Tuesday, September 8, 2015

चेहरे को पढ़ना सीखिए....

शहर-हैदराबाद..एक 18 साल की लड़की..दूसरी 21 साल की लड़की...दोनों घर से अचानक लापता हो गईं..घर-परिवार परेशान..नाते-रिश्तेदार..आस-पड़ोस सब चिंतित...आखिर कहां गईं लड़कियां...पुलिस में रिपोर्ट लिखा दी गई..लेकिन कई दिन बीत गए...पुलिस भी उनका पता लगा पाने में नाकाम..आजकल पुलिस के पास किसी को सर्च करने का सबसे बड़ा हथियार..मोबाइल...और सोशल मीडिया है....दोनों लड़कियां का मोबाइल सर्विलांस पर लगाया गया..लेकिन फोन बंद..पुलिस भी हैरान-परेशान..परिवार वाले पुलिस पर आरोप लगाने लगे कि वो नाकाम है..लापरवाह है..मानवाधिकार संगठनों के पास जाने की कोशिश हुई...

अचानक पुलिस को पता चला कि इन दोनों लड़कियों के मोबाइल हैदराबाद में ही किसी दुकान पर बेचे गए हैं..अब पुलिस के लिए मोबाइल का पता लगाना आसान हो गया..पुलिस दुकान पर पहुंची तो पता चल गया कि उन्हीं दोनों लड़कियों ने ही मोबाइल बेचे हैं...अब पुलिस का माथा ठनका..कि ये अपहरण नहीं..कुछ दाल में काला है...यहां से पुलिस आगे बढ़ी..और जो खुलासा हुआ..उस पर न तो पुलिस को भी भरोसा नहीं हो रहा था..घरवालों को भरोसे का सवाल ही नहीं होता।
इन दोनों लड़कियों ने सौ से ज्यादा फेसबुक प्रोफाइल बना रखे थे....सबके सब फर्जी...किसी और नाम से..उन पर फोटो...सुंदर और स्मार्ट लड़कियों के लगा रखे थे..फेसबुक पर दोस्ती गांठने के बाद फोन पर बात होती थी..और फिर उनसे पैसे एेंठती थीं...उनसे गिफ्ट लेती थीं...और जो नहीं मानता था..उसे ब्लैकमेल करने की धमकी देती थी। ऐसा उन्होंने केवल हैदराबाद में ही नहीं...आठ राज्यों में किया..जिनमें..देहरादून..बेंगलुरू..विशाखापट्टनम..लखनऊ भी शामिल हैं। अकेले हैदराबाद में ही पुलिस ने ऐसे 17 लड़कों को हिरासत में लिया..जो इन लड़कियों के झांसे में आए....जब मीडिया उस लड़की से बात कर रहा था...तो लड़की का दुस्साहस देखिए...उसने कहा कि क्या आप फ्रेंड नहीं बनाते हैं..आपकी फेसबुक पर कितने फ्रेंड हैं..क्या कोई ऐसा लड़का है जिसकी लड़कियां फ्रेंड नहीं है..मेरे मामा की ही सैकड़ों हैं। मैंने किसी से पैसे नहीं लिए..मैंने किसी को रिक्वेस्ट नहीं भेजी..अगर लड़के खुद फ्रेंड बनते हैं तो मेरा क्या कसूर...वगैरह-वगैरह..
वाकई ये सब हैरान कर देने वाला है...हैदराबाद में मुझे कुछ वक्त रहने का मौका मिला है...वाकई शानदार शहर है..खासकर पढ़ाई के मामले में...अव्वल दर्जे की पढ़ाई है..पूरे देश में मशहूर है..ऐसे शहर में..ऐसी लड़कियां...इसके लिए शहर को दोष नहीं दे सकते...दोष शायद परिवार वालों का भी न हो...आपके हमारे बच्चे के भीतर क्या पल रहा है..आप नही जान सकते..मेरे भीतर क्या पल रहा है..मेरे अलावा कोई नहीं जान सकता..आपके भीतर क्या पल रहा है...आपके अलावा कोई नहीं जान सकता....हर मां-बाप अपने बच्चों को अच्छा बनाना चाहता है...अच्छे संस्कार देने की कोशिश करता है लेकिन  चूक हम कहां कर जाते हैं..जब हम अपने बच्चों को नादान समझकर भरोसा कर बैठते हैं...भरोसा आंख मूंद कर नहीं किया जाता...सोच-समझ कर किया जाता है..चाहे आपका बच्चा ही क्यों न हो?....
इस घटना से उन माता-पिता को तो सबक है ही...उन लड़कों को भी है जो फेसबुक की चकाचौंध में स्मार्ट और सुंदर लड़कियों के पीछे भागते हैं...सुंदरता तन से नहीं होती..मन से नहीं होती...सोशल मीडिया अपने विचारों के आदान-प्रदान के लिए है..जानकारी जुटाने के लिए हैं...मनोरंजन के लिए भी है लेकिन नौजवानों को लगता है कि ये केवल किसी लड़के या लड़की को पटाने के लिए है..इसलिए अच्छी फोटो देखकर उस पर लपक लेते हैं...फेसबुक को छोड़िए..अगर सामने भी किसी लड़की को देखते हैं तो उसके चेहरे पर मर-मिटते हैं...पर यकीन मानिए...लड़कियां हों या लड़के..कोई भी हो..चेहरे पर मत जाईए..चेहरे पर चेहरे हर कोई लगा के घूम रहा है। जब नकाब उठता है तो पता चलता है कि वो कोई और है...जैसे उन लड़कियों के चेहरे से उठा है..उन लड़कों के चेहरे से भी उठा है...तो जीवन में इन चेहरों को कैसे पढ़ना है..कैसे परखना है..कैसे महसूस करना है..ये आपके ऊपर है..गलती करेंगे तो पछताएंगे....बाकी फिर......

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