Wednesday, August 19, 2015

काम क्यों बिगड़ जाता है ?

एक परिचित बड़े बिजनेस मैन हैं..अचानक एक दिन उनके यहां बड़ा हादसा हुआ...तीन मंजिला मकान में आग लग गई...घर से ही बिजनेस चल रहा था...अच्छा खासा कारोबार था..सब कुछ जलकर खाक हो गया...लाखों का सामान बर्बाद हो गया..मकान को भी नुकसान पहुंचा..गनीमत ये रही कि परिवार के सारे शख्स बच गए..दो लोग घर में थे..कूंद-फांद कर बचा लिए गए...जब ये घटना हुई तो सारे लोगों ने कहा कि जो हुआ सो हुआ..भगवान का लाख-लाख शुक्रिया कि सारे लोग सुरक्षित हैं...कारोबार तो फिर खड़ा हो जाएगा..

इस घटना के बाद कुछ दिन निकलने के बाद उनकी सबसे बड़ी चिंता ये थी कि कारोबार को कैसे चलाया जाए...खासा पैसा बर्बाद हो चुका था..मन में अजीब सी अनहोनी का डर समा चुका था..सो किसी ने सलाह दी कि आपका वक्त खराब चल रहा है..जरूर कुछ न कुछ पनौती है..अपनी कुंडली दिखाओ...नहीं तो ऐसे अचानक आग लगने का कोई कारण नहीं बनता है...जरूर ग्रह दशा में कुछ गड़बड़ है..जब कई लोग बोलते हैं तो हमारे आपके मन में भी वही धारणा बनती है...और ज्योतिषी की शरण ले लेते हैं..ज्योतिषी के पास जाओगे तो शायद ही कोई ज्योतिषी ये बताए कि नहीं आपकी ग्रह दशा ठीक है..ऐसे ही भले ही आप बिलकुल चंगे हो..डाक्टर के पास जाओगे..टेस्ट कराओगे तो शायद ही दुनिया का कोई इंसान बिलकुल सेहतमंद निकले...उन्हें भी ज्योतिषी ने बताया कि वक्त आपका ठीक नहीं है..इसलिए हवन-पूजा कराओ...हाथ में पुखराज पहनो...और भी कई धार्मिक विधि-विधान बताए..
बेचारे..पहले ही से ही आर्थिक तंगी से परेशान थे..ज्योतिषी ने हजारों का खर्च बता दिया..घरवालों ने कहा कि ये तो करना है..चाहे जैसे करो..कर्जा ले लो...तो दबाव में उन्होंने ये भी कर डाला...अब वो कर्जे को लेकर परेशान हैं..
ये उदाहरण इसलिए दिया कि जब तक सब अच्छा होता है..तब तक हम अपना वक्त अच्छा मानते हैं..जब काम बिगड़ जाता है..कोई अनहोनी हो जाती है...तो हम मानते हैं कि ये सब ग्रह दशा की वजह से हो रहा है...जैसे घर में चोरी हो जाए..बच्चा परीक्षा में फेल हो जाए...बिजनेस में नुकसान हो जाए...नौकरी में तरक्की न हो..या नौकरी छूट जाए...एक्सीडेंट हो जाए..जीवन है तो जीवन में अलग-अलग रंग हैं..अलग-अलग अच्छी और बुरी घटनाएं हैं...जिनसे हमें ही निपटना हैं..हमें ही नैया पार लगाना है...अपने कर्म से..अपनी मेहनत से...उनसे जूझना है...डरना नहीं है..निराश नहीं होना है..क्योंकि अगर आप जीतना चाहोगे तो जीतोगे..निराश होगे तो हार जाओगे..और हारे हुए का कोई साथ नहीं देता..ज्योतिष क्या भगवान भी कुछ नहीं करेगा...हर बार काम नहीं बनता है..हमेशा अच्छा नहीं होता..हमेशा अनहोनी नहीं होती..इसलिए जो हुआ..सो हुआ..उसे मत साथ लो..जो आगे करना है..उसे साथ लो..और आगे बढ़ो..इसी में हमारी भलाई है..बाकी फिर.....
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