Tuesday, March 10, 2015

असली डेमोक्रेसी यानि मैं ब्रह्म हूं

उमा भारती..कभी साध्वी थीं..दूसरों को जीवन की राह दिखाती थी..धर्म-कर्म की बात करती थी..आज केंद्र में मंत्री हैं..झांसी की सांसद हैं..ट्रेन से जाना था..लेट हो रही थीं..तो उनके एसपीजी कमांडो ने आधा घंटे तक गोंडवाना एक्सप्रेस रोक ली.रुड़की का आईआईटी छात्र रो रहा है कि उसकी परीक्षा छूट गई..अब आप भी बताईए..एक साध्वी..एक केंद्रीय मंत्री..उसी इलाके की सांसद..अगर ट्रेन आधा घंटे रोक ली गई तो क्या हुआ..अगर आईआईटी छात्र का नुकसान हो गया तो क्या हुआ..कौन ज्यादा महत्वपूर्ण है...रोज घंटों ट्रेन लेट होती हैं तो बवाल नहीं मचता..अगर उमाभारती के लिए रुक गई तो हंगामा काटा जा रहा है..लोकतंत्र है इसलिए आप केंद्रीय मंत्री पर भी सवाल उठा सकते हैं।


माननीय मार्कंडेय काटजू..सुप्रीम कोर्ट के जज रहे हैं..प्रेस परिषद के मुखिया होकर मीडिया को दिशा-निर्देश देते रहे हैं..अगर वो कहते हैं कि महात्मा गांधी ब्रिटिश एजेंट की तरह काम कर रहे थे..अंग्रेजों की तरह फूट डालो राज करो की तरह गांधी जी ने काम किया..ये उनके विचार हैं...उन्होंने अपने ब्लाग में ये भी लिखा कि कुछ लोग उनसे सहमत नहीं होंगे..आपत्ति उठा सकते हैं..ये वही महात्मा गांधी हैं जिन्हें हम राष्ट्रपिता कहते हैं...अगर राष्ट्रपिता की कारगुजारी काटजू जी बता रहे हैं तो इसमें गलत क्या है..लोकतंत्र है।



राहुल गांधी ने कह दिया कि गांधी जी की हत्या में आरएसएस का हाथ था..आरएसएस कार्यकर्ता ने मानहानि की याचिका डाल दी..बांबे हाईकोर्ट ने नोटिस थमा दिया। अमित शाह ने चुनाव में कह दिया कि काला धन लाएंगे..सबके एकाऊंट में लाखों जमा हो जाएंगे..बाद में मीडिया ने पूछा कि एकाउंट में पैसा कब आएगा..बोले..वो तो चुनाव था..इसलिए बोल दिया...

लालू यादव की बेटी मीसा भारती ने सोशल मीडिया पर कुछ फोटो डाले और बताया कि वो हावर्ड यूनिवर्सिटी में नए दौर में भारत की राजनीति और महिलाओं की भूमिका पर लेक्चर देकर आई हैं..हावर्ड यूनिवर्सिटी को पता चला तो उसने इसे दावे को झूठा बताया..अब लालू यादव कह रहे हैं कि मीडिया वाला कुछ कन्फूजया गया था।

आप के संस्थापक सदस्य पिता-पुत्र भूषण और योगेंद्र यादव ने आप के लिए कितनी मेहनत की..ये अब आप के ही बाकी ईमानदार सदस्य बता रहे हैं..यहां तक कहा कि पार्टी को हराकर केजरीवाल का दिमाग ठिकाने लगाना है..अब आप के बाकी ईमानदार सदस्य उन्हें ठिकाने लगा रहे हैं।

ये तो कुछ ताजा उदाहरण हैं..इसी को लोकतंत्र कहते हैं..आप कोई भी हों..कुछ भी बोल सकते हैं..चाहे झूठ हो सच..किसी के बारे में कह सकते हैं। दरअसल लोकतंत्र का हमने जो मतलब निकाला है..उस का अर्थ है मैं ब्रम्ह हूं...मैं अपने लिए करता हूं..अपने लिए बना हूं..अपना ही सोचता हूं..बाकी को ठेंगे पर रखता हूं...कानून हम ही बनाते हैं तो बिगाड़ने का अधिकार मुझे ही है। जिस संस्था में काम करता हूं..अगर मेरे मन का नहीं हुआ..तो उसकी ऐसीतैसी कर सकता हूं.अगर संस्था मैंने बनाई है तो उसे नष्ट करने का अधिकार मुझे ही है...अगर कानून में किसी वक्त में फिट नहीं बैठ रहा तो उसे तोड़ने का अधिकार मुझे हैं...जो मैं कहता हूं वही सही है..जो मैं करता हूं वही उचित है...क्योंकि यही असली डेमोक्रेसी है..और उसका मतलब मैं ब्रह्म हूं...बाकी फिर.....