अब बात आती है कि दिमाग कैसे तेज हो, इसकी चाबी भी हमारे ही पास है, केवल सोचने से काम नहीं चलता, कई लोग ज्यादा सोचते हैं, इतना सोचते हैं कि उसी में परेशान हो जाते हैं और होते रहते हैं, उलझनों को मत दिल और दिमाग में बिठाईए, brain में हमेशा नई ऊर्जा होनी चाहिए, आगे बढ़ने की, नया करने की, मेहनत करने की, संघर्ष करने की, इतना भी मत सोचें कि brain पर बोझ लद जाए, क्या करें, क्या न करें, ये भी कर लें, वो भी कर लें, ज्यादा सोच-विचार कर लिया तो brain फट जाएगा, पहले खुद का आकलन करें कि आपकी क्षमता कितनी है, कितना आगे तक जा सकते हैं, कितना धैर्य रख सकते हैं, कितने positive हैं, कितनी मेहनत कर सकते हैं, कितना time दे सकते हैं, जितना बेहतर अपना आकलन करेंगे, दिमाग उसी दिशा में हमें आगे बढ़ाएगा, काम करने की इजाजत देगा, उसके हिसाब से ही brain plan बनाएगा और उसे अमल में लाने की प्रक्रिया शुरू करेगा।
न तो जल्दबाजी से काम होगा और न ही जरूरत से ज्यादा तनाव लेकर, जिस काम में जितना वक्त लगना है, लगेगा, उसे वक्त से पहले पूरा करने की कोशिश करेंगे तो अपने को शारीरिक और मानसिक रूप से नुकसान पहुंचा बैठेंगे, यही नहीं काम या तो अधूरा रह जाएगा या फिर बिगड़ जाएगा।
जब हम सुबह उठते हैं तो हमारा दिल-दिमाग दोनों fresh होते हैं और जैसे-जैसे वक्त बीतता जाता है, दिमाग में तमाम उलझनें, समस्याएं, विचार store होना शुरू हो जाते हैं, ये हमारे ऊपर है कि हम छोटी-छोटी बातों को,
समस्याओं को दिमाग में बैठने ही न दें, brain को केवल उस project पर focus करें जो हमारी life को बेहतर करने वाला है, हमारे future को बेहतर बनाने वाला है, emotional होकर बैठ जाएंगे तो दिमाग पर दिल हावी हो जाएगा, भावुकता में बहे तो दिमाग शांत हो जाएगा, इसलिए दिमाग को सक्रिय रखें, केवल positive सोचें और उसे इतना मजबूत बनाएं कि हम अपने काम को अच्छे से अंजाम दें, step by step आगे बढ़ें, जो problem आ रही है, उसे दूर करें, और मिशन पर आगे बढ़ते जाएं। हमेशा मंजिल को दिमाग में बिठाएंगे, पड़ाव पर न रुक जाएं, चाहे वो पढ़ाई हो, बिजनेस हो, नौकरी हो या फिर कोई मिशन, ऐसे तमाम शख्स हैं जो शुरूआत में एक से चले थे आज सौ पर हैं, चाहे वो फिल्म अभिनेता हों, खिलाड़ी हों,क्रिकेटर हों, राजनेता हों, बिजनेसमेन हों, या फिर समाज सेवी हों। कोई भी क्षेत्र हो, सालों की मेहनत की मेहनत, प्लानिंग और संघर्ष के बाद मुकाम हासिल हो पाता है। हमें इनकी केवल मेहनत या नाम दिखता है लेकिन दिमाग को कैसे चलाया जाता है, कैसे सोच पैदा की जाती है, कैसे अमल में लाया जाता है, ये उनसे पूछिए, तो दिमाग को खुला रखें, अच्छा सोचें, उतना ही जितना आप कर सकते हैं, और फिर उसे अंजाम देने में जुट जाए, कामयाबी जरूर मिलेगी...बाकी फिर...ये भी पढ़िए..bhootstoryworld.blogspot.com whatappup.blogspot.com