Saturday, February 28, 2015

अच्छे दिन कैसे आएंगे?

आप सरकार के चक्कर में मत रहिए..वोट दे दिया उसके बाद भूल जाईए...अच्छे दिन आएंगे या नहीं..आप समझ गए होंगे..ये भी समझ लीजिए कि महंगाई एक बार बढ़ती है तो कभी घटती नहीं..सब्जी हमेशा तब सस्ती होती है जब उसकी बंपर पैदावार होती है..जैसे-जैसे दिन बीतते हैं वही सब्जी महंगी होती जाती है..कभी सुना है कि दूध के दाम घटे हैं..कभी सुना है कि किराना..यानि तेल..दाल..चावल..शक्कर..आटा सस्ता हो गया है। हां इतना जरूर होता है कि स्थिर रहता है वो भी ऐसे कि 500 ग्राम के पैकेट की जगह 450 या 400 ग्राम कर दिया..या फिर 1000 ग्राम के जरिए 950 ग्राम कर दिया..माल घटा दिया..कीमत वही रहने दी। कभी सुना है कि ट्रेन..बस..मेट्रो..आटो का किराया कम हो गया। कभी सुना है कि स्कूल की फीस कम हो गई..आज तक पेट्रोल-डीजल की को छोड़कर किसी चीज की कीमत घटी है.क्योंकि वो हर महीने पांच रुपए बढ़ता है तो दो रुपए घट जाता है..कुल मिलाकर ये ही महंगाई जिस दिन घट जाए..उस दिन समझो अच्छे दिन आ गए..जिसका सवाल ही पैदा नहीं होता..कोई माई का लाल कितना ही दम लगा ले..अगर देश में ऐसा हो जाए..तो समझ लो कि ऊपर से कोई अवतार आया और चमत्कार करके चला गया।

आम बजट में सर्विस टैक्स और बढ़ गया..समझ लो कि अब ऐसी कौन सी चीज है जिसके दाम नहीं बढने..इसलिए सरकार के भरोसे में मत रहो..अच्छे दिन सरकार सात जन्म में नहीं ला सकती..आप खुद जरूर ला सकते हो..वो कैसे..वो ऐसे..कि अपने जीवन को बेहतर बनाओ..फिजूलखर्ची कम करो...भारत सरकार की तरह घाटे का बजट मत बनाओ..जितनी चादर है उतने पैर पसारो...आमदनी अठन्नी खर्च रुपैया की तर्ज पर मत चलो..हर महीने की बैलेंस शीट चैक करो..कितनी आमदनी हुई..कितना खर्च हुआ..कितनी बचत कर पाए..इसके साथ ही आगे की सोचो कि महंगाई बढ़नी ही है..तो अगले साल 15 से 25 प्रतिशत तक आमदनी नहीं बढ़ी तो आप घाटे के बजट में चले जाएंगे..जो बचा पा रहे हैं उसमें और कमी आ जाएगी। बच्चे की पढ़ाई में खर्च बढ़ना ही है..मकान किराया बढ़ना ही है..उनकी तरह राजसी ठाठबाट में मत रहो जिन पर महंगाई का असर कभी नहीं पड़ता..काली कमाई वालों को नहीं मालूम होता कि कल सब्जी सस्ती थी या फिर आज..वो कभी नहीं देखते कि पेट्रोल महंगा हुआ..या सस्ता हो गया। उन्हें नहीं मालूम कि मकान किराया हर साल बढ़ जाता है..जिनकी कोठियां हों वो तो दूसरों पर महंगाई थोपते हैं..तभी वो और मोटे सेठ होते हैं। वो आपकी तरह सब्जी खरीदने नहीं जाते..


जीवन अपनी तरह से जीयो..जितनी भी कमाई है उसमें तालमेल बिठाना सीखो..उसे सलीके से खर्च करना सीखो..जरूरी खर्च में कोताही मत बरतो..विलासिता की होड़ में न रहो...कितनी भी कम कमाई हो..बचत करना सीखो...सरकार को गाली मत दो..गाली देते रहोगे..आप का गला थक जाएगा..ज्यादा होगा तो अस्पताल चले जाओगे..आपका खर्चा और बढ़ जाएगा..खुद की कमियां देखो..खुद की बेहतरी देखो..खुद की मेहनत देखो..खुद के संघर्ष को देखो..और फिर सोचो कि इससे अच्छा कैसे होगा..क्योंकि अच्छे दिन आपको खुद लाने हैं न कि सरकार को.जिस दिन ये समझ लोगे उस दिन से आपके अच्छे दिन की शुरूआत हो जाएगी नहीं तो आप भी सरकार की तरह अपने परिवार को वायदे के झुनझने पकड़ाते रहोगे..ख्याल पुलाव पकाते रहोगे कि हमारे भी अच्छे दिन आएंगे...बाकी फिर......