पीटर मुखर्जी, इंद्राणी मुखर्जी, शीना बोरा, राहुल, संजीव खन्ना, ड्राइवर और न जाने कितने किरदार..संबंधों का ऐसा ताना-बाना..जिसे देखकर..सुनकर हर कोई हैरान रह गया..क्योंकि इन संबंधों के बारे में पहले किसी को नहीं पता था..कई सालों से सब चल रहा था, मर्डर भी हो गया..उसके बाद ये संबंध निभ रहे थे..निभाए जा रहे थे..लेकिन किसी को भनक नहीं...तमाम किरदार..तमाम तरह के संबंधों से भरपूर किस्से..कुछ ऐसा ही नोएडा के आरुषि हत्याकांड में हुआ था..महीनों चला घटनाक्रम..
हर रोज नई तरह की खबरें..नए खुलासे..नए मोड़..टीवी चैनल पर भले ही ये किसी मसाला फिल्म जैसा लगे..हर रोज ब्रेकिंग न्यूज से आप भले ही रोमांचित हों..गली-मोहल्लों में डिस्कशन करते नजर आएं..लेकिन गहराई से सोचें तो ये 'संबंध' संबंध शब्द पर सवाल खड़े कर दें..आज की परिभाषा में संबंध..जिन घटनाक्रमों के लिए हो रहा है..वो वाकई सवाल और संदेह खड़ा करने वाला है।
पहले आज जैसे संबंध नहीं होते थे. जो अब बनाए जाते हैं..रिश्ते होते थे...जो निभाए जाते थे...पैसे कमाने की होड़..ग्लैमर का चस्का..हाई प्रोफाइल सोसायटी के छल प्रपंच और ढोंग के चक्कर में हम अपनी असलियत भूल गए..होड़ में ऐसे जुटते हैं कि केवल दो चीजों की चिंता रहती है..एक तो पैसा और दूसरा स्टेटस..इन दोनों के लिए कुछ भी करने की जिद..चाहे मेहनत करनी पड़े..चाहे साजिश-षडयंत्र करना पड़े..चाहे कुछ भी करना पड़े...ऊपर उठने के लिए हम कितने भी गिरने को तैयार हैं...हमें ये भी नहीं पता..कि पत्नी का मतलब क्या है..पति का मतलब क्या है..बेटी-बेटा क्या होते हैं..बाकी रिश्तों को छोड़ दीजिए...आखिर ये सब किस लिए लोग करते हैं..कर रहे हैं...
बस दो ही चीज है..पहला पैसा..दूसरा स्टेटस...इसके लिए किसी से भी शादी कर सकते हैं..कभी भी तलाक ले सकते हैं...कभी भी मर्डर कर सकते हैं..कुछ भी कर सकते हैं....बात वही आती है कि कितना भी कमा लो..पहले भी लिखा है कि अकेले ही आए हो..अकेले ही जाना है..खाली हाथ आए थे..खाली हाथ जाना है...फिर भी दिन-रात इस होड़ में न जिंदगी जी पाए..पैसा कमाने में लगे रहे..उसे संभालने में लगे रहे..उसे हथियाने में लगे रहे..उसे छीनने में लगे रहे...न सोए..न खाए..न स्वस्थ रहे..केवल कमाते गए..बटोरते गए..और जब धराशायी हुए..तो सारा मैल हो गया..खाली हो गए...जिंदगी जीने का मकसद ही खत्म हो गया...जो है..जितना है..जैसा है..जी लो..अच्छे से जी लो..खुद भी जीयो..दूसरों को भी जीने दो..तो बेहतर हो...बाकी फिर.....
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बस दो ही चीज है..पहला पैसा..दूसरा स्टेटस...इसके लिए किसी से भी शादी कर सकते हैं..कभी भी तलाक ले सकते हैं...कभी भी मर्डर कर सकते हैं..कुछ भी कर सकते हैं....बात वही आती है कि कितना भी कमा लो..पहले भी लिखा है कि अकेले ही आए हो..अकेले ही जाना है..खाली हाथ आए थे..खाली हाथ जाना है...फिर भी दिन-रात इस होड़ में न जिंदगी जी पाए..पैसा कमाने में लगे रहे..उसे संभालने में लगे रहे..उसे हथियाने में लगे रहे..उसे छीनने में लगे रहे...न सोए..न खाए..न स्वस्थ रहे..केवल कमाते गए..बटोरते गए..और जब धराशायी हुए..तो सारा मैल हो गया..खाली हो गए...जिंदगी जीने का मकसद ही खत्म हो गया...जो है..जितना है..जैसा है..जी लो..अच्छे से जी लो..खुद भी जीयो..दूसरों को भी जीने दो..तो बेहतर हो...बाकी फिर.....
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