सुंदर पिचाई गूगल के सीईओ बन गए, भारत में कुछ लोग उन्हें बधाई दे रहे हैं, भारत की शान मान रहे हैं,इतनी कम उम्र में गूगल का प्रमुख बनने को बड़ी बात मान रहे हैं, तो कुछ लोगों के पेट में दर्द हो रहा है..उनका कहना है कि बन गए तो क्या हुआ..कौन सा भारत के लिए बने हैं, खुद की कमाई के लिए बने हैं, भारत के लिए क्या कर रहे हैं?
दोनों पक्ष हैं, दोनों के अपने तर्क हैं, कौन सही है, कौन गलत है, ये हमारी अपनी सोच है, हर कोई अपने तरीके से सोचता है, कुछ लोग धरातल पर बात करते हैं, कुछ लोग बौद्धिक हैं, लेकिन आम आदमी की सोच क्या है, भारत में सौ में से 95 तो आम आदमी ही होगा, वो क्या सोचता है, वो ये सोचता है कि सबसे पहले रोजी-रोटी कमानी है, अपने परिवार का पेट पाल लें, इसके बाद आगे की देखेंगे, तो सीधी सी बात है कि हर कोई सबसे पहले कमाई की सोचता है और अगर वो ईमानदारी से और मेहनत से कमाई की सोचता है तो गलत नहीं है, सुंदर पिचाई ने कितनी मेहनत से पढ़ाई की, आईआईटी के बाद विदेश गए और गूगल में सालों तक नौकरी के बाद वो प्रमुख बन गए..तो क्या गलत कर दिया..अगर वो मेहनत, ईमानदारी और अपने पाजिटिव दिमाग से कमाई कर रहे हैं तो गलत क्या है? उनसे तो अच्छे हैं तो जो हमारे देश में धूर्तता से पैसे कमा रहे हैं, उन ढोंगी बाबाओं से तो अच्छे हैं जो दूसरों की मेहनत कमाई को धूल झोंक कर लूट रहे हैं, जो झूठ बोल रहे हैं, ब्रेन वाश कर रहे हैं, उनसे तो अच्छे हैं जो भ्रष्टाचार की काली कमाई से संपत्तियां बना रहे हैं और अपने बच्चों को विदेश पढ़ाई के लिए या फिर बिजनेस के लिए भेज रहे हैं, उनसे तो अच्छे हैं जो नेता जनता की कमाई को लूट रहे हैं..।
यदि सुंदर पिचाई को इतना पैसा भारत में मिल रहा होता तो वो विदेश क्यों जाते, यदि यहां ईमानदारी और मेहनत की पूजा होती तो विदेश का रुख कोई क्यों करे...देश में ऐसे कितने लोग हैं जो केवल समाजसेवा और दान कर जीवन जी रहे हैं..जाहिर हैं कि जब कमाएंगे नहीं तो दान कैसे करोगे?
प्रधानमंत्री का भी दर्द है कि हमारे होनहार विदेशों में धूम मचा रहे हैं, सब कुछ बना रहे हैं..सब कुछ चला रहे हैं..चाहे सत्या नडेला हो या इंदिरा नुई..या फिर सुंदर पिचाई..तो हमारे यहां क्यों नहीं हुआ..हम क्यों googleनहीं बना पाए..हम क्यों microsoft नहीं बना पाए..हम क्यों master card या visaनहीं बना पाए..हम क्यों facbook. या फिर yahoo नहीं बना पाए और नहीं बना पाए तो अब सोच लें...सुंदर पिचाई को यहां ले आएं..जितने पैसे ले रहे हैं उससे दोगुना दे दें..कम से देश का तो भला हो जाएगा..हमारा और आपका भी भला हो जाएगा..आज हम भी तो गूगल पर टिके हैं..याहू पर टिके हैं..फेसबुक और whatsapp पर टिके हैं। उसी पर निर्भर हैं जो गूगल बताएगा..वही मानेंगे, गूगल के बिना न भारत सरकार का गुजारा है और न हमारा आपका...गूगल चाहे कमाई कर रहा हो, चाहे विदेशी हो..कम से कम इतनी तो गैरत है कि गूगल पर हम गूगल के बारे में भी कुछ भी लिख रहे हैं..तो फिर सुंदर पिचाई यदि गूगल के प्रमुख बन गए तो क्या गलत हो गया....कम से कम कुछ दे ही रहे हैं..ले तो नहीं रहे हैं..बाकी फिर.....
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दोनों पक्ष हैं, दोनों के अपने तर्क हैं, कौन सही है, कौन गलत है, ये हमारी अपनी सोच है, हर कोई अपने तरीके से सोचता है, कुछ लोग धरातल पर बात करते हैं, कुछ लोग बौद्धिक हैं, लेकिन आम आदमी की सोच क्या है, भारत में सौ में से 95 तो आम आदमी ही होगा, वो क्या सोचता है, वो ये सोचता है कि सबसे पहले रोजी-रोटी कमानी है, अपने परिवार का पेट पाल लें, इसके बाद आगे की देखेंगे, तो सीधी सी बात है कि हर कोई सबसे पहले कमाई की सोचता है और अगर वो ईमानदारी से और मेहनत से कमाई की सोचता है तो गलत नहीं है, सुंदर पिचाई ने कितनी मेहनत से पढ़ाई की, आईआईटी के बाद विदेश गए और गूगल में सालों तक नौकरी के बाद वो प्रमुख बन गए..तो क्या गलत कर दिया..अगर वो मेहनत, ईमानदारी और अपने पाजिटिव दिमाग से कमाई कर रहे हैं तो गलत क्या है? उनसे तो अच्छे हैं तो जो हमारे देश में धूर्तता से पैसे कमा रहे हैं, उन ढोंगी बाबाओं से तो अच्छे हैं जो दूसरों की मेहनत कमाई को धूल झोंक कर लूट रहे हैं, जो झूठ बोल रहे हैं, ब्रेन वाश कर रहे हैं, उनसे तो अच्छे हैं जो भ्रष्टाचार की काली कमाई से संपत्तियां बना रहे हैं और अपने बच्चों को विदेश पढ़ाई के लिए या फिर बिजनेस के लिए भेज रहे हैं, उनसे तो अच्छे हैं जो नेता जनता की कमाई को लूट रहे हैं..।
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प्रधानमंत्री का भी दर्द है कि हमारे होनहार विदेशों में धूम मचा रहे हैं, सब कुछ बना रहे हैं..सब कुछ चला रहे हैं..चाहे सत्या नडेला हो या इंदिरा नुई..या फिर सुंदर पिचाई..तो हमारे यहां क्यों नहीं हुआ..हम क्यों googleनहीं बना पाए..हम क्यों microsoft नहीं बना पाए..हम क्यों master card या visaनहीं बना पाए..हम क्यों facbook. या फिर yahoo नहीं बना पाए और नहीं बना पाए तो अब सोच लें...सुंदर पिचाई को यहां ले आएं..जितने पैसे ले रहे हैं उससे दोगुना दे दें..कम से देश का तो भला हो जाएगा..हमारा और आपका भी भला हो जाएगा..आज हम भी तो गूगल पर टिके हैं..याहू पर टिके हैं..फेसबुक और whatsapp पर टिके हैं। उसी पर निर्भर हैं जो गूगल बताएगा..वही मानेंगे, गूगल के बिना न भारत सरकार का गुजारा है और न हमारा आपका...गूगल चाहे कमाई कर रहा हो, चाहे विदेशी हो..कम से कम इतनी तो गैरत है कि गूगल पर हम गूगल के बारे में भी कुछ भी लिख रहे हैं..तो फिर सुंदर पिचाई यदि गूगल के प्रमुख बन गए तो क्या गलत हो गया....कम से कम कुछ दे ही रहे हैं..ले तो नहीं रहे हैं..बाकी फिर.....
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