Saturday, September 5, 2015

पति को मत बताना...

एक श्रीकृष्ण सुदामा की दोस्ती थी और एक दोस्ती की खबर ऐसी है कि जिससे आपके होश उड़ जाएं। ये खबर कुछ सोचने पर मजबूर करती है..कुछ सीख देती है..और कुछ आजकल के हालात को बयां करती है। नोएडा में एक महिला शादीशुदा है..फेसबुक पर उसकी दोस्ती विदेश में रहने वाले किसी शख्स से हुई..चैटिंग चलती रही। जब दोस्ती गहरी हो गई..भरोसा बढ़ गया तो विदेशी शख्स ने उसे एक मैसेज भेजा कि वो इंडिया आ रहा है..और उससे मिलेगा...महंगे-महंगे गिफ्ट भी उसने लिए हैं जो वो उसे देगा..शख्स ने फिर मैसेज भेजा कि वो मुंबई एयरपोर्ट पर है और महंगे गिफ्ट के कारण कस्टम में फंस गया है..एयरपोर्ट से निकलने के लिए जुर्माना भरना होगा..उसे एक लाख 20 हजार रुपए की जरूरत है..जो वो बाद में उसे दे देगा..महिला ने उसके एकाउंट में एक लाख 20 हजार की रकम डाल दी। बस दोस्त दोस्त न रहा..पैसा ट्रांसफर हुआ और दोस्त लापता..फेसबुक से महिला को ब्लाक कर दिया गया। अब लुटने-पिटने के बाद महिला थाने पहुंची..और सबसे बड़ी दिक्कत ये है कि वो महिला अपने पति से भी घबरा रही है..उसने पुलिस से आग्रह किया कि उसके पति को पता न चले..एक तो विदेशी शख्स से दोस्ती और चैटिंग..ऊपर से रकम भी गंवा दी।

ऐसी ही एक घटना और नोएडा में कुछ दिनों पहले हो चुकी है। इसमें भी उस महिला से एक लाख 20 हजार रुपए इसी तरह मांगे गए...लुटने के बाद थाने का चक्कर काटती रही..लेकिन कुछ नहीं होने वाला..क्योंकि न तो पुलिस को इतनी फुर्सत है कि वो विदेश से हुए फ्राड को पता लगाने के लिए मशक्कत करे और न ही महिला के बस की है कि वो विदेश जाकर तलाश करे।
कुल मिलाकर ये दोस्ती की हकीकत है..किसी को भी दोस्त बनाना..और दोस्ती जब गलत इरादे से हो..तो फिर वो दोस्ती ही नहीं रही...वो चीटिंग हुई..पहले दोस्ती बनाकर और फिर फ्राड कर। हैरानी की बात ये है कि एक तो फेसबुक पर हम किसी से इतनी गहरी दोस्ती कैसे गांठ लेते हैं जबकि आप न तो उसे मिले हैं..न जानते हैं..न कोई मध्यस्थ है। दूसरे दोस्ती के बाद इतना भरोसा कर लेना..इससे पता चलता है कि कई लोग जीवन को लेकर कितने कच्चे हैं..कितनी ही पढ़ाई कर लो..कितनी ही प्रतियोगिता जीत लो..लेकिन जीवन का फलसफा नहीं सीखा तो हर जगह मात खाओगे..हर मोड़ पर गिरोगे..हर मंजिल पर पहुंचने से पहले रुक जाओगे। कौन सही है..क्या सही है...किससे कितना संबंध रखना है..क्यों रखना है...कैसे व्यवहार करना है..किसी की कितनी बात मानना है..कितनी नहीं मानना है। ये हमें ही तय करना होगा और तय करने के पहले अच्छी तरह से सोचना-समझना होगा..अपने दिमागी स्तर को ऊंचा करना होगा..नहीं तो कोई भी आपको बेवकूफ बनाकर निकल जाएगा..और आप हाथ मलते रह जाओगे। जिसने ठगा भले ही वो गलत हो लेकिन उसका दिमागी स्तर उससे बेहतर है जो ठगा गया है...बाकी फिर.....
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