आप कितनी ही धन-दौलत कमा लें..कितने ही बड़े आदमी बन जाएं..कितना ही जलवा कायम कर लें..लेकिन स्वस्थ नहीं तो सब बेकार है..जीवन की आपाधापी में...अपनी सेहत से खिलवाड़ न करें...इससे बड़ी पूंजी कोई नहीं...ये आपके लिए ही नहीं आपके परिवार के लिए भी जरूरी है..यदि आप या आपके परिवार में एक भी अस्वस्थ व्यक्ति है तो आप जीवन का आनंद नहीं उठा सकते..लेकिन जीवन का कड़वा सच ये भी है कि हजारों कमाने के चक्कर में हम लाखों की सेहत गंवा बैठते हैं। ब्लड प्रैशर, डायबिटीज, थायराइड..एसिडिटी जैसी बीमारी तो हम फैशन की तरह ओढ़ कर चल रहे हैं। सौ में से एक-दो शख्स यदि ऐसे निकल आएं जो इनसे दूर हों तो वे बहुत ही सौभाग्यशाली होंगे।
न तो समय पर सोना..न तो समय पर खाना.. हर पल तनाव..चाहे दफ्तर का हो..घर का हो..बच्चे का हो..अपने सीनियर का हो..आस-पड़ोस का हो...नाते-रिश्तेदार का हो...और इस तनाव के चक्कर में हम दफ्तर के बाद यदि किसी के चक्कर लगाते हैं तो अस्पताल का...जहां आप एक रुपए भी मोलभाव नहीं करते...फल या सब्जी को पांच-दस रुपए कम करने में हम पूरी ताकत लगा देते हैं और समय बर्बाद कर देते हैं लेकिन इलाज के नाम पर मांगी गई फीस..हजारों की जांच और बिल में एक रुपए कम करने की हिम्मत नहीं जुटा सकते। पांच-दस हजार का बिल चुपचाप अदा कर आ जाते हैं लेकिन सेहत के लिए खान-पान के लिए एक-दो रुपए का मोह अपना लेते हैं। आप भले ही अरबपति हों..अगर डायबिटीज है तो जीवन भर मनपसंद खान-पान को छोड़ना पड़ेगा...नींद नहीं आती तो गोलियां पर गोलियां बढ़ानी पड़ेगी...डाक्टर के लिए कई घंटों का इंतजार कर सकते हैं लेकिन व्यायाम या घूमने के लिए 15 मिनट का समय हमारे पास नहीं रहता। जिंदगी में जब मजबूरी आती है तो आप हर कुछ करने को तैयार रहते हैं..दवाब पड़ता है तो दफ्तर में कई घंटे तक रुक सकते हैं लेकिन खुद के जीवन के लिए 5-10 मिनट निकालने में मुश्किल समझते हैं।
हर शख्स अपने ताकत बताने के लिए इससे पीछे नहीं हटता कि मेरे पास इतने मकान हैं..इतनी जमीन है..इतना बैंक बैलेंस हैं...सोना-चांदी हैं लेकिन ये नहीं सोचता कि इसके पीछे आपने अपनी जिंदगी दांव पर लगा दी है...किसी को नहीं मालूम कि वो कितने दिन तक जीएगा..और सारी माया यहीं रह जाएगी..इसलिए जीवन में उतना कमाओ..जितना जरूरी है..और उस माया-मोह को जी भी लो..आनंद उठा भी लो..नहीं तो कमाते रह जाओगे..और आखिर में लोग यही कहेंगे..कि जीवन भर लगा रहा लेकिन सुकून के दो पल उसे नहीं मिल पाए। जीवन में अर्थ जरूरी है तो जीवन का अर्थ जानना भी जरूरी है। कमाने के चक्कर में पति-पत्नी कई दिनों बाद कुछ पल साथ बिता पाएं..बच्चे भले ही विलासिता का जीवन जी रहे हैं लेकिन माता-पिता के साथ अपने सुख-दुख न बांट पाएं तो कोई फायदा नहीं...जीवन दर्शन यही है कि कमाओ तो उसका लुत्फ भी लो..यदि सेहत है तो जीवन आसान होगा..ज्यादा आनंद आएगा..और उससे भी आपका खर्च बचेगा। हो सकता है कि ये पढ़कर डाक्टर बुरा माने..लेकिन सेहत का पहला पाठ तो वो ही लोगों को पढ़ाते हैं..और उसके बाद भी लोग नहीं मानते हैं तो उन्हीं से अपने महल तैयार करते हैं..इसलिए ये तय कर लें..कि सेहत ही जीवन है....बाकी फिर...
न तो समय पर सोना..न तो समय पर खाना.. हर पल तनाव..चाहे दफ्तर का हो..घर का हो..बच्चे का हो..अपने सीनियर का हो..आस-पड़ोस का हो...नाते-रिश्तेदार का हो...और इस तनाव के चक्कर में हम दफ्तर के बाद यदि किसी के चक्कर लगाते हैं तो अस्पताल का...जहां आप एक रुपए भी मोलभाव नहीं करते...फल या सब्जी को पांच-दस रुपए कम करने में हम पूरी ताकत लगा देते हैं और समय बर्बाद कर देते हैं लेकिन इलाज के नाम पर मांगी गई फीस..हजारों की जांच और बिल में एक रुपए कम करने की हिम्मत नहीं जुटा सकते। पांच-दस हजार का बिल चुपचाप अदा कर आ जाते हैं लेकिन सेहत के लिए खान-पान के लिए एक-दो रुपए का मोह अपना लेते हैं। आप भले ही अरबपति हों..अगर डायबिटीज है तो जीवन भर मनपसंद खान-पान को छोड़ना पड़ेगा...नींद नहीं आती तो गोलियां पर गोलियां बढ़ानी पड़ेगी...डाक्टर के लिए कई घंटों का इंतजार कर सकते हैं लेकिन व्यायाम या घूमने के लिए 15 मिनट का समय हमारे पास नहीं रहता। जिंदगी में जब मजबूरी आती है तो आप हर कुछ करने को तैयार रहते हैं..दवाब पड़ता है तो दफ्तर में कई घंटे तक रुक सकते हैं लेकिन खुद के जीवन के लिए 5-10 मिनट निकालने में मुश्किल समझते हैं।
हर शख्स अपने ताकत बताने के लिए इससे पीछे नहीं हटता कि मेरे पास इतने मकान हैं..इतनी जमीन है..इतना बैंक बैलेंस हैं...सोना-चांदी हैं लेकिन ये नहीं सोचता कि इसके पीछे आपने अपनी जिंदगी दांव पर लगा दी है...किसी को नहीं मालूम कि वो कितने दिन तक जीएगा..और सारी माया यहीं रह जाएगी..इसलिए जीवन में उतना कमाओ..जितना जरूरी है..और उस माया-मोह को जी भी लो..आनंद उठा भी लो..नहीं तो कमाते रह जाओगे..और आखिर में लोग यही कहेंगे..कि जीवन भर लगा रहा लेकिन सुकून के दो पल उसे नहीं मिल पाए। जीवन में अर्थ जरूरी है तो जीवन का अर्थ जानना भी जरूरी है। कमाने के चक्कर में पति-पत्नी कई दिनों बाद कुछ पल साथ बिता पाएं..बच्चे भले ही विलासिता का जीवन जी रहे हैं लेकिन माता-पिता के साथ अपने सुख-दुख न बांट पाएं तो कोई फायदा नहीं...जीवन दर्शन यही है कि कमाओ तो उसका लुत्फ भी लो..यदि सेहत है तो जीवन आसान होगा..ज्यादा आनंद आएगा..और उससे भी आपका खर्च बचेगा। हो सकता है कि ये पढ़कर डाक्टर बुरा माने..लेकिन सेहत का पहला पाठ तो वो ही लोगों को पढ़ाते हैं..और उसके बाद भी लोग नहीं मानते हैं तो उन्हीं से अपने महल तैयार करते हैं..इसलिए ये तय कर लें..कि सेहत ही जीवन है....बाकी फिर...