Wednesday, September 2, 2015

सोशल मीडिया पर छाने का सबसे आसान तरीका

सोशल मीडिया पर छाने के लिए लोग तरह-तरह के जतन कर रहे हैं..एक सज्जन हैं वो चाहे रेलवे स्टेशन पर हों..बस स्टैंड पर हों और एयरपोर्ट पर हों तो कहने ही क्या..तत्काल एक सेल्फी फेसबुक पर पोस्ट कर देते हैं..आईएमवेटिंग फार दिस सिटी..ज्यादातर लोग तो एयरपोर्ट की सेल्फी डालते हैं लेकिन जिन्हें हवाई जहाज नसीब नहीं हो रहा है तो वो ट्रेन या बस से ही काम चला लेते हैं। कुछ लोग हैं वो मेट्रो में ही बेचैन हो जाते हैं..मेट्रो में ही सेल्फी लेकर फेसबुक पर टटोलते हैं कि कितने लोग लाइक कर रहे हैं..या फिर कमेंट पास कर रहे हैं..मंजिल आते-आते मजा आ जाता है।

कुछ लोग हैं वो राजनीति के अखाड़े में कूदे हुए हैं..कभी आरक्षण..कभी मोदी..कभी नीतीश..कभी लालू..कभी स्मार्ट सिटी..कभी शीना मर्डर केस..जब जैसा मौका हो..एक पोस्ट डाला..धड़ाधड़ बहस शुरू..अगले दिन..अगले विषय की खोज होती है..कुछ विवादास्पद बयान देकर माहौल गर्माने की कोशिश कर रहे हैं..
कुछ राजनीति में कमजोर हैं..कहीं जा भी नहीं रहे हैं..कुछ नया नहीं हो रहा है तो बच्चों और परिवार पर ही आ जाते हैं...बेटा साइकिल पर बैठा है..बेटा पढ़ाई कर रहा है..बेटे को सिखा रहे हैं कि ऐसे पोज बनाओ..फेसबुक पर डालना है..राखी बांधने पर भी फेसबुक पर डालना है..फिर दिन भर ये चैक करना है कि किस-किस ने लाइक किया..किस-किस ने कमेंट किया...कुछ अलग हटकर चलना चाहते हैं तो शेर-शायरी पर चंद लाइनें फेंक रहे हैं..कोई आहें भर रहा हैं तो कोई वाह कर रहा है..कुछ नई-नई तस्वीरों को सामने लाने पर जुटे हैं।

कुछ मौके का फायदा उठा कर अपने मन की भड़ास निकाल रहे हैं..मसलन कौन पत्रकार ज्यादा कमाई कर गया..किसके किससे संबंध हैं..कौन नेता किस लड़की के साथ गलबहियां डाले हुए हैं...किसका भूत क्या है..किसका वर्तमान क्या है..किसका भविष्य क्या है...कुछ ऐसे भी हैं जो सोशल मीडिया से दूरी बनाए हुए हैं..यहां तक कि उन्होंने फेसबुक..ट्विटर पर अपना एकाउंट तक नहीं बनाया है।

कुल मिलाकर बड़ा ही दिलचस्प नजारा है....इन सबके पीछे दो ही मकसद है..एक तो अपने मन की भड़ास निकालना..दूसरा खुद को लाइम लाइट में लाने की कोशिश...इसमें कोई बुराई नहीं..लेकिन हद से बाहर तब हो जाता है जब कुछ लड़कियां..कुछ महिलाएं..अपने कपड़े उतार कर लाइमलाइट में लाने की कोशिश में सामने आती हैं...जब उनकी समझ में कुछ नहीं आया..न लिखा- न पढ़ा..न समझा...न सोचा..न विचार किया..दिमाग खाली है तो एक ही उपाय बचता है कि एक-एक कर कपड़े उतारो...जितने विचारक हैं...वे भी हमारे सामने नतमस्तक हो जाएंगे....सब नहीं होंगे..तो आधे से ज्यादा हो ही जाएंगे....इसलिए हर रोज सोशल मीडिया पर महिला जगत के नए-नए अवतार आ रहे हैं...मुस्कराते हुए..और जैसा देश वैसा भेष की तरह उन्हें देखने वाले ही उतने ही निर्लज्ज तरीके से कमेंट भी करते हैं...
गूगल के लिए सब समान हैं...चाहे वो महिलाएं हों या फिर मोदी जी....आपका जहां पोस्ट है..उसी के नीचे भयानक दर्शन हैं..कहीं राजनीति पर गंभीर बहस चल रही है तो उसके नीचे कोई नाम मात्र की ड्रेस में पोज दिए विराजमान है। जिस तरह राजनीति, सामाजिक, आर्थिक, मीडिया, साहित्य, खेल आदि के ग्रुप बने हुए हैं तो ऐसी महिलाएं भी ग्रुप में दो-दो हाथ कर रही हैं..या फिर पूरा शरीर कर रही हैं। खुद की पहचान बनाने में कोई बुराई नहीं..खुद की सोच..विचार, स्मार्टनेस..स्टाइल में कोई बुराई नहीं..लेकिन कम से कम शरीर को मत बेचो...शरीर तो ठीक है..आत्मा भी बेचने को आतुर मत हो. अगर खुद का ख्याल नहीं करना है तो..कम से कम अपने परिवार का ख्याल करो..कम से कम अपने आसपास का तो ख्याल करो...कम से कम सोशल मीडिया का तो ख्याल करो...खुद बिक गए..शरीर बिक गया..आत्मा बिक गई..तो बचा क्या...जीवन जीने का नाम है..जिंदगी आनंद का नाम है..जिंदगी फन का नाम है..पर जिंदगी का बाजार मत बनाओ...किसी का भी ख्याल नहीं रखना है तो कम से कम उस प्रभु का ख्याल करो..जिसने जिंदगी का अनमोल तोहफा दिया है....बाकी फिर......

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