नागपंचमी पर हम सांपों को दूध पिलाते हैं..लेकिन जिन सांपों को हम जीवन भर दूध पिला रहे हैं..उनका क्या करोगे?..जाने-अनजाने में हमने ऐसे सांप पालकर रखे हैं..और उन्हें जीवन की मेहनत की कमाई से दूध भी पिला रहे हैं..दूध पीकर वो मोटे-ताजे हो रहे हैं और आप दुबले हुए जा रहे हैं...हकीकत में सांप सीधा होता है..जब तक आप उसे नहीं छेड़ोगे..तब तक वो आपको नहीं छेड़ेगा लेकिन इंसान रूपी सांप जितने खतरनाक होते जा रहे हैं..उनसे कैसे निबटोगे..ये बात अलग है कि जब इन सांपों में जरूरत से ज्यादा..उनकी क्षमता से ज्यादा जहर भर जाता है तो अपने ही जहर से फट जाएंगे..कट जाएंगे और जब ऐसे सांप मरते हैं तो आप उनका क्रियाकर्म कर शमशान घाट पर फूंक आते हो।
कायदे की बात ये है कि जीवन में इन जहरीले सांपों को पहचानना है..उनसे दूरी बनाकर रखना है..उन्हें पालना नहीं है..और न ही उन्हें दूध पिलाना है...यदि आपने हमने इंसानों के भेष में पल रहे सांपों को पहचान लिया तो ठीक है... नहीं तो ऐसे सांप हमारी बर्बादी की वजह बनेंगे और बन रहे हैं। ऐसे सांपों का एक ही धर्म होता है कि भीतर ही भीतर इतना जहर पैदा करते हैं..और फिर जब जहर ज्यादा हो जाता है तो उसे उगलना शुरू कर देते हैं...काटने को दौड़ते हैं..आप भागोगे भी तो आपका पीछा करेंगे..आप कहीं भी होगे..आपके लिए जहर तैयार कर रहे होंगे..चाहे वो शब्दों के रूप में हों..चाहे आपकी शिकायत के रूप में हों..चाहे आपके खिलाफ साजिश के रूप में हो..चाहे आपके खिलाफ भड़काने के लिए हों..हर दिन हर वक्त इनका काम है जहर की पुड़िया तैयार करना..और उसे अपने में समाते जाना..जब अब निश्चिंत हो..जब आप बेपरवाह हो..जब आप अपने काम में जुटे हों..तो घात लगाकर वार करेंगे और मौत के जहर से अपने आगोश में ले लेंगे..चाहे ये मौत राजनीतिक हो..सामाजिक हो..आर्थिक हो..पारिवारिक हो..मानसिक हो...और फिर ये सांप दूसरे शिकार की ओर चल देते हैं...
लेकिन कहते हैं कि सांप सांप होता है जब जहर लेता है..जहर उगलता है तो उसका खुद का जीवन भी जहरीला होता है..जब जीवन ही जहर का पर्याय बन जाए तो क्या होगा?.. वो केवल जहर लेगा..जहर देगा और जहर ही उसकी दुनिया है..उसे जहर के बिना कुछ अच्छा नहीं लगता...इसलिए उसका जीवन तो जहर है ही..अपना मत बनाओ..ऐसे सांपों से बचो...दूरी बनाकर रखो..रास्ता बदल दो..और जब देखो कि सांप इतने पर नहीं मान रहा है..तो समझ लो कि अब उसके मरने की बारी है..उसका जहर इतना बढ़ गया है कि उससे नहीं संभल रहा है..और अपना जहर दूसरे को बांटने के बिना नहीं मानने वाला है तो ऐसे सांप को सतर्क होकर मार दो.ताकि उस को भी सदगति प्राप्त हो..और आपका जीवन में भी शांति हो...बाकी फिर.....
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लेकिन कहते हैं कि सांप सांप होता है जब जहर लेता है..जहर उगलता है तो उसका खुद का जीवन भी जहरीला होता है..जब जीवन ही जहर का पर्याय बन जाए तो क्या होगा?.. वो केवल जहर लेगा..जहर देगा और जहर ही उसकी दुनिया है..उसे जहर के बिना कुछ अच्छा नहीं लगता...इसलिए उसका जीवन तो जहर है ही..अपना मत बनाओ..ऐसे सांपों से बचो...दूरी बनाकर रखो..रास्ता बदल दो..और जब देखो कि सांप इतने पर नहीं मान रहा है..तो समझ लो कि अब उसके मरने की बारी है..उसका जहर इतना बढ़ गया है कि उससे नहीं संभल रहा है..और अपना जहर दूसरे को बांटने के बिना नहीं मानने वाला है तो ऐसे सांप को सतर्क होकर मार दो.ताकि उस को भी सदगति प्राप्त हो..और आपका जीवन में भी शांति हो...बाकी फिर.....
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