Sunday, September 27, 2015

गूगल-गूगल कहना है....

वृंदावन में रहना है तो राधे-राधे कहना है..ये कहावत वे सब जानते हैं जो वृंदावन गए हैं या फिर वृंदावन की महिमा जानते हैं। आज के जमाने में जिस रफ्तार से गूगल और फेसबुक के साथ ही डिजिटल मीडिया का जुनून छा रहा है उससे साफ है कि हम कितनी ही आलोचना कर लें..कितने ही नफा-नुकसान की बात कर लें..जो चाहे कर लें..लेकिन हम सबको इस धरती पर रहना है तो गूगल-गूगल कहना है। कोई भी क्षेत्र हो, चाहे पढ़ने वाले बच्चे हों..चाहे सरकारी दफ्तर हों..चाहे बिजनेस हो..चाहे धर्म-कर्म हो..चाहे ज्योतिष हो..चाहे आर्थिक-सामाजिक हो..कुछ भी हो..बिना मोबाइल, बिना इंटरनेट और उस पर भी बिना गूगल संभव नहीं।
गूगल कितना ही मुनाफा कमा रहा हो..गूगल भले ही हमारी सारी जानकारी इकट्ठी कर रहा हो..गूगल जो चाहे कर रहा हो..पर हमारी जरूरत बन गया है..हमारी मजबूरी बन गया है और हमारा नया रास्ता बन गया है जिसके बिना आगे बढ़ना मुमकिन नहीं लगता। यहां तक कि मंदिर से लेकर पुजारी और साधु-संत भी डिजिटल हो चुके हैं।

एक मित्र हैं..मीडिया में हैं..बड़ा नाम है..एक बार बता रहे थे कि मैनेजमेंट की मीटिंग चल रही थी..किसी जानकारी के बारे में सवाल हुआ..किसी को नहीं मालूम था..हमारा हाथ मोबाइल पर था..गूगल में सर्च किया और उससे सारी जानकारी बता दी. इसमें कुछ ही सेकंड लगे।.बस क्या था..उस मीटिंग में सारे लोग मेरी तरफ देखने लगे। सबको लगा कि कितना जानकार शख्स है..उसमें मेरा कुछ नहीं था..सब गूगल का कमाल था।
किसी का प्रोफाइल देखना है..किसी इलाके के बारे में जानना है..किसी का इतिहास खंगालना है..किसी की अच्छाईयां देखना है..या फिर बुराईयां देखना है..बस कुछ ही सेकंड में सारी जानकारी हाजिर है। हो सकता है कि वो जानकारी गलत भी हो..लेकिन सब कुछ गूगल के भरोसे ही चल रहा है..उसी से हम किसी के बारे में अच्छी या बुरी धारणा बना रहे हैं। उसी के इशारे पर नाच रहे हैं। यही नहीं..ये सब इतनी तेजी से बढ़ता जा रहा है कि गूगल के बिना हम अपनी जिंदगी की कल्पना नहीं कर सकते। गूगल की महिमा का जितना बखान किया जाए..कम है। जाहिर है कि जब कोई बड़ा बन जाता है..जब कोई ताकतवर बन जाता है..जब कोई जरूरत या मजबूरी बन जाता है तो अच्छा हो या बुरा..हमें अपनाना पड़ता है।
इसमें कोई शक नहीं कि गूगल ने जो आइडिया पैदा किया..उसे धरातल पर उतारा और फिर उसमें समय के साथ लगातार बदलाव किए..तो उसके पीछे गूगल की टीम की कड़ी मेहनत है और उसका रिटर्न वो लेगा। कोई भी बिजनेस मैन हो..वो भी दो रुपए की चीज दस और बीस रुपए में बेच रहा है। गूगल जिसे सेवा दे रहा है..उससे कुछ नहीं ले रहा है..वो मुफ्त में दे रहा है। वसूल उनसे कर रहा है जो हमसे कमाई कर रहे हैं। हम जितना गूगल देखेंगे..गूगल को उतनी ही कमाई होनी है। यही हाल फेसबुक का भी है जिसके बिना करोड़ों लोगों को चैन नहीं पड़ता। सुबह उसी से होती है और रात भी। मोबाइल पर दिन भर उंगलियां चलती रहती हैं और गूगल, फेसबुक, whatsapp को देखती रहती हैं। कोई भी चीज हो..उसके दो पहलू होते हैं..अच्छे या बुरे..ये हमारे ऊपर है कि हम उसकी अच्छाईयां ले लें..और बुराईयों को छोड़ दें। बाकी फिर......