Thursday, September 3, 2015

मौत के लिए मेहनत..जीने के लिए नहीं

बेंगलुरु की 26 साल की ईशा हांडा ने 13 वीं मंजिल से कूद कर खुदकुशी कर ली। जाहिर है कि उसके परिवार और जानने वालों को छोड़कर बाकी के लिए एक खबर है..देश में हर रोज लोग खुदकुशी करते हैं..कोई बेरोजगारी में..आर्थिक तंगी में..कोई परीक्षा में फेल होने पर..कोई प्रेम में असफल होने पर...हर किसी की अपनी-अपनी वजह..लेकिन ये खुदकुशी बहुत कुछ सोचने को मजबूर कर देती है क्योंकि इसकी दो वजह हैं।

पहली वजह ये है कि सुसाइड के लिए ईशा ने गूगल का सहारा लिया। 48 घंटे तक गूगल पर सर्च करने में जुटी रही। सबसे पहले उसने ये तलाश की कि खुदकुशी कैसे की जा सकती है..कितने तरीके हैं मरने के..इसके साथ ही ईशा ने ये भी सर्च किया कि आत्महत्या के कौन-कौन से तरीके हैं..इनमें कौन सा तरीका सबसे अच्छा है.
यही नहीं..जब तसल्ली से सर्च के बाद उसने पाया कि इमारत से कूदना सबसे अच्छा तरीका है तो फिर उसने सर्च किया कि किस तरह की इमारत खुदकुशी के लिए बेहतर रहेगी। इसके बाद उसने पाया कि कम से कम दस मंजिल की इमारत से खुदकुशी अच्छी तरह से की जा सकती है और उसके बाद बेंगलुरु की शोभा क्लासिक बिल्डिंग की 13 वीं मंजिल को खुदकुशी के लिए चुना। इसके पहले उसने चलती ट्रेन से कूदने..जहर खाने. नींद की गोलियां ज्यादा मात्रा में खाने...रस्सी से लटक कर जान देने, सांस रोक कर जान देने के विकल्प भी सर्च किए।
आप जानकर हैरान होंगे कि फैशन डिजायनर और वेलनेस कंसल्टेंट ईशा ने 89 से ज्यादा बेवसाइट खंगालीं। सबके बारे में विस्तार से पढ़ा और ये भी देखा कि जिंदा बचने का कोई विकल्प न हो और मरने के बाद खुदकुशी का क्या हश्र होता है। इस वजह को देखने पर पता चलता है कि ये लड़की बिलकुल निश्चिंत थी सुसाइड के लिए...मौत फाइनल कर चुकी थी..बस ये जानना चाहती थी कि खुदकुशी कैसे करनी है। क्यों करनी है..इसकी वजह उसके पास थी और दूसरा विकल्प नहीं था..ऐसा उसने सोच लिया था।
दूसरी वजह सुसाइड के लिए दो दिन तक इंतजार करना है। अक्सर जो थ्योरी बताई जाती है उसके हिसाब से सुसाइड का कारण तात्कालिक होता है। वजह भले ही पुरानी हो..समस्या भले ही लंबे समय से चली आ रही हो..लेकिन जब सुसाइड किया जाता है तो शख्स गहरे अवसाद में होता है..अचानक उस समस्या से उस वक्त इतना दुखी हो जाता है..इतनी निराशा में होता है..या फिर उस वक्त लगता है कि अब जीने का कोई मतलब नहीं..बस खुदकुशी कर बैठता है..लेकिन इस लड़की के साथ ऐसा नहीं हुआ...वो तय कर चुकी थी और तसल्ली से उसने गूगल को सर्च किया कि खुदकुशी का कौन सा तरीका चुना जाए।
जो खबर है..उसके मुताबिक घरवाले उसकी शादी की बात कर रहे थे..लेकिन ये स्पष्ट नहीं कि उसका कहीं अफेयर था.या फिर वो शादी नहीं करना चाहती थी या फिर..कोई और कारण।
कारण कुछ भी हो सकता है लेकिन जीने का मकसद खत्म करना..हारना है..जिंदगी से हारना और अगर ऐसा क्षण आ जाता है तो मौत चुनने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचता। किसी के लिए छोटी सी समस्या खुदकुशी की वजह बन जाती है और किसी के लिए हजारों समस्या होने पर भी नहीं बनती..इंसान उन समस्याओं से लड़ता है..या फिर स्वीकार कर लेता है..या फिर समझौता कर लेता है..या फिर उनके साथ जैसे-तैसे जीता है लेकिन मौत का विकल्प नहीं चुनता। किसी के लिए छोटी सी वजह जिंदगी से हारने का मकसद बन जाता है।
जिंदगी मिली है तो उसने जीने का जज्बा भी होना चाहिए...समस्याओं से निपटने का भी..जिंदगी को बेहतर करने का भी..इंसान न जाने कितनी बार हारता है..अलग-अलग मोर्चे पर...लेकिन फिर उठ खड़ा होता है...समस्याओं को ढोकर भी चलता है लेकिन जीता है..यही जज्बा जीवन में जरूरी है। न तो गलतियां रुकने वाली हैं..न ही समस्याओं से छुटकारा मिलने वाला है...अगर उम्मीद से जिए..पाजिटिव जिए..तो ठीक है..वरना कोई इंसान ऐसा नहीं चाहे कितना ही बड़ा आदमी हो..कि उसके साथ समस्याएं न हों..अगर वो लड़की पाजिटिव थिंकिंग रखती तो शायद ऐसा न करती। ये बात अलग है कि गूगल पर सुसाइड को खोजने के लिए उसने 48 घंटे मेहनत की..लेकिन जीवन से लड़ने के लिए नहीं....बाकी फिर.....

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