कोई कैसे नेता बन जाता है..इस वक्त हार्दिक पटेल मीडिया में छाए हुए हैं..22-23 साल उम्र..गुजरात में धूम मचा दी है..गुजरात में क्या देश भर में धमक हो गई है..मीडिया में सुबह से शाम चर्चा छिड़ी हुई है..कौन है हार्दिक पटेल..कहां से आया..क्या बैकग्राउंड..कौन माता-पिता..कौन है इसके पीछे...कैसे बन गया इतना बड़ा नेता..क्या ये दूसरी केजरीवाल है..इस तरह की तमाम बहस छिड़ी हुई है...
इसके पहले केजरीवाल को लेकर भी यही सब हुआ था..केजरीवाल कौन हैं..कहां से आए..कैसे बने इतने बड़े नेता..कौन हैं इनके पीछे..अगर और पीछे लौट जाएं..तो ये पहली बार नहीं हुआ है..पुराने सालों में भी ये सब हुआ है..हां..पहले टीवी नहीं था..सोशल मीडिया नहीं था..इसलिए केवर न्यूज पेपर के जरिए या फिर रेडियो के जरिए जो खबर मिलती थी..वो पढ़ लेते थे..लेकिन अब सब तात्कालिक है..तूफान आता है और बहकर एक दो दिन हफ्ते भर में बहके चला जाता है इसके बाद दूसरी खबर के हाथ पैर सिर.आंखें..अंतड़ियों तक की खबरें आपके सामने आ जाती हैं..जयप्रकाश नारायण के वक्त से मुझे याद है.अटल बिहारी वाजपेयी...लालू यादव..मुलायम सिंह...उमाभारती..कांशीराम..मायावती, ममता बनर्जी..शिवराज सिंह चौहान..जैसे तमाम नाम हैं..लंबी लिस्ट है..इनमें से कुछ पहले छोटे नेता बने और धीरे-धीरे बड़े नेता बने..तो कुछ बिलकुल आम परिवार से..आम आदमी से बड़े नेताओं में शुमार हो गए..हां ये बात जरूर है कि केजरीवाल और हार्दिक पटेल ऐसे उदाहरण हैं जो इतने तेजी से उभरे..तो इसके पीछे आज की मीडिया और सोशल मीडिया है..जो अपने कंपटीशन में सुबह से लेकर रात तक सारा निचोड़ देना चाहती है..और इतना निचोड़ती है कि एक दिन में ही सैकड़ों चैनल..सोशल मीडिया..करोड़ों तक अपनी आवाज पहुंचा देती है।
अब सवाल ये है कि ये नेता कैसे बने..जब आप जनता की हित की बात करते हैं तो जाहिर है कि जनता आपके पीछे होगी..जब आप जनता के लिए संघर्ष करते हैं तो वो आपको लीडर बनाएगी..जब आप फुल टाइम..संघर्ष..मेहनत..प्रचार..प्रसार..सोच-विचार करते हैं तो जनता आपका साथ देगी..उसे जब लगता है कि ये शख्स मुझे कुछ फायदा दिलाएगा..तो उसे वो अपने सिर माथे पर बिठा लेती है..जाहिर है कि हार्दिक के पास अभी खोने के लिए कुछ नहीं है..वो भी उसी जनता के एक नुमाइंदे हैं..और उनके हित की बात कर रहे हैं..ये बात अलग है कि उनका जो हित है वो बाद में सामने आएगा...इसलिए जब तक आप सड़क पर होते हैं..आप सबके होते हैं जब आप सत्ता के महल में होते हैं तो हकीकत से रुबरू होते हैं..तुलना का सामना करते हैं...इसलिए जब हम कुछ नहीं कर पाते हैं..तो हम अपना नेता बनाते हैं...बाकी फिर...
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इसके पहले केजरीवाल को लेकर भी यही सब हुआ था..केजरीवाल कौन हैं..कहां से आए..कैसे बने इतने बड़े नेता..कौन हैं इनके पीछे..अगर और पीछे लौट जाएं..तो ये पहली बार नहीं हुआ है..पुराने सालों में भी ये सब हुआ है..हां..पहले टीवी नहीं था..सोशल मीडिया नहीं था..इसलिए केवर न्यूज पेपर के जरिए या फिर रेडियो के जरिए जो खबर मिलती थी..वो पढ़ लेते थे..लेकिन अब सब तात्कालिक है..तूफान आता है और बहकर एक दो दिन हफ्ते भर में बहके चला जाता है इसके बाद दूसरी खबर के हाथ पैर सिर.आंखें..अंतड़ियों तक की खबरें आपके सामने आ जाती हैं..जयप्रकाश नारायण के वक्त से मुझे याद है.अटल बिहारी वाजपेयी...लालू यादव..मुलायम सिंह...उमाभारती..कांशीराम..मायावती, ममता बनर्जी..शिवराज सिंह चौहान..जैसे तमाम नाम हैं..लंबी लिस्ट है..इनमें से कुछ पहले छोटे नेता बने और धीरे-धीरे बड़े नेता बने..तो कुछ बिलकुल आम परिवार से..आम आदमी से बड़े नेताओं में शुमार हो गए..हां ये बात जरूर है कि केजरीवाल और हार्दिक पटेल ऐसे उदाहरण हैं जो इतने तेजी से उभरे..तो इसके पीछे आज की मीडिया और सोशल मीडिया है..जो अपने कंपटीशन में सुबह से लेकर रात तक सारा निचोड़ देना चाहती है..और इतना निचोड़ती है कि एक दिन में ही सैकड़ों चैनल..सोशल मीडिया..करोड़ों तक अपनी आवाज पहुंचा देती है।
अब सवाल ये है कि ये नेता कैसे बने..जब आप जनता की हित की बात करते हैं तो जाहिर है कि जनता आपके पीछे होगी..जब आप जनता के लिए संघर्ष करते हैं तो वो आपको लीडर बनाएगी..जब आप फुल टाइम..संघर्ष..मेहनत..प्रचार..प्रसार..सोच-विचार करते हैं तो जनता आपका साथ देगी..उसे जब लगता है कि ये शख्स मुझे कुछ फायदा दिलाएगा..तो उसे वो अपने सिर माथे पर बिठा लेती है..जाहिर है कि हार्दिक के पास अभी खोने के लिए कुछ नहीं है..वो भी उसी जनता के एक नुमाइंदे हैं..और उनके हित की बात कर रहे हैं..ये बात अलग है कि उनका जो हित है वो बाद में सामने आएगा...इसलिए जब तक आप सड़क पर होते हैं..आप सबके होते हैं जब आप सत्ता के महल में होते हैं तो हकीकत से रुबरू होते हैं..तुलना का सामना करते हैं...इसलिए जब हम कुछ नहीं कर पाते हैं..तो हम अपना नेता बनाते हैं...बाकी फिर...
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