हर रोज सुबह से लेकर रात तक किसी न किसी वजह से हम दुखी हो जाते हैं, परेशान हो जाते हैं, मायूस हो जाते हैं, ज्यादातर ये वजह बहुत छोटी सी होती है, बड़ी वजह life में बहुत ही कम होती हैं। जैसे महिलाओं की बात करें, यदि दूध फट गया, नुकसान हो गया, अब चाय कैसे बनेगी?, नल में पानी चला गया, अब पानी का इंतजाम करना होगा, बिजली चली गई, बच्चे की ड्रेस पर press कैसे होगी?...उसके टेस्ट आ रहे हैं, पढ़ाई कम कर रहा है, books लानी है, बच्चे की cab नहीं आई, school के लिए late हो जाएगा। बच्चे का होमवर्क कराना है, आफिस भी जाना है, पति को भी जाना है, बच्चे को स्कूल भेजना है, तीनों-चारों में तालमेल बिठाना, ब्रेकफास्ट तैयार कैसे होगा, नहाना है, तैयार होना है, झंझट ही झंझट।
एक काम बिगड़ा, देरी हुई, दुखी हो गए...आफिस के लिए लेट हो गए हैं, अब क्या होगा, बास नाराज होगा, क्या बहाना बनाएंगे, रोज रोज का रोना है, लौटते में सामान लेकर आना है, पर्चा जेब में पड़ा है, तबियत ठीक नहीं है, यहां तक कि पेट में गैस बन रही है, तो पूरा परिवार एक तरफ, बाएं से दाएं, कभी कुछ पी रहे हैं, कभी कुछ खा रहे हैं, जब बेचैनी बढ़ जाती है तो मेडिकल स्टोर की ओर रुख कर लेते हैं, डायबिटीज है, मीठा नहीं खा रहे हैं, दुखी हैं, जब ज्यादा दुखी होते हैं तो उलटा काम करते हैं, कोई देख तो नहीं रहा, मीठा खा लेते हैं, किसी को बताते नहीं, जब तबियत बिगड़ती है तो कोई और बहाना बना देते हैं, हम दुखी तो दिन में कई बार होते हैं, रात को नींद नहीं आ रही है, कल सुबह जो उलझनें बढ़ने वाली हैं, उनके निदान के लिए रात भी खराब कर रहे हैं, जब हम negative सोचते हैं, तो दुखी होते हैं, जितनी ज्यादा negativity होगी, उतने ही ज्यादा दुखी होंगे।
दुखी तो होते रहते हैं लेकिन हम उनकी वजहों का आकलन नहीं करते, कुछ वक्त अपने बारे सोचो, बेहतर life के लिए, बेहतर job के लिए, बेहतर family के लिए, बच्चे के बेहतर future के लिए, बेहतर health के लिए, बेहतर money के लिए, और फिर way of life को बेहतर करो, ये हमारे ऊपर है कि हम कब दुखी होना चाहते हैं और कब खुश होना चाहते हैं, कितना दुखी होना चाहते हैं और कितना खुश रहना चाहते हैं, यदि रुटीन को भी दुख भरा बना लिया तो life कष्ट में ही बिताएंगे और तरक्की नहीं कर पाएंगे, अपना दिन बिगाड़ेंगे, अपने परिवार का बिगाड़ेंगे, अपने दफ्तर का बिगाड़ेंगे, अपने बच्चे का बिगाड़ेंगे।
life में सब कुछ अच्छा ही अच्छा नहीं होगा, जब तक संघर्ष करने में enjoy नहीं करेंगे, तो दुख ही दुख भोगेंगे। जब तक कड़वा नहीं चखेंगे, मीठे का स्वाद भी नहीं मिलेगा। इसलिए positive होकर चलें, focus बड़े goal पर करें और फिजूल की वजहों को भूल जाएं, अपने कैरियर पर ध्यान दें, अपने परिवार पर ध्यान दें, अपनी कमाई पर ध्यान दें, अपनी सेहत पर ध्यान दें, बाकी ऊपर नीचे, कम ज्यादा चलता रहे, कोई फर्क नहीं पड़ता..बाकी फिर....bhootsotroyworld.blogspot.com whatsappup.blogspot.com
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दुखी तो होते रहते हैं लेकिन हम उनकी वजहों का आकलन नहीं करते, कुछ वक्त अपने बारे सोचो, बेहतर life के लिए, बेहतर job के लिए, बेहतर family के लिए, बच्चे के बेहतर future के लिए, बेहतर health के लिए, बेहतर money के लिए, और फिर way of life को बेहतर करो, ये हमारे ऊपर है कि हम कब दुखी होना चाहते हैं और कब खुश होना चाहते हैं, कितना दुखी होना चाहते हैं और कितना खुश रहना चाहते हैं, यदि रुटीन को भी दुख भरा बना लिया तो life कष्ट में ही बिताएंगे और तरक्की नहीं कर पाएंगे, अपना दिन बिगाड़ेंगे, अपने परिवार का बिगाड़ेंगे, अपने दफ्तर का बिगाड़ेंगे, अपने बच्चे का बिगाड़ेंगे।
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