Wednesday, October 28, 2015

बंदर,बवाल,बहस

सुबह मीडिया पर बिहार चुनाव की सरगर्मी थी, किसी दल के लिए नरमी थी किसी के लिए गर्मी थी, एंकर,गेस्ट,एक्सपर्ट,डाटा की बिसात बिछ चुकी थी, तभी बड़ी ब्रेकिंग ने एंकर को दहला दिया,वोटिंग की शुरूआत में ही एक बंदर नीतीश के पोलिंग बूथ पर हमला बोल चुका था, वन विभाग तो नहीं, कैमरे जरूर बंदर को कैद करने में जुटे थे, बंदर के बवाल की ब्रेकिंग चलने लगी थी, बहस बदल चुकी थी कि इतना बड़ा चुनाव,नीतीश का पोलिंग बूथ, इस बेखौफ बंदर को देखिए, मतदाताओं को डरा रहा है, लोकतंत्र के पर्व में खलल डाल रहा है, कहां है चुनाव आयोग, कहां है सरकार, गेस्ट भी बंदर के एक्सपर्ट बन चुके थे, राष्ट्रपति भवन और केंद्रीय मंत्रियों के आवासों से लेकर मीडिया के वाहनों का बंदरों से नुकसान पर मुद्दा गर्माने लगा था, तस्वीरों में हर दो सेकंड में बंदर एक बार काट जा रहा था, एंकर बता रहा था कि यही है वो जालिम बंदर, जिसने इस बुजुर्ग महिला को नहीं बख्शा, कुल मिलाकर बंदर बड़ा ही मंझा हुआ राजनेता सा लगा..जिसने आम आदमी को काट कर एक शाम बंदर के नाम की जगह पूरा दिन अपने नाम कर लिया. रोजाना काटने में राजनीति नहीं थी, चुनाव के दिन चुनने से बंदर खुश हो रहा था, बुजुर्ग महिला रो रही थी, फिर भी राजनीति हो रही थी.