चेहरे का चाल से गहरा संबंध है और फिर चरित्र से..तीनों एक दूसरे से जुड़े हुए हैं..तीनों एक दूसरे को बनाते हैं और बिगाड़ते हैं..ये ही आपकी personality को उलझाते हैं और सुलझाते हैं। चेहरे के बाद अब बात करते हैं चाल की..अब यहां फिर बाहरी और भीतरी चाल दोनों को देखना होगा..बाहरी चाल हमें सबकी दिखती है..कोई भी कैसे चलता है..हमें नजर आता है, एक सेहतमंद व्यक्ति की चाल से समझ में आता है..उसमें स्फूर्ति होती है..उत्साह होता है..तेजी होती है..चाल सधी हुई होती है..एक बीमार व्यक्ति की चाल होती है..हम किसी भी अनजान शख्स को देखकर आमतौर पर समझ जाते हैं कि ये स्वस्थ है या बीमार है..कई बार तो पूछ ही लेते हैं कि इनको क्या हुआ है..क्या परेशानी है...शराबी की चाल देखकर आप समझ जाते हैं बल्कि ये भी अंदाजा लगा लेते हैं कि इसने कितनी पी रखी है...जितना लड़खड़ा रहा है..उसी हिसाब से आप आकलन कर लेते हैं..किसी को चोट लगी है तो पता चल जाता है...
उम्र के हिसाब से चाल भी बदलती जाती है..सेहत के हिसाब भी उसमें बदलाव आता जाता है..ये पुरुष के साथ भी होता है महिलाओं के साथ भी होता है..तो बाहरी चाल को हम समझ लेते हैं लेकिन असल चाल होती है भीतरी..जिसे आप हम नहीं देख सकते..जो हम चाल चलने वाले हैं..जो हम सोच रहे हैं..जो हम प्लानिंग कर रहे हैं..वो हमें भी पता है..सामने वाले को नहीं...सामने वाला आपके लिए कौन सी चाल सोचकर रखा है..ये आपको नहीं मालूम..असल चाल यही है जिसे हमें आपको समझना जरूरी है..कोई भी हो..कितने ही नजदीक हो..खास कर अनजान शख्स या अपने दुश्मन से तो आप पहले ही सतर्क रहते हैं..उस पर संदेह करते हैं कि ये कुछ गलत कर सकता है..भले ही वो न करे..लेकिन जिसे अपना समझते हैं..जिसके बारे में आप अपनी राय बना चुके होते हैं..उसकी भीतरी चाल को समझ गए तो ठीक वरना उसकी चाल आपको ज्यादा महंगी पड़ सकती है। हम जीवन में इसीलिए धोखा खाते हैं कि न तो उसके चेहरे को पढ़ पाए..न ही उसकी चाल समझ गए..जो चेहरे पर नकाब है..उसे ही हकीकत मान लिया और जो बाहरी चाल है..उसे ही असली चाल मान लिया..
हम जीवन में कई बार धोखा खाते हैं..कुछ लोग ज्यादा खाते हैं..अक्सर शिकार होते हैं तो कुछ लोग कम..जो कम धोखा खाते हैं..उनकी समझ जरूर बेहतर है..इसीलिए किसी व्यक्ति को अपना बनाने से पहले उसके चेहरे और चाल को नाप लेते हैं और फिर अपने लिए सामने वाली की रेटिंग तय कर व्यवहार करते हैं..उससे उतना ही नाता रखते हैं..या फिर दूरी बना लेते हैं..जो अक्सर धोखा खा जाते हैं..उन्हें किसी को परखने के लिए थोड़ा सा ध्यान देना होगा..सामने वाले के भाव को समझना होगा...हमारा आपका या किसी भी तीसरे शख्स का चरित्र चाल और चेहरे से ही तय होता है...बाकी फिर.....
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उम्र के हिसाब से चाल भी बदलती जाती है..सेहत के हिसाब भी उसमें बदलाव आता जाता है..ये पुरुष के साथ भी होता है महिलाओं के साथ भी होता है..तो बाहरी चाल को हम समझ लेते हैं लेकिन असल चाल होती है भीतरी..जिसे आप हम नहीं देख सकते..जो हम चाल चलने वाले हैं..जो हम सोच रहे हैं..जो हम प्लानिंग कर रहे हैं..वो हमें भी पता है..सामने वाले को नहीं...सामने वाला आपके लिए कौन सी चाल सोचकर रखा है..ये आपको नहीं मालूम..असल चाल यही है जिसे हमें आपको समझना जरूरी है..कोई भी हो..कितने ही नजदीक हो..खास कर अनजान शख्स या अपने दुश्मन से तो आप पहले ही सतर्क रहते हैं..उस पर संदेह करते हैं कि ये कुछ गलत कर सकता है..भले ही वो न करे..लेकिन जिसे अपना समझते हैं..जिसके बारे में आप अपनी राय बना चुके होते हैं..उसकी भीतरी चाल को समझ गए तो ठीक वरना उसकी चाल आपको ज्यादा महंगी पड़ सकती है। हम जीवन में इसीलिए धोखा खाते हैं कि न तो उसके चेहरे को पढ़ पाए..न ही उसकी चाल समझ गए..जो चेहरे पर नकाब है..उसे ही हकीकत मान लिया और जो बाहरी चाल है..उसे ही असली चाल मान लिया..
हम जीवन में कई बार धोखा खाते हैं..कुछ लोग ज्यादा खाते हैं..अक्सर शिकार होते हैं तो कुछ लोग कम..जो कम धोखा खाते हैं..उनकी समझ जरूर बेहतर है..इसीलिए किसी व्यक्ति को अपना बनाने से पहले उसके चेहरे और चाल को नाप लेते हैं और फिर अपने लिए सामने वाली की रेटिंग तय कर व्यवहार करते हैं..उससे उतना ही नाता रखते हैं..या फिर दूरी बना लेते हैं..जो अक्सर धोखा खा जाते हैं..उन्हें किसी को परखने के लिए थोड़ा सा ध्यान देना होगा..सामने वाले के भाव को समझना होगा...हमारा आपका या किसी भी तीसरे शख्स का चरित्र चाल और चेहरे से ही तय होता है...बाकी फिर.....
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