दिन भर में हम एक-दूसरे को पता है कितनी advice देते हैं? कभी गिन कर देखो, मन में सोच कर देखो, सुबह से लेकर रात तक हम अपने को छोड़कर सभी को सलाह देने में पीछे नहीं हटते, सुबह होते ही पत्नी, बच्चों को कहते हैं, ऐसा कर लो, वैसा कर लो, ये ठीक नहीं है, इसे ऐसे करना चाहिए, ये नहीं करना था, मैंने पहले ही बोला था, ऐसे जुमले रोज हम बोलते हैं, दफ्तर में जाते हैं तो वहां भी सलाह का सिलसिला बदस्तूर चलता रहता है, इस काम को इस तरह करो, ऐसे लिखना चाहिए, ऐसे दिखाओ, ऐसे बनाओ, ऐसे पेश करो। दोस्तों को भी खूब सलाह देते हैं, किसी को बीमारी हुई है, फोन पर ही हालचाल पूछ रहे हैं, क्या हुआ, वायरल हो गया, हां, मौसम ही ऐसा चल रहा है, थोड़ा केयर करने की जरूरत है, डाक्टर को दिखाया या नहीं, ऐसा करो, आर्युवेद ले लो, मैं बताता हूं, ये काढ़ा बनाकर पीलो, जल्द ही आराम मिलेगा, रेस्ट करना, आफिस मत जाना, तनाव मत लो, पानी बाहर का मत पीना, बीबी-बच्चों को बचाकर रखना, बड़ी जल्दी पूरे परिवार को लग जाएगा, ये तो कुछ common advice है।
ऐसी ही सलाह जब आपको मिलती है तो आप मन क्या सोचते हैं..अरे..तुम बताओगे क्या तभी डाक्टर के पास जाऊंगा, यदि तुम्हें ही आयुर्वेद की जानकारी है तो तुम्ही सबका इलाज कर लो, वायरल हुआ है, तो क्या दिन में सड़कों पर घूमूंगा, पानी कैसा पीना है, ये तो हमें भी मालूम है। अगर किसी का काम बिगड़ गया, तो भी हमारे पास सलाह हाजिर है, मैंने तो पहले ही किया था, मानता कहां है, अपने आपको होशियार समझता है, मेरी मान लेता तो आज ये हश्र नहीं होता।
हम अपने बच्चे को बाहर भेजते हैं तो advice देते हैं कि बेटा, मन लगाकर पढ़ना, बाजार की उल्टी-सीधी चीजें मत खाना, दोस्ती सोच-समझकर बनाना, रास्ते में कोई कुछ भी दे, मत खाना, गेट देखकर खोलना..अब आप ही सोचिए..यदि हम उसे नहीं बताते तो क्या वो वही करता, जो आपने बता दिया है. जो बड़ा होता है वो अपने को ज्यादा ज्ञानी समझता है, जितना बड़ा पद होता है, उतना ही आटोमेटिक ज्ञानी होता जाता है, और उतनी ही सलाह देने लगता है, जो बेचारा छोटा होता है, उम्र में हो या पद में, उतनी ही सलाहें वो झेलता है, मुद्दे की बात ये है कि कभी खुद को भी advice देकर देखो, way of life बेहतर हो जाएगा। फिजूल की सलाह देकर अपना वक्त बर्बाद मत करो, बल्कि जो बेहतर सलाह मिले, उसे अपना लो...बाकी फिर.....इन्हें भी जरूर पढ़िए....bhootsotroyworld.blogspot.com whatsappup.blogspot.com
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हम अपने बच्चे को बाहर भेजते हैं तो advice देते हैं कि बेटा, मन लगाकर पढ़ना, बाजार की उल्टी-सीधी चीजें मत खाना, दोस्ती सोच-समझकर बनाना, रास्ते में कोई कुछ भी दे, मत खाना, गेट देखकर खोलना..अब आप ही सोचिए..यदि हम उसे नहीं बताते तो क्या वो वही करता, जो आपने बता दिया है. जो बड़ा होता है वो अपने को ज्यादा ज्ञानी समझता है, जितना बड़ा पद होता है, उतना ही आटोमेटिक ज्ञानी होता जाता है, और उतनी ही सलाह देने लगता है, जो बेचारा छोटा होता है, उम्र में हो या पद में, उतनी ही सलाहें वो झेलता है, मुद्दे की बात ये है कि कभी खुद को भी advice देकर देखो, way of life बेहतर हो जाएगा। फिजूल की सलाह देकर अपना वक्त बर्बाद मत करो, बल्कि जो बेहतर सलाह मिले, उसे अपना लो...बाकी फिर.....इन्हें भी जरूर पढ़िए....bhootsotroyworld.blogspot.com whatsappup.blogspot.com