गाय का मांस यदि कोई खाता है तो उसे जीने का अधिकार नहीं..इस लाइन से मैं सहमत हूं..लेकिन इस लाइन से नहीं कि हम कानून को अपने हाथ में लेते हुए किसी को मौत के घाट उतार दें। ये दोनों लाइन सुर्खियों में हैं..कोई किसी के पक्ष में है तो कोई किसी के विरोध में.मैं न तो इसके पक्ष में हूं और न विरोध में।
गाय को करोड़ों देशवासी अपनी मां के समान मानते हैं..गाय ही क्या..कोई भी जानवर हो..उसे मौत के घाट उतारने का हमें अधिकार नहीं..और अधिकार भी है तो उसका विरोध किया जाना चाहिए। मेनका गांधी जी..पशु-पक्षियों की देश में सबसे बड़ी पक्षधर मानी जाती हैं..उन्होंने सर्कसों में जानवरों के इस्तेमाल पर पाबंदी से लेकर स्कूल-कालेज की लैब में मेढक तक काटने को लेकर अभियान चलाए हैं..लेकिन जब गाय काटने की बात आती है तो बहुत सारे लोगों का मौन..उनकी मजबूरी..उनके स्वार्थ की पोल खोल देता है। ऐसे तमाम राजनेता हैं जो खुद गाय की पूजा करते हैं..उनके घर में गौमाता पूजी जाती है और जब कोई घटना होती है तो उस पर मौन साध जाते हैं।
यदि किसी ने गौ मांस खाया तो उसे सजा जरूर मिलनी चाहिए और यदि उसने नहीं खाया तो केवल एक अफवाह के चलते किसी की जान ले लेना वाकई शर्मनाक है। आजकल अफवाहों का जो हाल है उससे ज्यादा बुरा किसी का नहीं..जिस तरह दिन भर तरह-तरह की अफवाहें फेसबुक और whatsapp पर एक जगह से दूसरी जगह फैलने लगी हैं..उससे किसी का भी कितना भी नुकसान हो सकता है और हो रहा है...तस्वीरों को काट-पीट कर चिपका देना और फिर उसे भेजते रहना..तरह-तरह के उकसाने वाले स्टेटमेंटस कट पेस्ट कर सोशल मीडिया पर सर्कुलेट कर देना रोजमर्रा की जिंदगी का हिस्सा हो गया है और इसके जरिए भावनाएं भड़का कर अपने स्वार्थ को बखूबी अंजाम दिया जा रहा है। उत्तर प्रदेश में ऐसी कई घटनाएं पिछले सालों में हो चुकी हैं जिसमें एक-दो नहीं कई लोगों की जानें गई हैं और पूरे इलाके का भाईचारा तहस-नहस कर दिया गया है। इस काम में न केवल राजनेता बल्कि बिल्डर भी लगे हुए हैं जो एक संप्रदाय को किसी इलाके से बेदखल करने के लिए ऐसे षडयंत्र रच रहे हैं। कोई अपने वोट के लिए इस तरह के खतरनाक साजिशों को अंजाम दे रहा है।
कोई कितना भी गलत करे..हमें ये अधिकार नहीं कि हम उस पर फैसला सुनाएं...साथ में ये भी है कि जो गलत काम कर रहे हैं..उन्हें सोच लेना चाहिए कि भविष्य में गलत करने के पहले एक बार जीवन के बारे में सोच लें..नहीं तो इस देश में कुछ भी होता आया है और आगे कुछ भी हो सकता है...बाकी फिर.....
गाय को करोड़ों देशवासी अपनी मां के समान मानते हैं..गाय ही क्या..कोई भी जानवर हो..उसे मौत के घाट उतारने का हमें अधिकार नहीं..और अधिकार भी है तो उसका विरोध किया जाना चाहिए। मेनका गांधी जी..पशु-पक्षियों की देश में सबसे बड़ी पक्षधर मानी जाती हैं..उन्होंने सर्कसों में जानवरों के इस्तेमाल पर पाबंदी से लेकर स्कूल-कालेज की लैब में मेढक तक काटने को लेकर अभियान चलाए हैं..लेकिन जब गाय काटने की बात आती है तो बहुत सारे लोगों का मौन..उनकी मजबूरी..उनके स्वार्थ की पोल खोल देता है। ऐसे तमाम राजनेता हैं जो खुद गाय की पूजा करते हैं..उनके घर में गौमाता पूजी जाती है और जब कोई घटना होती है तो उस पर मौन साध जाते हैं।
यदि किसी ने गौ मांस खाया तो उसे सजा जरूर मिलनी चाहिए और यदि उसने नहीं खाया तो केवल एक अफवाह के चलते किसी की जान ले लेना वाकई शर्मनाक है। आजकल अफवाहों का जो हाल है उससे ज्यादा बुरा किसी का नहीं..जिस तरह दिन भर तरह-तरह की अफवाहें फेसबुक और whatsapp पर एक जगह से दूसरी जगह फैलने लगी हैं..उससे किसी का भी कितना भी नुकसान हो सकता है और हो रहा है...तस्वीरों को काट-पीट कर चिपका देना और फिर उसे भेजते रहना..तरह-तरह के उकसाने वाले स्टेटमेंटस कट पेस्ट कर सोशल मीडिया पर सर्कुलेट कर देना रोजमर्रा की जिंदगी का हिस्सा हो गया है और इसके जरिए भावनाएं भड़का कर अपने स्वार्थ को बखूबी अंजाम दिया जा रहा है। उत्तर प्रदेश में ऐसी कई घटनाएं पिछले सालों में हो चुकी हैं जिसमें एक-दो नहीं कई लोगों की जानें गई हैं और पूरे इलाके का भाईचारा तहस-नहस कर दिया गया है। इस काम में न केवल राजनेता बल्कि बिल्डर भी लगे हुए हैं जो एक संप्रदाय को किसी इलाके से बेदखल करने के लिए ऐसे षडयंत्र रच रहे हैं। कोई अपने वोट के लिए इस तरह के खतरनाक साजिशों को अंजाम दे रहा है।
कोई कितना भी गलत करे..हमें ये अधिकार नहीं कि हम उस पर फैसला सुनाएं...साथ में ये भी है कि जो गलत काम कर रहे हैं..उन्हें सोच लेना चाहिए कि भविष्य में गलत करने के पहले एक बार जीवन के बारे में सोच लें..नहीं तो इस देश में कुछ भी होता आया है और आगे कुछ भी हो सकता है...बाकी फिर.....