Monday, August 24, 2015

क्या सोच कर परेशान हो जाते हैं?

गूगल के प्रमुख सुंदर पिचाई की एक स्पीच चर्चाओं में हैं..खासकर आईआईएम और आईआईटी के छात्रों ने इसे बड़ा पसंद किया है..उन्होंने एक वाक्या सुनाया कि एक रेस्टोरेंट में कुछ महिलाएं लंच ले रही थीं..तभी एक काक्रोच न जाने कहां से आ गया..वो एक महिला के ऊपर बैठा तो उसने पूरे रेस्टोरेंट में अफरातफरी फैला दी और चीख चिल्लाहट के बाद काक्रोच दूसरी महिला पर जाकर बैठ गया..फिर तीसरे पर..चौथे पर..काफी देर तक हंगामा चलता रहा है..तभी काक्रोच एक वेटर के ऊपर जा पहुंचा..वेटर शांत रहा..जहां था..वहीं खड़ा रहा..कोई पैनिक नहीं फैलाया और आराम से उस काक्रोच को अपनी गिरफ्त में ले लिया..

मेरे एक परिचित हैं वो भी कुछ ऐसे ही वाक्या सुना रहे थे..वो एक बार बचपन में गांव में थे..तालाब में डूबते-डूबते बचे और आज का दिन है..पचास साल के हो गए हैं लेकिन तैरने की बात तो दूर...पानी में जाने से अब भी डर लगता है...यहां तक कि वाटर पार्क के स्वीमिंग पूल में भी नहीं घुसते...उनकी पत्नी की दूसरी समस्या है..उन्हें छिपकली से डर लगता है..बचपन में उन्हें किसी ने एक किस्सा सुनाया कि एक छिपकली किसी बच्चे के ऊपर सोते में चढ़ गई और फिर पूरे बदन में उसके जहर फैल गया..फफोले पड़ गए..और उसकी मौत हो गई...तबसे आज का दिन है..छिपकली देखते ही उनकी चीख निकल जाती है...

मैं पास के पार्क में टहलने जाता था..एक बार उस पार्क में एक लाश टंगी हुई थीं..ये किस्सा जिस दिन बेटी को सुनाया..तबसे बेटी उस पार्क के पास से गुजरने में भी डरने लगी।यहां तक कि उसे काफी समझाने के बाद भी नहीं मानती..और उस पार्क के बगल से निकलने में डर लगने लगता है।
खास तौर से बचपन में जो भ्रम..असलियत हमारे दिमाग में छप जाती है..उसे बहुत कम लोग ही निकाल पाते हैं..और वही छवि..वही तस्वीर हम जीवन भर ढोते हैं..यहां तक कि किसी व्यक्ति के बारे में..किसी वस्तु के बारे में..किसी पशु-पक्षी के बारे में...किसी वाहन के बारे में...कई लोग हैं जो प्लेन से सफर नहीं करते..कई लोग हैं जो कभी वाहन नहीं चलाते..कई लोग हैं जो किसी शख्स का नाम लेते ही बौखला जाते हैं...
असलियत है तो उसे जरूर मानना चाहिए लेकिन भ्रम है तो उसे दूर करना चाहिए..क्योंकि इसी भ्रम के चलते कई बार हम अपना नुकसान कर बैठते हैं..गलत धारणा बना लेते हैं..परेशान हो जाते हैं और अपने को कमजोर कर लेते हैं..यही कमजोरी हमारे जीवन की तेजी को..उत्साह को धीमा कर देती है..जितने ज्यादा भ्रम..उलझनें..धारणाएं हम बनाकर चलेंगे..उतना ही कष्ट में रहेंगे...बाकी फिर....
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