Monday, September 7, 2015

भरोसा क्यों घट रहा है पति-पत्नी में?

मेरे एक मित्र हैं..दोनों प्राइवेट जाब करते हैं..दोनों का साप्ताहिक अवकाश अलग-अलग दिन होता है..दोनों की डयूटी का वक्त अलग-अलग है। एक सुबह छह बजे घर से निकलता है तो दूसरा रात 12 बजे के बाद घर में दाखिल होता है। एक बेटी है। मुश्किल ये है कि दोनों में से एक को घर पर रहना जरूरी है। अगर वो किसी काम से बाहर जाते हैं..तो बेटी को भी साथ ले जाते हैं। ये पति-पत्नी दोनों को करना पड़ता है। बेटी अगर बीमार है तो एक-एक कर दोनों दफ्तर से छुट्टी लेते हैं। दोनों पति-पत्नी हर वक्त परेशान नजर आते हैं..एक तो दफ्तर के कामकाज का बोझ..दूसरा..बच्चे को लेकर टेंशन..इस आपाधापी में वो अपना जीवन तो मानो भूल ही गए हैं।

खाना-पीना कैसे चलता है..आप आसानी से अंदाजा लगा सकते हैं..ज्यादातर या तो बाहर से इंतजाम होता है या फिर घर में सेंडविच..बर्गर और ब्रेड आमलेट जैसी चीजों से पेट भरते हैं। इधर दफ्तर का तनाव..उधर बच्चे का तनाव और उसके बावजूद वेतन पूरा नहीं होता..महीने के अंत में उनके चेहरे पर चिंता की लकीरें हमेशा और लंबी हो जाती हैं। 20 हजार से ज्यादा मकान का किराया..20 हजार से ज्यादा अपने होने वाले मकान की ईएमआई...कार का लोन..कुल मिलाकर एक वेतन लोन में ही निकल जाता है। ऊपर से कोई बड़ा खर्च आ जाए..तो फिर कहने ही क्या?

एक और मित्र है..उनकी भी लगभग यही कहानी है लेकिन उनके दफ्तर का तालमेल नहीं बैठा तो उन्होंने मेड लगा ली..लेकिन दफ्तर से फोन पर बराबर मेड और बच्चे के हालचाल लिए जाते हैं..अगर फोन नहीं लगता है तो मन बेचैन हो जाता है..बच्चा स्कूल से आया कि नहीं..कुछ खाया कि नहीं...तबियत ठीक नहीं थी..कहीं ज्यादा तो नहीं बिगड़ गई होगी..तरह-तरह की आशंकाएं मन में आती हैं। जाहिर है जब इस तरह तनाव लेते हैं तो आप पर भी शारीरिक और मानसिक असर पड़ना ही है..इसलिए ब्लड प्रेशर और डायबिटीज भी साथ में लेकर चल रहे हैं...जब तनाव बढ़ता है तो गोलियां खा लेते हैं।

अब तीसरा उदाहरण...नोएडा में पुलिस के पास हर महीने करीब सौ केस ऐसे आ रहे हैं जो पति-पत्नी से झगड़े से ताल्लुक रखते हैं। वजह भी बताई गई हैं..जैसे..पति का सुबह जल्दी जाना..देर रात आना...घर में आकर बात न करना...एक दूसरे को टाइम न देना..पत्नी का अकेला रहना..काम में हाथ न बंटाना..छोटी-छोटी बातों को इग्नोर न करना..और झगड़ जाना...ये शिकायतें पति की भी हैं..पत्नी की भी हैं...कुल मिलाकर खबर का सार ये है कि पति-पत्नी में भरोसा घट रहा है। कोई देर रात घर लौट रहा है तो शक हो रहा है..कोई अकेला रह रहा है तो शक हो रहा है..कोई फेसबुक..whatsapp पर लगातार चैट कर रहा है तो शक हो रहा है। कोई फोन नहीं उठा रहा है तो शक हो रहा है..और अगर फोन बंद आ रहा है तो शक और गहरा जा रहा है।

आपाधापी की इस जिंदगी में ज्यादातर पति-पत्नी समझौते की तरह रह रहे हैं..ज्यादा तनाव पर अलग भी हो जा रहे हैं..या फिर अपनी तरह से जिंदगी जी रहे हैं...या फिर जिंदगी ढो रहे हैं...ये हमारे ऊपर है कि हम अपनी जिंदगी को कैसे खुशहाल बनाएं..खुशहाल जिंदगी बेशुमार दौलत से भी नहीं खरीदी जा सकती....आपसी समझ..वक्त निकालने..प्यार जताने..और एक-दूसरे पर भरोसा करेंगे तो शायद जिंदगी कुछ आसान हो....बाकी फिर....
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