशिश करेगा...हम जितने दरियादिल होंगे..दूसरे आपसे दरियादिली से पेश आएंगे। हम अपनी सोच जैसी बनाते हैं..सामने वाला भी वैसा ही नजर आता है..अगर आपके साथ किसी ने गलत किया तो आपकी नजर में वो खराब शख्स होगा..वो जो भी करेगा..आपको खराब नजर आएगा..जो शख्स आपकी नजर में अच्छा होगा..आपको उसकी अच्छाईयां ही नजर आएंगी..ऐसा ही नजरिया आपके बारे में बनता हैं..यदि आप लोकप्रिय हैं तो उसकी वजह होगी कि ज्यादा से ज्यादा लोगों के साथ आप प्यार..सम्मान..भलाई के साथ रुबरू हुए होंगे..और यदि आपकी इमेज खराब है तो इसकी वजह आप ने बुराई ज्यादा बांटी है..
साफ है कि जो बांटते हैं..वो आप पाते हो...इसी से जुड़ा एक और पहलू है..आप जिस सोच के होंगे..जो आपकी शख्सियत होगी..वो ही आपका दायरा होगा..वही आपका संसार होगा..वैसे ही लोग आपसे जुड़े होंगे..मसलन मैं मीडिया से हूं तो मीडिया से जुड़ी खबरों में...उन खबरों से जुड़े लोगों में मेरी दिलचस्पी ज्यादा होगी..और मैं ऐसे ही लोगों से ज्यादा वास्ता रखूंगा..या फिर मीडिया से जुड़े ही लोग मेरे से ज्यादा वास्ता रखेगा..कोई खिलाड़ी है तो खेल से जुड़े लोगों से जुड़ेगा..फिल्म का है तो फिल्मवालों से जान-पहचान रखेगा..गुंडा-बदमाश होगा तो वो उस फील्ड के लोगों को खोज ही निकालेगा और अपना सर्किल बनाएगा। यदि आप साहित्यक हैं तो साहित्य जगत की गतिविधियों और उनसे जुड़े लोगों पर आपकी नजर होगी..आप उनसे जुड़ते जाते हैं...यानि अच्छाई के साथ अच्छाई जुड़ेगी..बुराई के साथ बुराई..प्यार से प्यार जुड़ेगा...हिंसा के बदले हिंसा मिलेगी। इसीलिए कहते हैं कि गिव एंड टेक..बाकी फिर.....
दरअसल हम जैसा करते हैं..वैसा भरते हैं..हम जितने कठोर होंगे..सामने वाला आपसे भी कठोर बनने की कोशिश करेगा...हम जितने दरियादिल होंगे..दूसरे आपसे दरियादिली से पेश आएंगे। हम अपनी सोच जैसी बनाते हैं..सामने वाला भी वैसा ही नजर आता है..अगर आपके साथ किसी ने गलत किया तो आपकी नजर में वो खराब शख्स होगा..वो जो भी करेगा..आपको खराब नजर आएगा..जो शख्स आपकी नजर में अच्छा होगा..आपको उसकी अच्छाईयां ही नजर आएंगी..ऐसा ही नजरिया आपके बारे में बनता हैं..यदि आप लोकप्रिय हैं तो उसकी वजह होगी कि ज्यादा से ज्यादा लोगों के साथ आप प्यार..सम्मान..भलाई के साथ रुबरू हुए होंगे..और यदि आपकी इमेज खराब है तो इसकी वजह आप ने बुराई ज्यादा बांटी है..
साफ है कि जो बांटते हैं..वो आप पाते हो...इसी से जुड़ा एक और पहलू है..आप जिस सोच के होंगे..जो आपकी शख्सियत होगी..वो ही आपका दायरा होगा..वही आपका संसार होगा..वैसे ही लोग आपसे जुड़े होंगे..मसलन मैं मीडिया से हूं तो मीडिया से जुड़ी खबरों में...उन खबरों से जुड़े लोगों में मेरी दिलचस्पी ज्यादा होगी..और मैं ऐसे ही लोगों से ज्यादा वास्ता रखूंगा..या फिर मीडिया से जुड़े ही लोग मेरे से ज्यादा वास्ता रखेगा..कोई खिलाड़ी है तो खेल से जुड़े लोगों से जुड़ेगा..फिल्म का है तो फिल्मवालों से जान-पहचान रखेगा..गुंडा-बदमाश होगा तो वो उस फील्ड के लोगों को खोज ही निकालेगा और अपना सर्किल बनाएगा। यदि आप साहित्यक हैं तो साहित्य जगत की गतिविधियों और उनसे जुड़े लोगों पर आपकी नजर होगी..आप उनसे जुड़ते जाते हैं...यानि अच्छाई के साथ अच्छाई जुड़ेगी..बुराई के साथ बुराई..प्यार से प्यार जुड़ेगा...हिंसा के बदले हिंसा मिलेगी। इसीलिए कहते हैं कि गिव एंड टेक..बाकी फिर.....