मौत घूम रही है..चारों तरफ..मेरी बेटी के स्कूल में भाई-बहन पढ़ते हैं..राखी के पहले एक भाई को डेंगू ने लील लिया। बहन अकेली रह गई। दिल्ली में एक बच्चे को डेंगू ने छीना और मां-बाप ने खुदकुशी कर ली। हर रोज अखबारों के पन्ने भरे पड़े हैं..दिल्ली, गाजियाबाद, नोएडा..कोई जगह ऐसी नहीं बची है जहां डेंगू का डंक न डस रहा हो। प्रधानमंत्री से लेकर दिल्ली के मुख्यमंत्री..स्वास्थ्य मंत्री तक लगता कुछ करने की हालत में नहीं। ये देश है वीर जवानों का..जो करना है खुद करना है..न सरकार को करना है..न नेता को करना है। राजधानी का कौन सा स्कूल और सरकारी अस्पताल है जहां..स्वास्थ्य के सारे मापदंडों का पालन हो रहा हो। सबको पता है..आप और हमें पता है तो सरकार को क्यों पता नहीं होता।
बाजार से डेंगू से बचाव की सारी सामग्री गायब है। नारियल पानी बेचने वाला खुश है..पपीता बेचने वाला खुश है..उसकी बिक्री बढ़ गई है..मेडिकल स्टोर वाले भी खुश है..डाक्टर भी खुश हैं..ये लोग तो फिर भी ठीक है..खून तक बिक रहा है..तो फिर नारियल पानी वाले का क्या दोष..धंधे का मौसम है मतलब उनका मौसम है। जितना बेच पाओ..बेच लो..इतना बेच लो कि सारे साल की कमाई निकल आए..नेता सोकर उठते हैं और सोने के पहले बयान देते हैं..उन्हें भी एक मुद्दा है..वो भी बयान देने में कोई कंजूसी नहीं बरत रहे..डेंगू से बचना है..सरकार ध्यान नहीं दे रही है..अस्पतालों में इंतजाम नहीं है। जिनकी जवाबदेही है..उनके अपने बयान है..लगातार निरीक्षण किया जा रहा है..दवाईयां मंगाई जा रही है। अस्पताल में बिस्तरों के इंतजाम किए जा रहे हैं..सबको भर्ती किया जा रहा है..लेकिन मौतों को कोई रोक नहीं पा रहा।
क्योंकि एक मच्छर है जो सबको हिजड़ा बना देता है। पूरे देश को बना देता है। कितने ही बड़े वैज्ञानिक हों..डाक्टर हों..सरकार को हों..नेता हों..सब उसके आगे हारे हैं..किसी की ताकत नहीं। एम्स के डाक्टर बता रहे हैं कि इस बार कुछ अलग टाइप के डेंगू की आशंका है। आयुर्वेद वाले अपना प्रचार करने में जुटे हैं..डाक्टर कहते हैं कि हां..इन सब चीजों से आराम तो मिलता है पर कोई पक्की रिसर्च नहीं है। परखा हुआ नहीं है।
ये हमारी तरक्की की जीती जागती मिसाल है जब एक मच्छर मौत पर मौत का तांडव खेल रहा है..वो अपनी जनसंख्या बढ़ा रहा है..हम आदमियों की जनसंख्या भले ही रोक लें..लेकिन उनकी नहीं रोक सकते।
दरअसल जिस पर गुजरती है वही दर्द को जानता है..बाकी को क्या मतलब है..जब हम पर गुजरेगी..तब हम भुगत लेंगे। हर रोज सैकड़ों मरते हैं..एक्सीडेंट से मरते हैं..बीमारी से मरते हैं..अपनी मौत मरते हैं..मरने दो..हां कोई सेलिब्रिटी मरे.तो उस पर ध्यान दें..बाकी जान की क्या बिसात है..वो तो मरने के लिए ही है...करोड़ों की जनसंख्या में हजारों मर भी गए तो क्या फर्क पड़ रहा है..इसलिए जब किसी पर आपबीती हो..तभी बोलना है..दूसरे जाएं भाड़ में...मरे या जीएं..हमें कोई दिक्कत नहीं...मच्छर ये बात अच्छी तरह से जानता है कि हमारे आगे सब हिजड़े हैं। बाकी फिर.......
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बाजार से डेंगू से बचाव की सारी सामग्री गायब है। नारियल पानी बेचने वाला खुश है..पपीता बेचने वाला खुश है..उसकी बिक्री बढ़ गई है..मेडिकल स्टोर वाले भी खुश है..डाक्टर भी खुश हैं..ये लोग तो फिर भी ठीक है..खून तक बिक रहा है..तो फिर नारियल पानी वाले का क्या दोष..धंधे का मौसम है मतलब उनका मौसम है। जितना बेच पाओ..बेच लो..इतना बेच लो कि सारे साल की कमाई निकल आए..नेता सोकर उठते हैं और सोने के पहले बयान देते हैं..उन्हें भी एक मुद्दा है..वो भी बयान देने में कोई कंजूसी नहीं बरत रहे..डेंगू से बचना है..सरकार ध्यान नहीं दे रही है..अस्पतालों में इंतजाम नहीं है। जिनकी जवाबदेही है..उनके अपने बयान है..लगातार निरीक्षण किया जा रहा है..दवाईयां मंगाई जा रही है। अस्पताल में बिस्तरों के इंतजाम किए जा रहे हैं..सबको भर्ती किया जा रहा है..लेकिन मौतों को कोई रोक नहीं पा रहा।
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ये हमारी तरक्की की जीती जागती मिसाल है जब एक मच्छर मौत पर मौत का तांडव खेल रहा है..वो अपनी जनसंख्या बढ़ा रहा है..हम आदमियों की जनसंख्या भले ही रोक लें..लेकिन उनकी नहीं रोक सकते।
दरअसल जिस पर गुजरती है वही दर्द को जानता है..बाकी को क्या मतलब है..जब हम पर गुजरेगी..तब हम भुगत लेंगे। हर रोज सैकड़ों मरते हैं..एक्सीडेंट से मरते हैं..बीमारी से मरते हैं..अपनी मौत मरते हैं..मरने दो..हां कोई सेलिब्रिटी मरे.तो उस पर ध्यान दें..बाकी जान की क्या बिसात है..वो तो मरने के लिए ही है...करोड़ों की जनसंख्या में हजारों मर भी गए तो क्या फर्क पड़ रहा है..इसलिए जब किसी पर आपबीती हो..तभी बोलना है..दूसरे जाएं भाड़ में...मरे या जीएं..हमें कोई दिक्कत नहीं...मच्छर ये बात अच्छी तरह से जानता है कि हमारे आगे सब हिजड़े हैं। बाकी फिर.......
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