Tuesday, February 3, 2015

मुंह में राम..बगल में छुरी



एक साध्वी ने यूपी में कहा कि हम चार बच्चों को पैदा करने की कहते हैं तो तूफान आ जाता है जो चालीस पिल्ले करते हैं..तो उन्हें कुछ नहीं होता..ये खुद को साध्वी कहती हैं। आप समझ सकते हैं कि ये साध्वी तो दूर की बात इंसान कहलाने लायक नहीं...इन्हें किस श्रेणी में रखा जाए..आप खुद तय कर लें...दूसरी बात जो चार बच्चों को पैदा करने की बात कर रहे हैं..सबसे पहले उन्हीं से सवाल है कि क्या उन्होंने चार बच्चे पैदा किए..नहीं किए तो दूसरों को सलाह क्यों दे रहे हो..क्या इन्होंने एक लिस्ट बनाई है चार बच्चों के सदस्यता अभियान की...सौ लोगों की लिस्ट जारी कर दें और उन पर निगाह रखें कि क्या वो चार बच्चे पैदा कर रहे हैं या नहीं....दरअसल हमें आगे बढ़ना है..तो हम इसके उपाय सोचते हैं..सही रास्ता कठिन होता है..वक्त लगता है..जब हम देखते हैं कि हमें कोई नोटिस नहीं कर रहा है तो हम शार्टकट अपनाते हैं और  नाम नहीं तो बदनाम ही सही..का रास्ता अख्तियार करते हैं...हम अपने मन में हर वक्त एक प्लान बनाते रहते हैं और उसे अंजाम देने की जुगत में जुटे रहते हैं.....कैसे बढ़ोगे..दिखावा करना होगा..हम अच्छे हैं..आपके लिए अच्छे हैं...आपके साथ हैं...आपसे प्यार करते हैं..आपको सम्मान देते हैं...आपको फायदा पहुंचाते हैं...आप जैसा कहेंगे..वैसा करेंगे...हम सदा हैं आपके लिए...ऐसा हम करते हैं....ऐसा हम दिखावा करते हैं...लेकिन हमारे मन में किसी भी शख्स के लिए क्या भाव हैं..क्या चाहत है..ये हम ही जानते हैं कोई और नहीं....हम अच्छी तरह जानते हैं कि हम वाकई किसके लिए हैं..क्यों हैं...कब तक हैं..कहां तक हैं...दरअसल जैसे कंप्यूटर में इतना माल भरा है..इतने तथ्य हैं..इतने आंकड़े हैं..आप और हमें नहीं मालूम...इससे भी बड़ा है हमारा मन..जो पूरा संसार समेटे है..कहीं तक जा सकता है...इसकी कल्पनाशीलता का अंदाजा हम खुद भी नहीं लगा सकते हैं..जब हम सोचते हैं तो पूरी दुनिया का सफर चंद पलों में ही कर सकते हैं...लेकिन हम किसी को बताते नहीं...हम वही बताते हैं जो हमें बताना है..जो हमें दिखाना है...हम खुद को अच्छा दिखाने की कोशिश करते हैं..लेकिन हकीकत में हम खुद को जानते हैं कि हम कितने सही हैं या कितने गलत...इसलिए मुंह में राम रखते हैं और बगल में छुरी रखते हैं..जब जिसका इस्तेमाल करना है कर देते हैं..कुछ खुलेआम करते हैं..तो कुछ राम का उच्चारण जोर-जोर से करते हैं लेकिन छुरी का इस्तेमाल धीरे से करते हैं...जो ज्यादा राम-राम कर रहा है..वो सबसे ज्यादा दिखावा कर रहा है..उसकी छुरी उतनी ही घातक होगी..उतनी तेजी से आपका काम तमाम कर देगी। इसलिए बच कर रहो..खुद भी ऐसा मत करो..दूसरों को भी समझो..जो आपके लिए राम-राम कर रहा है..निश्चित तौर पर उसके बगल में एक छुरी होगी..जो आपको दिखाई नहीं दे रही होगी..लेकिन कभी भी आपको छलनी कर सकती है...बाकी फिर......