Monday, September 7, 2015

हिम्मत न हारो, हार न मानो

इंटरनेट काम नहीं कर रहा था,कंपनी के कस्टमर केयर पर फोन किया..फोन पर बोले..लाइन पर रहिए..ठीक करते हैं..कोशिश करते रहे..आनलाइन ठीक नहीं हुआ..बोले आपकी कंपलेंट लिख ली..24 घंटे में हमारे इंजीनियर आपकी सेवा में हाजिर होंगे..ठीक हो जाएगा...सुबह इंजीनियर का फोन आया..दोपहर 12 बजे तक आऊंगा..अगर कस्टमर केयर से कोई काल आए..तो कह देना..थोड़ा समय हमने ही आगे कर दिया है..उसके बाद इंजीनियर आए..बोले..सब ठीक है..आपके यूपीएस में दिक्कत है..अगर आप सीधे कनेक्ट कर लेंगे..तो ठीक हो जाएगा...उनके जाने के बाद मैंने खुद ही तार निकाल कर लगा कर जहां जैसे बुद्धि चली..इंटरनेट चालू कर लिया।
 कुछ दिन ठीक चला..फिर दिक्कत आने लगी...मैंने फिर कंपनी के कस्टमर केयर फोन किया..फिर इंजीनियर आए..अबकी बार एक नहीं दो आए एक साथ...बोले...आपके मोडम में दिक्कत हैं..किसी ने छुआ था..खोला था..मैंने कहा..नहीं..किसी ने कुछ नहीं किया..आपके ही एक इंजीनियर साहब आए थे..वही ठीक करके गए थे..वो कह रहे थे..कि यूपीएस में दिक्कत है..सीधे कनेक्ट करिए..ठीक चलेगा..मैंने सीधे कनेक्ट किया..नहीं चल रहा..अब आप कह रहे हैं कि मोडम में दिक्कत है..मोडम तो उन्हीं ने छुआ था..और किसी ने नहीं...

अब उन्होंने अपना तकनीकी ज्ञान एप्लाई करना शुरू किया। जो सार सामने आया..वो चौंकाने वाला था...बोले..आपका कंप्यूटर ठीक नहीं..आपका लैंडलाइन ठीक नहीं..आपका मोडम ठीक नहीं...मैंने कहा..जब कुछ भी ठीक नहीं..फिर अब तक कैसे चल रहा था..उनके पास कोई जवाब नहीं..बोले... अब भी चलता रहेगा..और न चले तो एक-एक कर उपकरण बदलवा लेना..मैंने कहा..ये भी ठीक है। बोले..फोन कनेक्ट मत करना..फोन से नेट में दिक्कत आ रही है। उन्होंने कंपनी को लिखवाया..इनका सब कुछ खराब है..कंप्यूटर, मोडम, फोन,...कंपलेंट कंपलीट हो गई है।
उनके जाते ही मैंने अपना लैंडलाइन भी जोड़ दिया..बात भी होती रही..मोडम भी चलता रहा..कंप्यूटर भी चलता रहा..उसके कुछ दिनों बाद फिर दिक्कत आई... मैंने फिर कंपलेंट की..कंपनी को बताया कि जब सब कुछ खराब है तो फिर कई दिन तक फिर सब कुछ कैसे चलता रहा..कंपनी ने फिर कंपलेंट रजिस्टर्ड की..और बोले..24 घंटे में ठीक हो जाएगा
..कस्टमेयर से बात करने के थोड़ी ही देर में उसी इंजीनियर का फोन आया..बोला...हेलो-हेलो..आप मेरी आवाज सुन रहे हैं..मैंने कहां..हां..बोले..हमें आपकी आवाज ठीक नहीं आ रही है..आपसे कहा था कि आप लैंडलाइन फोन बदलवाओ...आपसे कहा था कि मोडम बदलवाओ..आपसे कहा था..कि कंप्यूटर ठीक कराओ..या नया लो..आपने कुछ नहीं किया..आपकी प्राब्लम ठीक कैसे होगी...

इतने दिनों के धैर्य के बाद जाहिर है..थोड़ा गुस्सा आ गया..मैंने कहा..भाई साहब..आप तो आना ही मत..अब मैं सारी चीजें बदलवा लूंगा..और ये कनेक्शन भी बदलवा लूंगा..धन्यवाद..आप नाराज मत हों..आप कष्ट मत उठाएं..गलती मेरी है।
बाकी सब तो ठीक था..लेकिन एक लाइन मैंने जो कही..उससे उनके नेत्र खुल गए..थोड़ी देर में उनसे बड़े वाले साहब का फोन आया..उन्होंने बड़े ही नम्रता से बात की..और कहा कि जो कुछ आपने बताया है..उसके आधार पर मैं जिस नतीजे पर पहुंचा हूं..उसके मुताबिक..आपके कंप्यूटर में वायरस है..वो इंटरनेट को कहीं और ले जा रहा है...आपका इंटनेट कंज्यूम हो रहा है..लेकिन कहीं ओर...मैंने कहा..वाईफाई पर ठीक चल रहा है..बोले..हां..वाईफाई पर ठीक चलेगा..लेकिन कंप्यूटर जरूर ठीक करा लीजिए..नहीं तो दस हजार का चूना लग जाएगा..वायरस आपके डाटा को हैक कर सकता है..न जाने क्या-क्या नुकसान हो सकता है। मुझे भी लगा कि मामला गंभीर है..
थोड़ी देर बाद में मैंने कंप्यूटर के प्रोग्राम को चैक करना शुरू किया..और इंटरनेट खुद ही चालू कर लिया..अब पता नहीं वो वायरस हट गया..या फिर क्या हुआ..लेकिन कंप्यूटर चालू हो गया..शायद वो इंजीनियर भी इतना कष्ट उठा सकते थे...मेरा कंप्यूटर था..मुझे जरूरत थी..मेरा नुकसान इससे जुड़ा था..इसलिए मैं जुटा रहा..कामयाबी मिल ही गई..पहले भी कई बार ऐसे ही ठीक किया...
ये मैं अपनी तारीफ में नहीं लिख रहा..इससे मुझे एक सबक मिला..कि लगे रहो..जुटे रहो..मेहनत करते रहो..विचार करते रहो...संघर्ष करते रहो..तो कामयाबी मिलती ही है...ये तो कंप्यूटर की बात है..कई उदाहरण हैं..जो बिलकुल जीरो से चले थे..और सौ पर पहुंचे..हजार..लाख तक पहुंचे..करोड़ों तक पहुंचे..सब नहीं पहुंचे..जरूरी नहीं कि हर कोई जीरो से करोड़ों तक पहुंचें लेकिन लगे रहें..तो सौ तो मार ही सकते हैं..इसलिए..हिम्मत नहीं हारना है..हार नहीं मानना है...बाकी फिर....

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