नोएडा के सेक्टर-122 में रहता है नौवीं क्लास में पढ़ने वाला हरेंद्र, स्कूल जाने के लिए 5 किमी चलता है। सुबह छह बजे स्कूल निकल जाता है। उसके बाद कंप्यूटर क्लास जाता है। पिता को पोलियो है..2013 में नौकरी छूट गई..बाद में फिर नौकरी मिल गई, मां बीमार रहती है। बड़ा भाई 17 साल का विवेक है और छोटा भाई सात साल का हिमांशु.
हरेंद्र को स्कूल से एक प्रोजेक्ट मिला..जिसे बनाने के लिए पैसे चाहिए थे..घर में इतने पैसे नहीं थे..माता-पिता बाहर गए थे, सोच में था क्या करें..तभी उसकी नजर घर में रखी वजन तौलने वाली मशीन पर पड़ी..मन में हौसला था..हौसले से दिमाग में आइडिया आया और उस वजन तौलने वाली मशीन को स्कूल बैग में लेकर नोएडा सिटी सेंटर मेट्रो स्टेशन पर पहुंच गया। स्ट्रीट लाइट के नीचे मशीन रखी...खाली समय में पढ़ाई करता रहा और पहले ही रोज उसने दो रुपए के हिसाब से 60 रुपए कमाए। चार दिनों में उसे मिले दो सौ रुपए..इन रुपयों से उसने अपना प्रोजेक्ट पूरा किया.. इसी आइडिया और मेहनत से उसे नई राह मिल गई। अब वह हर रोज शाम सात बजे से रात नौ बजे तक दो घंटे मशीन लेकर बैठता है। साथ में पढ़ाई भी करता जाता है।क्लास में वो टाप तीन बच्चों में है।
सबसे पहले हरेंद्र की तस्वीर किसी ने फेसबुक पर पोस्ट की..और जब उसकी सारी कहानी सामने आई तो वाकई दिल को छू गई। ये बच्चा हम सबको को एक नई सीख दे गया। हम अक्सर कामयाब लोगों को देखते हैं..उनके लिए वाह-वाह करते हैं..उनसे सीख लेने की कोशिश करते हैं लेकिन उसके पीछे की हकीकत या मेहनत नहीं देखते। फेसबुक पर एक और इंटरव्यू देख रहा था..भाबी जी घर पर हैं सीरियल के हप्पू सिंह का..वो यूपी के हमीरपुर के रहने वाले हैं...उनका किरदार दिलचस्प है और सभी उनके अभिनय के कायल हैं..कुछ ऐसी ही कहानी उनसे भी जुड़ी है। मन में अभिनय का कीड़ा काट रहा था..लखनऊ में पढ़ाई करने के बाद मुंबई का रुख कर लिया। करीब दस साल की मेहनत के बाद अब वो प्रसिद्धि पा रहे हैं। काम के लिए कई प्रोडक्शन हाउस के धक्के खाए..हौसला और मेहनत आखिरकार रंग लाई।
ऐसे ही किस्से और भी हैं..हम चमत्कार को नमस्कार करते हैं..लेकिन उस चमत्कार के पीछे कितना लंबा संघर्ष होता है...परेशानी होती है..मेहनत होती है..जज्बा होता है..इसे हम नहीं देखते...किसी के भरोसे हम आगे नहीं बढ़ सकते..अगर जीवन में हमने मदद की दरकार की तो समझ लो हम कमजोर हो गए..हमारा खुद से भरोसा टूट गया..जो करना है..हमें ही करना है...सीख कर करना है..मेहनत से करना है..संघर्ष के साथ करना है..कामयाबी मिलेगी या नहीं..ये भी हमें ही तय करना है...बाकी फिर.....
हरेंद्र को स्कूल से एक प्रोजेक्ट मिला..जिसे बनाने के लिए पैसे चाहिए थे..घर में इतने पैसे नहीं थे..माता-पिता बाहर गए थे, सोच में था क्या करें..तभी उसकी नजर घर में रखी वजन तौलने वाली मशीन पर पड़ी..मन में हौसला था..हौसले से दिमाग में आइडिया आया और उस वजन तौलने वाली मशीन को स्कूल बैग में लेकर नोएडा सिटी सेंटर मेट्रो स्टेशन पर पहुंच गया। स्ट्रीट लाइट के नीचे मशीन रखी...खाली समय में पढ़ाई करता रहा और पहले ही रोज उसने दो रुपए के हिसाब से 60 रुपए कमाए। चार दिनों में उसे मिले दो सौ रुपए..इन रुपयों से उसने अपना प्रोजेक्ट पूरा किया.. इसी आइडिया और मेहनत से उसे नई राह मिल गई। अब वह हर रोज शाम सात बजे से रात नौ बजे तक दो घंटे मशीन लेकर बैठता है। साथ में पढ़ाई भी करता जाता है।क्लास में वो टाप तीन बच्चों में है।
सबसे पहले हरेंद्र की तस्वीर किसी ने फेसबुक पर पोस्ट की..और जब उसकी सारी कहानी सामने आई तो वाकई दिल को छू गई। ये बच्चा हम सबको को एक नई सीख दे गया। हम अक्सर कामयाब लोगों को देखते हैं..उनके लिए वाह-वाह करते हैं..उनसे सीख लेने की कोशिश करते हैं लेकिन उसके पीछे की हकीकत या मेहनत नहीं देखते। फेसबुक पर एक और इंटरव्यू देख रहा था..भाबी जी घर पर हैं सीरियल के हप्पू सिंह का..वो यूपी के हमीरपुर के रहने वाले हैं...उनका किरदार दिलचस्प है और सभी उनके अभिनय के कायल हैं..कुछ ऐसी ही कहानी उनसे भी जुड़ी है। मन में अभिनय का कीड़ा काट रहा था..लखनऊ में पढ़ाई करने के बाद मुंबई का रुख कर लिया। करीब दस साल की मेहनत के बाद अब वो प्रसिद्धि पा रहे हैं। काम के लिए कई प्रोडक्शन हाउस के धक्के खाए..हौसला और मेहनत आखिरकार रंग लाई।
ऐसे ही किस्से और भी हैं..हम चमत्कार को नमस्कार करते हैं..लेकिन उस चमत्कार के पीछे कितना लंबा संघर्ष होता है...परेशानी होती है..मेहनत होती है..जज्बा होता है..इसे हम नहीं देखते...किसी के भरोसे हम आगे नहीं बढ़ सकते..अगर जीवन में हमने मदद की दरकार की तो समझ लो हम कमजोर हो गए..हमारा खुद से भरोसा टूट गया..जो करना है..हमें ही करना है...सीख कर करना है..मेहनत से करना है..संघर्ष के साथ करना है..कामयाबी मिलेगी या नहीं..ये भी हमें ही तय करना है...बाकी फिर.....