Thursday, September 10, 2015

खेल-खेल में....

गुड़गांव की चार साल की ऋतिका को कार में खेलने का बड़ा शौक था..आटोमेटिक लाक का बटन दबाकर कार को खोलना और बंद करने में बड़ा मजा आता था। स्कूल से लौटने के बाद उसने कार की चाबी उठाई और अपनी छोटी बहन हिमांशी के साथ कार के पास खेलने को निकल गई...कार को खोला..दोनों अंदर बैठ गईं और फिर कार को लाक किया..लेकिन जब अनलाक किया तो कार के दरवाजे नहीं खुले...तेज धूप में खड़ी कार में दम घुटने से कुछ ही देर में बेहोश हो गईं। घरवालों को जब दोनों काफी देर तक नजर नहीं आईं तो तलाश शुरू हुई और दो घंटे बाद उन्हें कार में दोनों मिलीं। बेहोशी की हालत में दोनों बहनों को अस्पताल ले जाया गया..लेकिन बच नहीं सकीं।

ये पहला हादसा नहीं है..घर की पानी की टंकी में छिपने के चक्कर में बच्चे भीतर घुस जाते हैं..और ढक्कन बंद होने के बाद जब नहीं खुलता..तो उनकी मौत हो जाती है। बोरवेल के किस्से तो टीवी चैनलों पर कई बार चल चुके हैं। यही नहीं...कार में बच्चों को अकेले छोड़कर जाना तो आम बात है..एक सज्जन तो सड़क पर कार खड़ी कर गए..बच्चा अंदर छोड़ गए..और ट्रैफिक पुलिस उस कार को उठा ले गई..जब पता चला कि तो हैरान-परेशान होकर भागे...एक और घटना ऐसी ही है..बच्चे चोर-सिपाही खेल रहे थे...एक बच्चा ऊपर स्टोर रूम में बंद हो गया..सटकनी लगा तो ली..लेकिन खोल नहीं पाया...कई घंटों बाद पता चला..उसकी मौत हो चुकी थी।कई बच्चे घर के बाहर खेलते-खेलते गायब हो गए। ऐसी कई घटनाएं हम रोजमर्रा की जिंदगी में सुनते रहते हैं..देखते रहते हैं...जरूरत है सबक लेने की..

कई बार माता-पिता सोचते हैं कि बच्चों पर लगातार नजर रखो..उन्हें अपने हिसाब से चलाओ..जब माता-पिता चाहें..वो पढ़ाई करें..जब चाहें..खेलने के लिए भेजें..जो खिलाना चाहते हैं..वही खिलाएं..लेकिन ऐसा नहीं होता..बच्चों का अपना मन होता है..न आपसे हमसे कोई जबर्दस्ती कर सकता है और न ही बच्चों से...उन पर चौबीस घंटे नजर रखना भी ठीक नहीं..लेकिन इसके साथ ही ऐसी लापरवाही भी नहीं करनी चाहिए..जैसी ऊपर दी घटनाओं में हुई। माता-पिता नौकरी पर गए हैं..बच्चे या तो मेड के सहारे हैं या फिर दादा-दादी के सहारे..और वो भी कितना ध्यान दे सकते हैं...उनकी अपनी मजबूरियां हैं..काम हैं..आराम करना है..इन सबके बीच जब बच्चों को यूं ही छोड़ देते हैं तो ऐसे गंभीर नतीजे सामने आते हैं। उन्हें अपने मन की करने दें..लेकिन जहां जरूरी है..जहां खतरा है..वहां उन पर नजर जरूर रखें...खासकर घर से बाहर जाते वक्त..और जब बच्चे काफी देर तक आपकी नजरों से ओझल हैं तो हमें सावधानी बरतने की जरूरत है। वो कहीं कोई मुश्किल में फंस सकते हैं। छोटे बच्चे जो भी कर रहे हैं..उन्हें आप आगे बढ़ाना चाहते हैं..जरूर बढ़ाएं..लेकिन अपनी निगरानी में...बाकी फिर......

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