Friday, August 7, 2015

चाल, चरित्र और चेहरा-1

आप किसी भी शख्स की पहचान कैसे करते हैं, कैसे उसके बारे में राय बनाते हैं और भविष्य में उसके साथ किस तरह का व्यवहार करते हैं...चाल, चरित्र और चेहरा..कहने को ये तीन शब्द हैं, लेकिन इनके अर्थ गहरे हैं और अगर इनके भाव को समझ लें तो हम अपने आसपास के लोगों से रिश्ते बनाने और बिगाड़ने में मदद कर सकते हैं..जितने ठीक तरह से समझेंगे..उतने ही हम जीवन के बेहतर रास्ते यानि way of life की ओर बढ़ेंगे..ये तीनों शब्द हमारे लिए भी लागू होते हैं और हमारी भी पहचान..शख्सियत और सम्मान इनसे तय होता है।


सबसे पहले बात करते हैं चेहरे की...चेहरे से जब नकाब उठेगा? इस पर हम पहले ही चर्चा कर चुके हैं..चेहरे पर हम सब हर रोज कई चेहरे पहन लेते हैं..मेकअप से इतना बेहतर face नहीं बना सकते..जितना हम अपने विचारों..भावों और व्यवहार से पहन लेते हैं जो दूसरों को बिलकुल वास्तविक लगता है लेकिन हम भीतर से जानते हैं कि जो दिख रहा है वो असल चेहरा नहीं है..इसीलिए जब कोई शिक्षक, कोई रिश्तेदार, पड़ोसी..जान-पहचान वाला किसी बच्ची से गलत हरकत करता है तो हमें पता नहीं चलता..जब हमारा अपना ही कोई ठग लेता है..धोखा दे देता है...जब हमारा ही बच्चा..पति-पत्नी हम एक दूसरे से झूठ बोल देते हैं..और जब पता चलता है तब आप समझते हैं कि हमारे चेहरे पर कितने नकाब हैं जो दिखते नहीं है...चेहरा वक्त के हिसाब से बदलता है..जगह के हिसाब से बदलता है, व्यक्ति के हिसाब से बदलता है..मौसम और माहौल के हिसाब से बदलता है..जब हम घर में होते हैं तो कुछ और होते हैं..जब दफ्तर में होते हैं तो कुछ और होते हैं..जब हम public place में होते हैं तो कुछ और होते हैं...आराम के वक्त चेहरा कुछ और होता है..काम के वक्त कुछ और होता है...तनाव के वक्त कुछ और होता है...बच्चों के साथ हमारा चेहरा अलग होता है..पत्नी के साथ अलग..भाई-बहन और माता-पिता के साथ अलग..दोस्तो के साथ अलग...
चेहरा..जो ऊपर से हम देखते हैं..उससे बहुत कुछ समझ में आ जाता है जैसे सामने वाला खुश है..दुखी है..गुस्से में हैं..तनाव में हैं..घमंड में है..भावुक है...ये तो हमें दिखता है..जब शख्स जो कुछ दिखाना चाहता है..वो आप उसके चेहरे के जरिए दिखा देता है..जता देता है और आप उसे मान लेते हैं लेकिन असल चेहरा वो है जो वो दिखाता नहीं है..ये हम देख नहीं सकते..जो वो face के पीछे छिपाए हैं..अपनी आंखों से जो भाव उसके भीतर पल रहे हैं..वो हम आप नहीं आसानी से नहीं समझ सकते...
 चेहरे का असल भाव हम तब समझ पाते हैं जब वो अपनी चाल में कामयाब हो जाता है..चेहरे का चाल के साथ गहरा नाता है..चेहरा और चाल से ही चरित्र बनता है..तीनों एक दूसरे से जुड़े हुए हैं..अभी हम केवल चेहरे की बात कर रहे हैं..चेहरे में भी सबसे अहम रोल आंख का है जो आंखें देखती हैं..पढ़ती हैं..गढ़ती हैं..वही उसकी चाल और चरित्र में शामिल हो जाता है। इसीलिए जब हम किसी के बारे में राय बनाते हैं...रिश्ते बनाते हैं..दोस्ती करते हैं और अपने किसी को सम्मान देते हैं तो सोच-समझ कर...चाल..चरित्र और चेहरा के भाव समझ कर..हमारे जीवन में कई बार ऐसे मौके आते हैं जब हम कहते हैं कि रिश्ता बदल गया..दोस्त बदल गया...उसका व्यवहार बदल गया...लेकिन कुछ लोग हमारे जीवन में ऐसे भी होते हैं जिनके बारे में जीवन में कभी राय नहीं बदलती..और उन्हीं से आप समझ सकते हैं कि आपने उनके चाल चरित्र और चेहरे को सही पढ़ा है..गढ़ा हैं...आगे बात करेंगे चाल की..और उसके बाद चरित्र की...बाकी फिर......
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