Friday, March 13, 2015

छोटे दबंग..बड़े दबंग


वीवीआईपी...बड़ा ही चमकदार शब्द है..जैसे ही कहीं वीवीआईपी की बात होती है..तो हमारे कान चौकन्ना हो जाते हैं..वीवीआईपी सुनकर हम उस शख्स की गाड़ी को रास्ता दे देते हैं..पुलिस वाले सहम जाते हैं..दफ्तर में उसकी आवभगत होती है...स्वागत-सत्कार में कोई कमी नहीं होती..अगर कोई वीवीआईपी जा रहा है तो उसके लिए ट्रैफिक रूल मायने नहीं रखते..नो पार्किंग में गाड़ी करने की मनाही नहीं...जहां हथियार ले जाने की मनाही है..उनके गनर पूरे दबंगई के साथ आगे-पीछे चलते हैं..वो भी कम वीवीआईपी नहीं होते...साधारण आदमी को धकियाने में उन्हें बड़ा मजा आता है...गाली देकर बात करने में उन्हें कोई दिक्कत नहीं..यानि जो व्यक्ति जितना बड़ा वीवीआईपी है..उसके लिए उतने ही रूल तोड़े जाते हैं..जैसे उमा भारती के लिए ट्रेन रोकी गई..नितिन गडकरी बिना हेलमेट के स्कूटर पर नागपुर की सड़कों पर निकले. और कई तो हवाई जहाज तक रुकवा लेते हैं..ये तो बड़े दबंग हैं।


अब बात करते हैं छोटे दबंगों की..छोटे दबंगों की तादाद भी बढ़ती जा रही है...चौराहे पर रेड लाइट का इंतजार कौन करे..भले ही कोई काम नहीं हो..लेकिन रेड लाइट क्रास करने का मजा कुछ और ही है..जहां लिखा होगा कि टायलेट करना मना है वहां का नजारा देखकर आप समझ जाएंगे कि कितने दबंगों ने अपनी मौजूदगी दर्शायी है...सरकारी और प्राइवेट दफ्तरों में..जहां पान-गुटखा थूकने की मनाही होगी..वहीं आपको लाल..लाल निशान दीवारों पर चित्रकारी करते नजर आएंगे। कूड़ेदान खाली होगा..लेकिन कचरा जमीन पर इधर-उधर बिखरा जरूर मिलेगा। मेट्रो हो..रेलवे स्टेशन हो..बस स्टैंड हो..अस्पताल हो..जहां भी लाइन होगी..वहां छोटे-छोटे दबंग लाइन तोड़कर सीधे खिड़की में हाथ डालेंगे..पीछे से कोई मना करेगा तो उसे बंदर घुड़की से चुप कराने की कोशिश करेंगे..बहुत छोटा दबंग होगा तो थोड़ा दब जाएगा..बड़ा दबंग होगा तो मारपीट पर उतर आएगा...

सबसे गरीब आदमी..सबसे निचले तबके का आदमी..सबसे शोषित आदमी..सबसे पीड़ित आदमी..ये शब्द सुनते हैं बड़ी ही दया सी मन में आती है..और ये वो शख्स हैं..ये वो तबका है जो नियमों का..कानून का सबसे ज्यादा पालन करता है...जिसकी जितनी हैसियत बढ़ती जाती है..उतनी ही नियम तोड़ने की आदत बढ़ती जाती है...सबसे ज्यादा नियम का पालन करने वाला..सबसे ज्यादा मार खाता है..जीवन भर कतारों में खड़ा होकर अपना समय गंवाता है...हैरान-परेशान होता है और आम आदमी कहलाता है...मजाक का पात्र भी खूब बनाया जाता है..अरे..देखो..लाइन में खड़ा है...थैला लेकर चक्कर काट रहा है..इसका काम होने वाला नहीं..काम तो दबंगई से होता है..पत्रकार होता है तो बोलता है..कि मैं मीडिया से हूं..नेता होता है तो बोलता है..कि मैं फलां पार्टी का अध्यक्ष हूं..महासचिव हूं..विधायक जी..सांसद जी..मंत्री जी का भाई हूं..चाचा..मामा..फूफा न जाने क्या-क्या हूं...पुलिस वाला है तो उसे सब जगह का आटोमेटिक लाइसेंस मिला हुआ है..चाहे रिजर्व बर्थ हो..चाहे कोई लाइन हो..चाहे कोई ट्रैफिक रूल हो..चाहे कोई भी नियम हो..नियम पुलिस से बड़ा नहीं होता...

नियम-कानून..दबंग के हिसाब से बनता-बिगड़ता है..जो जितना बड़ा दबंग है उसके लिए नियम ठेंगे पर है..जो गरीब है..साधारण है..बिना पैरवी वाला है..उसके लिए नियम कठोर है..उस पर पूरी ताकत से कानून लागू होता है...आपको गाली देने पर थाने में बंद किया जा सकता है..आपको मारपीट करने पर बंद किया जा सकता है..लेकिन महात्मा गांधी को ब्रिटिश एजेंट करने पर नहीं..ये तो अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता कहलाती है...आप को हेलमेट न पहनने पर चालान काटा जा सकता है..गाड़ी जब्त की जा सकती है..लेकिन अगर कोई नेता..या उनकी फौज वाहन रैली में सैकड़ों की तादाद में बिना हेलमेट की निकलती है तो ये प्रदर्शन कहलाता है...अगर आप किसी ट्रेन को रोकते हो तो जुर्माना और सजा हो सकती है..लेकिन वीवीआईपी के लिए ट्रेन रोकना जरूरी हो जाता है। क्या आप भी नियम तोड़ते हैं तो पैमाना लेकर नाप लीजिए..जितना ज्यादा नियम तोड़ते होंगे..आप उतने ही बड़े ही दबंग होंगे..अगर बिलकुल नियम नहीं तोड़ते हैं..पूरे अनुशासन में हैं तो आप दबंग है ही नहीं...ये आपको तय करना है कि आप छोटे दबंग ही रहना चाहते हैं या बड़े दबंग में शुमार होना चाहते हैं..या फिर गरीब की श्रेणी में जिंदगी भर दबे-कुचले..हैरान परेशान होकर नियम का पालन करना चाहते हैं...बाकी फिर.....