Sunday, October 18, 2015

सपने जो जगने नहीं देते हैं...

बड़ा ही दिलचस्प नजारा था, आज मन की सारी हसरतें पूरी हो रही थीं, सबसे पहले मोदी को गरियाया, फिर केजरीवाल को कोसा, उसके बाद लालू यादव की खिल्ली उड़ाई, मुलायम के पैंतरे बदलने पर मुस्कराया, उसके बाद लगा कि ये कुछ नहीं कर सकते हैं, क्यों न खुद ही हाथ आजमा लूं, सो..कुछ आजम से लिया, कुछ ओवेसी से लिया, हार्दिक पटेल से आरक्षण लिया, साक्षी, योगी आदित्यनाथ और साध्वियों से लिया,बीफ को ध्यान में रखा, सारा मसाला तैयार किया और दनादन हरकतें कर डालीं, टीवी-अखबार वालों को बुलाकर बयान दे डाले, फेसबुक और ट्विटर पर पोस्ट डालनी शुरू की..अचानक ही चर्चाओं में घिर गया, मीडिया वालों के फोन आने लगे, एक बाइट दे दीजिए, आज शाम गेस्ट बन जाईए, समझ में नहीं आ रहा था, कहां जाऊं, किसको दूं, किसको नहीं दूं, भरपूर भाव खा रहा था, बड़ा मजा आ रहा था, ओबी वैन बाहर खड़ी हुई थीं, पत्नी-बच्चे कह रहे थे, आपके पास वक्त नहीं है, पड़ोसी जल रहे थे, रिश्तेदारों के फोन नहीं उठा रहा था, अचानक ही लोकप्रियता से मेरा घमंड सातवें आसमान पर था, कोई अपने बच्चे के लिए नौकरी मांग रहा था, कोई ठेके के लिए सिफारिश की विनती कर रहा था, कोई गुलदस्ते और मिठाई के डिब्बे घर पर पटक जा रहा था, मन ही मन खुश था, ऊपर से गंभीर था, सोच रहा था कि केजरीवाल और हार्दिक पटेल के बाद अगला सीएम मैं ही बनने वाला हूं, बिना पूंजी के, कुछ ही समय में इससे बढ़िया बिजनेस कोई हो नहीं सकता था, सब कुछ बढ़िया चल रहा था, हर पल तरक्की की नई मंजिलें छू रहा था कि अचानक भूकंप सा आया, पलंग से नीचे गिरा, लगा कि किसी ने लात मारी है..देखा तो पत्नी खड़ी थी, जी भर के कोस रही थी. संडे है तो इसका ये मतलब नहीं. 12 घंटे से सो रहे थे, घर के सारे काम क्या तुम्हारा...करेगा? मेरे साथ ही मेरे सपने जमींदोज हो चुके थे..आगे क्या हुआ..कल बताऊंगा?

आगे क्या हुआ....


नींद से हड़बड़ा कर उठा तो खुद को कुंभकर्ण सा महसूस कर रहा था और पत्नी को साक्षात दुर्गा, वो जगत जननी की तरह सुबह-सुबह (करीब 10 बजे)मुझे झकझोर रही थी, कह रही थी, दुनिया कहां से कहां पहुंच गई, तुम सोते रह जाओगे, देश की तो छोड़ दो, कालानी का भी तुम्हें पता नहीं, रा एजेंट की तरह पत्नी बोले जा रही थी, अरे..नोएडा स्टेडियम में बहुत बड़े बाबा आ रहे हैं, तुम तो कुछ नहीं कर पाओगे, बाबा जी बहुत बड़े सिद्ध हैं, हजारों की भीड़ उमड़ने वाली है, पूरे शहर में पोस्टर लगे हैं, अखबारों और टीवी में खबरें चल रही हैं, बड़े-बड़े नेता उनकी शरण में पहुंच रहे हैं,सीएम शीश नवा रहे हैं, यूं ही वो देश नहीं चला रहे, बाबा ज्ञानी हैं, अंतर्यामी है, हमें हमारा धर्म बताते हैं, योगा सिखाते हैं,सेहत बनाते हैं, भविष्य में झांक लेते हैं. भूत बिगड़ गया, वर्तमान का सत्यानाश हो गया, कम से कम भविष्य ही सुधार देंगे।बाबा सब कुछ करने में समर्थ हैं, चुनाव के टिकट वो दिलवाते हैं, सरकारें बना देते हैं, गुरूओं के गुरू हैं, नाम है गुरू घंटाल, वो तो मैं हूं, जो कालोनी की खबर रखती हूं, पड़ोस के गुप्ता और गुप्ताईन जी की बाबा तक पहुंच हैं, वो पांच पास लेकर आए हैं, अगर मैं वक्त पर नहीं पहुंचती तो ये आखिरी पास भी गया था, उन्होंने कहा है कि वो आपको बाबा में अकेले में जुगाड़ कर मिलवा देंगे, मांग लेना, एक चुटकी में बड़ा सा बड़ा काम कर देंगे, ज्यादा स्वाभिमानी न बनना, लोट जाना चरणों में, गिड़गिड़ा लेना जमकर, खुद का बुरा मुंह न देखो तो मेरा और बेटी का ही देख लेना, कम से कम हम पर ही रहम खा लेना...मरता..क्या न करता..रात के सपने टूट चुके थे, वर्तमान के सच से सामना कर रहा था, बाबा के यहां जाने की तैयारी में जुट गया था...आगे क्या हुआ..कल बताऊंगा.