Wednesday, February 18, 2015

गिफ्ट तो एक बहाना है

मोदी जी को गिफ्ट किया गया सूट विवादों में आ गया। गिफ्ट हम क्यों देते हैं..कब देते हैं..किसको देते हैं और कितनी बड़ी या छोटी गिफ्ट देते हैं। गिफ्ट में सबसे पहले हम अपनी हैसियत देखते हैं..फिर सामने वाली की हैसियत देखते हैं..दोनों की हैसियत को तौलते हैं और उसमें जो बैलेंस निकलता है उसके आधार पर हम गिफ्ट का प्रकार और कीमत तय कर देते हैं। जितना बड़ा आदमी होता है उतनी ही हमें जेब ढीली करनी पड़ती है क्योंकि हमें उसकी हैसियत का भी ध्यान रखना होता है। जब हम आपस में बराबरी वाले लोगों के बीच गिफ्ट को गिव एंड टेक करते हैं तो हम ध्यान रखते हैं कि उसने हमें कितना दिया था..उतना ही हमें देना है। कम दिया था तो कम ही करेंगे..ज्यादा दिया था जो ज्यादा करेंगे। अगर हमारी हैसियत बड़ी है तो हम उससे थोड़ा ज्यादा कर देंगे और हमारी हैसियत थोड़ी कम है तो हम सस्ते में ही काम चला लेंगे।

ये तो साफ है कि जो हमें गिफ्ट देता है..हम उसका बदला चुकाते हैं..लेकिन कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जिन्हें हमें गिफ्ट देना पड़ता है भले ही वो हमें कभी गिफ्ट दें या न दें। ऐसा इसलिए हम करते हैं क्योंकि हमें या तो उनसे काम पड़ना है या फिर हम गिफ्ट देकर उनके नजदीक आना चाहते हैं..इसे आम तौर पर रिश्वत नहीं कहा जाता है लेकिन इससे बढ़िया कोई रिश्वत नहीं...दरअसल आप किसी को कैश देंगे..तो वो रिश्वत हो जाएगी..सामने वाला झिझकेगा..डरेगा और चाहते हुए भी लेने में तब तक आनाकानी करेगा जब तक कि वो आपके हमाम में नंगा न हो जाए। एक बार नंगा हो जाएगा तो कैश भी लेगा और चाय भी पिलाएगा और यहां तक बैशर्म हो जाएगा कि कहेगा... पहले वाले नोट तो करारे थे..इस बार ढीले-ढाले नोट कहां से उठा लाए..या फिर पिछली बार गिनती में एक नोट कम निकला था।

गिफ्ट एक ऐसा बहाना है जो सबसे कारगर है..देने वाला और लेने वाला दोनों समझते हैं पर हंसी-खुशी स्वीकार कर लेते हैं..मसलन आप मिठाई लेकर पहुंचे हैं तो बीबी-बच्चों के लिए..आपको रखनी ही पड़ेगी..अरे साहब हमारे इलाके की प्रसिद्ध मिठाई है आप भी चख कर देखिए..आपके लिए स्पेशल लाए हैैं...कई लोग आगरा का पेठा और मुरैना की गजक दिल्ली के रेलवे के स्टेशन से खरीदकर नेताओं को टिपा आते हैं। मिठाई तो पांच सौ हजार की रिश्वत हो गई..इससे बड़ी रिश्वत आप कैसे पहुंचाते हैं ये आपको भी मालूम... बस मैं तो लिखकर चस्पा कर रहा हूं...आजकल मोबाइल का जमाना है..सबसे अच्छी गिफ्ट है..एप्पल आई फोन से बढ़िया और क्या हो सकता है...घड़ी भी एक विकल्प है...और महंगे में लुटना है तो सोना-चांदी भी खूब चलता है..जिन अधिकारियों के छापे पड़ते हैं किलो के भाव से सोना निकलता है। इससे आगे बढ़ेंगे तो कार और मकान की छोटी सी चाबी ही पकड़ानी है। ऐसे तमाम विकल्प हैं जो गिफ्ट के जरिए..आदान-प्रदान होते हैं तो गिफ्ट देते रहिए और अपना काम निकालते रहिए...लेकिन मन में तो मान ही लीजिए कि गिफ्ट तो एक बहाना है....बाकी फिर..........