जीवन दर्शन देश नहीं विदेशों में भी पढ़ रहे हैं...ये हमारे लिए है..आपके लिए है..हम सबके लिए..जीवन को बेहतर बनाने के लिए..बड़ी खुशी होती है जब इसे पढ़ने वाले अपने कमेंट करते हैं..अपना नजरिया पेश करते हैं..क्योंकि हम मिलकर बेहतर सोच को विकसित कर सकते हैं..ये कोई खोज नहीं..ये कोई छिपाने की चीज नहीं..ये कोई छिप कर पढ़ने की नहीं..जो हमारे पास है..वो हमें दूसरों को देना है..जो दूसरे के पास है..उसे हमें लेना है..छानकर जीवन में अपनाना है..जो best है उसे ले लेना है..जो खराब है उसे नष्ट कर देना है..उसे त्याग देना है।
हमारे एक साथी ने जीवन दर्शन पर जो कमेंट लिखें हैं, उनका नाम श्री मयंक आर्य जी है..
मयंक जी ने डर बहुत लगता है...पर लिखा है.... इंसान को जिस कार्य को करने में तनिक भी भय लगे, उसे वह कार्य नहीं करना चाहिए।
इन ख्वाहिशों का अंत नहीं...पर लिखा है कि अक्षरस: सत्य।
माया और वासना व्यक्ति को मृत्यु के क्षण तक अंधकार में रखती है।
गिफ्ट तो बहाना है..पर लिखा है..ये जीवन स्वयं में ईश्वर का सर्वोत्तम उपहार है जबकि यह भी नश्वर है तो अन्य कोई भी उपहार कैसे बेहतर हो सकता है?
हम से अच्छा कौन है..पर लिखा है...ये तो स्वयं में प्रतिस्पर्धात्म प्रश्न है।
जो आपमें है वहीं सबमें भी है। जब सर्वत्र सिर्फ एक तत्व है तो वही तत्व खुद से अच्छा या बुरा कैसे हो सकता है?
खुदा कहें...ईश्वर कहें या वाहे गुरू। तत्व तो सब एक ही हैं।
कोशिश करने वालों की हार नहीं होती....पर लिखा है..पूर्ण सत्य।
जो जीता वहीं सिकंदर..पर लिखा है..प्रभु जो खाली हाथ चला गया वो सिकंदर भी इस दुनिया में नहीं जीता।
प्रतिस्पर्धा करने के लिए नहीं वरन् परम लक्ष्य की प्राप्ति को जीवन का लक्ष्य बनाएं।
हम जीते क्यों हैं..पर लिखा है...खुद को जानने के लिए यह जन्म मिला है। आत्म तत्व का बोध होते ही जीवन के प्रति मोह समाप्त हो जाता है।
अहंकार ले डूबता है...पर लिखा है...जब तक आप स्वयं को एक शरीर मानते हैं..राग, द्वेष, अनुराग, अभिमान व अहंकार साथ रहते हैं। अपने आत्मस्वरूप की प्राप्ति होते ही ये सभी भावनाएं नष्ट हो जाती हैं।
गुस्सा क्यों आता है...पर लिखा है...चाहत जब आहत होती है तो व्यक्ति को क्रोध आता है।
वाकई जो comment हैं वो भीतर उतारने वाले हैं..ये सार है जो कुछ मैंने लिखा है..सोचा है..देखा है...सुना है..महसूस किया है..ऐसा नहीं है ये आपने भी किया होगा..लेकिन जो सार है वो यही है..यही सही नजरिया है जीवन दर्शन का..यही है way of life for best of life के लिए...बाकी फिर....
.ये भी पढ़िए..bhootstoryworld.blogspot.com whatappup.blogspot.com
हमारे एक साथी ने जीवन दर्शन पर जो कमेंट लिखें हैं, उनका नाम श्री मयंक आर्य जी है..
मयंक जी ने डर बहुत लगता है...पर लिखा है.... इंसान को जिस कार्य को करने में तनिक भी भय लगे, उसे वह कार्य नहीं करना चाहिए।
इन ख्वाहिशों का अंत नहीं...पर लिखा है कि अक्षरस: सत्य।
माया और वासना व्यक्ति को मृत्यु के क्षण तक अंधकार में रखती है।
गिफ्ट तो बहाना है..पर लिखा है..ये जीवन स्वयं में ईश्वर का सर्वोत्तम उपहार है जबकि यह भी नश्वर है तो अन्य कोई भी उपहार कैसे बेहतर हो सकता है?
हम से अच्छा कौन है..पर लिखा है...ये तो स्वयं में प्रतिस्पर्धात्म प्रश्न है।
जो आपमें है वहीं सबमें भी है। जब सर्वत्र सिर्फ एक तत्व है तो वही तत्व खुद से अच्छा या बुरा कैसे हो सकता है?
खुदा कहें...ईश्वर कहें या वाहे गुरू। तत्व तो सब एक ही हैं।
कोशिश करने वालों की हार नहीं होती....पर लिखा है..पूर्ण सत्य।
जो जीता वहीं सिकंदर..पर लिखा है..प्रभु जो खाली हाथ चला गया वो सिकंदर भी इस दुनिया में नहीं जीता।
प्रतिस्पर्धा करने के लिए नहीं वरन् परम लक्ष्य की प्राप्ति को जीवन का लक्ष्य बनाएं।
हम जीते क्यों हैं..पर लिखा है...खुद को जानने के लिए यह जन्म मिला है। आत्म तत्व का बोध होते ही जीवन के प्रति मोह समाप्त हो जाता है।
अहंकार ले डूबता है...पर लिखा है...जब तक आप स्वयं को एक शरीर मानते हैं..राग, द्वेष, अनुराग, अभिमान व अहंकार साथ रहते हैं। अपने आत्मस्वरूप की प्राप्ति होते ही ये सभी भावनाएं नष्ट हो जाती हैं।
गुस्सा क्यों आता है...पर लिखा है...चाहत जब आहत होती है तो व्यक्ति को क्रोध आता है।
वाकई जो comment हैं वो भीतर उतारने वाले हैं..ये सार है जो कुछ मैंने लिखा है..सोचा है..देखा है...सुना है..महसूस किया है..ऐसा नहीं है ये आपने भी किया होगा..लेकिन जो सार है वो यही है..यही सही नजरिया है जीवन दर्शन का..यही है way of life for best of life के लिए...बाकी फिर....
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