तो साहब, हम तैयार हो रहे थे बाबा जी से मिलने के लिए, ऐसे भविष्य दृष्टा, जो सब बता देते हैं, चुटकियों में बड़े-बड़ों की बड़ी से बड़ी समस्या को हल कर देते हैं.वाकई अखबार उठाया तो उनकी जय-जयकार की खबरें और विज्ञापन भरे पड़े थे, समझ में नहीं आ रहा था कि खबर विज्ञापन से उपजी है या फिर उनकी महिमा से विज्ञापन उपजा है, टीवी पर एंकर कह रही थी कि आप कहीं मत जाईए, ये कार्यक्रम इसी चैनल पर लगातार देखिए, वो ये भी बता रही थी कि चप्पे-चप्पे पर उनके रिपोर्टर और कैमरे तैनात हैं. तैयार तो हो गया, चलने के पहले फिर डांट पड़ी..एक तो इतने बड़े बाबा से मिलने जा रहे हो, ये तो ऊपर वाले की कृपा है और हमारा व्यवहार है जो पास मिल गया, खाली हाथ जाओगे, नाक कटवाओगे, ड्राईफ्रूटस और फ्रेश फ्रूटस ले चलो, जेब में आखिरी पांच सौ का नोट था, कभी खुद फ्रूटस नहीं खाए, लेकिन भूत और वर्तमान से डरा था, इसलिए भविष्य सुधारने के लिए पांच सौ का नोट कोई ज्यादा नहीं था, तैयार होकर पत्नी के साथ बाबा के कार्यक्रम के लिए निकला, देखा..बैनर पोस्टरों की भरमार है.एक तरफ बाबा बुला रहे हैं, दूसरी तरफ सांसद,मंत्री, उद्योगपति हाथ जोड़े मुस्करा रहे हैं. कार्यक्रम स्थल पहुंचा, जहां मेला था,भक्तों का रेला था, लग रहा था कि हर कोई उनका चेला था. बाबा छाए हुए थे, बड़े-बड़े एलईडी स्क्रीन पर उनका महिमा मंडन था, कई सीएम और केंद्रीय मंत्री आ रहे थे, उनके समर्थक मौके पर ही राजनीति की बिसात बिछा रहे थे, मंच से बाबा के एक चेले बता रहे थे कि ये सब बाबाओं को पीछे छोड़ चुके हैं, विदेशों में भी उनकी धूम है, वो तो नोएडा से उनका खास लगाव है, इसलिए आए हैं, वर्ना, सलमान की तरह उनके पास भी सालों डेट खाली नहीं है..बाबा..मदेव,...मल बाबा,बाबा..साराम...धे मां सबको पीछे छोड़ चुके हैं. सोच रहा था, ऐसे दिव्य पुरुष से मुलाकात हो जाए, तो जीवन तर जाए..
दूसरे दिन....
बाबा जी के एक खास भक्त से मुलाकात हो गई, वो भी बाबा जी जितने ही भाव खा रहे थे, उन्हें भी लोग चारों ओर से घेरे हुए थे, हम भी ठस लिए, भक्त बता रहे थे, बाबा जी के पंद्रह राज्यों में आश्रम बन चुके हैं, अमेरिका के बाद स्विटजरलैंड में भी भव्य आश्रम हैं. वहां केवल वीआईपी ही जा पाते हैं।बाबा योग के जरिए भोग सिखाते हैं, समुद्र के बीचोंबीच आध्यात्म में लीन होकर जो सुख मिलता है, वहां न स्त्री न पुरुष का बोध रहता है, जीवन में सुख, शांति और समृद्धि ऐसे ही आध्यात्म से उपजती है। हरिद्वार में पीठ बन रही है, किसी ने पूछा, बाबा जी का आशीर्वाद कांग्रेस को है या बीजेपी को, भक्त ने आंखें लाल की, बाबा जी समय के साथ चलते हैं, जो अच्छा करता है, उसी के साथ रहते हैं, उनके चरणों में कांग्रेस, बीजेपी क्या, सारे दल पड़े रहते हैं, देख नहीं रहे हो, कितने मंत्री, सीएम यहां डेरा डाले हैं, सबको आशीर्वाद की दरकार है, बाबा जी थोड़ी ही देर में स्पेशल प्लेन से लैंड करने वाले हैं, आप लोग बैठ जाईए, मेरा पूरा जोर इस बात पर था कि बाबा जी से मुलाकात हो जाए, अपना काम बन जाए, तभी अफरातफरी सी मच गई, बाबा हवा से धरती में लैंड कर गए थे, थोड़ी ही देर में वो एयर लिफ्ट के जरिए कमल के फूल के बीच मंच पर अवतरित हुए, बड़े-बड़े लोग पैरों में लोट रहे थे, थोड़ी ही देर में बाबा का चेहरा सामने आया, लगा कि बाबा को कहीं देखा है, फिर सोचा, हर बड़े आदमी के साथ हम यूं ही रिश्ता जोड़ने की फिराक में रहते हैं.
तीसरे दिन....
बाबा बोले, बम भोले, बम को छोड़िए, भोले को अपनाईए,मैं भी आप की तरह आम इंसान था, अचानक ज्ञान चक्षु खुले, हरिद्वार, ऋषिकेश की पहाड़ियों में ईश्वर की शरण में गया, ईश्वर ने प्रसन्न होकर कहा कि तुममें तो मौजूदा बाबाओं से ज्यादा कैपेसिटी है, कहां माया-मोह, घर-परिवार के चक्कर में फंसे हो, तुम्हें तो संसार की दशा-दिशा तय करनी है, जाओ, सबको सिखाओ, ज्ञान दो, तुम लोगों को ज्ञान दोगे, लोग तुम्हें धन-धान्य से भरपूर कर देंगे, जितना ज्ञान बांटोगे, उतना ही वैभव तुम्हारे पास आएगा, जब माया-मोह की इच्छा थी तो मेरे पास कुछ नहीं था, अब सब है, अकूत संपत्ति हिलोरें ले रही हैं, लोग मना करने पर भी दे जा रहे हैं, लोग ज्ञान अर्जित कर लेते हैं, लेकिन बांटते नहीं, जितना बांटोगे, उतना फायदे में रहोगे, नेताओं और मीडिया से सीखो, मेरे पास इनसे भी ज्यादा ज्ञान है, इसलिए ये हमसे ले जा रहे हैं.प्रवचन के बाद मर्सिडीज बैंज, आडी, लैंड क्रूजर जैसी गाड़ियों के साथ बाबा का काफिला निकला, पास में ही देश के बड़े उद्योगपति के बंगले पर बड़े आग्रह के बाद वो जा रहे थे, बड़ी मुश्किल के बाद एक खास भक्त के जरिए हम उनके कक्ष में दाखिल हो ही गए, चारों तरफ अभिनेताओं की तरह वो बाउंसरनुमा भक्तों से घिरे हुए थे, कई माडल सरीखी भक्त बालाएं उनके इर्द-गिर्द मंडरा रही थीं। सामने काजू-किसमिस, बादाम,काजू कतली, सेब, अनार जैसे मेवे-फल के थाल सजे हुए थे, भक्त चाहते थे कि बाबा केवल झूठा कर दें, उनकी लाइफ बन जाएगी. भक्त ने बाबा के कान में कुछ फूंका, बाबा ने चमकती आंखों से मुझे घूरा, हां मैं मुंडी हिलाई..
चौथे दिन....
बाबा ने खास भक्त को आंखों ही आंखों में इशारा किया और कक्ष में जो भक्त बीजेपी की तरह जमा थे, सब कांग्रेस की तरह खर्च हो गए. यहां तक कि खास भक्त भी बाहर, अब हम थे और बाबा थे, बाबा ने मेरी आंखों में झांका, मुस्कराए,बोले..बच्चा..मैं तेरा भूत, वर्तमान, भविष्य सब जानता हूं. एक पत्नी, एक बेटी और एक तू, 23 साल से पत्रकारिता करते हुए जीवन घिसट रहा है,शुरू से परेशान था, अब तक है, कुछ जुगाड़ के लिए आया है.मेरी शरण में जो आता है, उसका काम बन जाता है,तू तो बाबाओं से दूर रहने वाला स्वाभिमानी था, इसीलिए निरीह प्राणी था, दूसरों को सलाह दे-देकर खुद बर्बाद हो गया, तेरी सलाह से न जाने कितने बन गए, तू खुद नहीं बन पाया, मैंने अपने भीतर झांका, बन गया, तू भी झांक ले,तेरा जीवन सुधर जाएगा, बाबा की बोली कभी मीठी गोली, कभी बंदूक की गोली लग रही थी, बोले-अकेले आया हूं, अकेले ही जाऊंगा, ये सब तेरा है, तू नहीं होता तो मैं न होता, बाबा का आध्यात्म गले में हड्डी की तरह अटक रहा था, मैं उनकी बात से हड़बड़ाया, बाबा भी हड़बड़ाए, सुधार किया, तेरा मतलब, तेरे जैसे भक्तों से है.ज्यादा दिमाग पर जोर मत डाल, मैं पहली बार किसी के बाबा के चरणों में लोट चुका था, भूतो न भविष्यति..वाकई बाबाओं के बारे में मेरी सारी धारणाएं बदल चुकी थी, मुझे मानो साक्षात ब्रह्म के दर्शन हो रहे थे, आंखों से आंसू बह रहे थे, भक्त और ईश्वर का मिलन हो रहा था, बाबा ने मुझे उठाया, गले से लगाया, आंखों से आंसू पोंछे..मुस्कराए..जैसे ही बाबा से नजरें मिलाईं..बाबा ने एक आंख मारी, बच्चा..नहीं पहचाना..तूने ही तो कहा था..कि बाबा बन जा, देख..आज गाड़ी है, बंगला है, जमीन है जायदाद है, नेता,मीडिया, बिजनेस मैन सब चरणों में है, यहां तक कि तू भी..जो मेरा सलाहकार था, बच्चा..आजा..गले लग जा..आज से तू फिर मेरा सलाहकार हुआ, गुरू गुड़ ही रहा, चेला शक्कर हो गया. इति बाबा कथा समाप्तम.