हम से अच्छा कोई नहीं..हम होते तो ये कर देते..वो कर देते...मोदी की समझ में नहीं आ रहा..केजरीवाल फंस जाएगा...अब आया ऊंट पहाड़ के नीचे...दूसरों का मजाक उड़ाना..हंसी उड़ाना...इससे ज्यादा आसान कोई काम नहीं...कभी खुद का मजाक उड़ाकर देखो..कभी खुद की कमियां गिनकर देखो..कभी खुद की कमजोरी टटोलकर देखो..इतना फुर्सत हमें कहां हैं?...दूसरों को कोसने में तो दिनभर निकल जाता है..हमें अपने बारे में सोचने का वक्त कहां है?...दूसरों के जीवन में झांकने में इतना आनंद आता है कि पूछो मत..दूसरों की जिंदगी में टांग अड़ाने में इतना मजा आता है कि पूछो मत....जब खुद की बारी आती है तो हम बगलें झांकने लगते हैं...जब कोई हमारी कमी बताता है तो बड़ा गुस्सा आता है...हम तत्काल विषय बदलने की कोशिश करते हैं..गलती करते हैं तो दाएं-बाएं देखकर छिपाने की कोशिश करते हैं...दूसरों की किसी भी गलती को बड़ा करने की हमारी भरसक कोशिश होती है..जो खुद से प्यार करते हैं..खुद से गुस्सा करते हैं..खुद की गलतियों को उजागर करते हैं...वो जीवन में खुद को बेहतर करते हैं...जो दूसरे के चक्कर में फंसे रहते हैं...उसे बर्बाद कर पाएं या न कर पाएं...खुद को जरूर बर्बाद कर लेते हैं...अपनी बात करो..अपना काम करो...अपने व्यवहार पर ध्यान दो..अपने रहन-सहन को देखो...अपने परिवार को देखो...तो शायद जीवन में कष्ट कम हों...दूसरों को ईमानदारी का पाठ पढ़ाते हैं..खुद रोज दफ्तर से आकर नोट गिनते हैं कि आज की कमाई कम हुई या ज्यादा..कम हुई तो निराश...ज्यादा हुई तो मौज-मस्ती का मूड होता है। जब कोई चोर पकड़ा जाता है तो मजे लेते हैं कि बताईए...सरकार को घुन लगा रहा था..करोड़ों से भी पेट नहीं भरा..इतना बड़ा घोटाला कर डाला...सफाई अभियान को लेकर हम दूसरों को कोसते हैं कि वीवीआईपी केवल एक दिन झाड़ू के साथ फोटो खिंचाकर चलते बने...लेकिन हम सड़क पर फेंके गए केले के छिलके...या चिप्स के पैकेट को उठाकर डस्टबिन में डालने की हिम्मत नहीं जुटा पाते...जिसने फेंका है वहीं उठाए...ये मेरा ठेका थोड़े ही है...दरअसल जो हम करते हैं..वो सही होता है...जो दूसरा करता है वो गलत करता है....इसी में हमारे जीवन का ज्यादातर वक्त नष्ट हो रहा है..इसीलिए..आज भी हम कहते हैं कि दस साल पहले गलती कर दी..नहीं तो आज हमारा जीवन कुछ और होता..जो अभी गलती कर रहे हो..उस पर ध्यान नहीं....हम से अच्छा कौन है....बाकी फिर.....